आपने अक्सर कई घरों के आंगन में तुलसी का पौधा देखा होगा। अधिकतर भारतीय लोग अपने घर में तुलसी का निवास रखते हैं। यह पौधा धार्मिक रूप से तो महत्व रखता ही है, साथ ही आयुर्वेद की दृष्टि से भी लाभकारी है। तुलसी एक औषधीय पौधा है, जिससे कई रोगों से छुटकारा मिलता है। हमनें रामायण, महाभारत और कई उपनिषदों में तुलसी के बारे में पढ़ा और सुना है। लोग सुबह-शाम इस पौधे की पूजा करते हैं और दिया जलाते हैं।
हिंदू धर्म में इसे पवित्र पौधे की मान्यता दी गई है। प्राचीन ग्रंथों में इसके गुणों और उपयोगिता का वर्णन भी मिलता है। यह पौधा बहुत आसानी से उग जाता है। इसके बीज को मांजरे कहते हैं। मांजरे को मिट्टी में डालने के बाद पौधा उगने लगता है। इसकी दो मुख्य प्रजातियां होती है- श्री तुलसी तथा कृष्णा तुलसी। श्री तुलसी के पत्ते हरे रंग के होते हैं तथा कृष्णा तुलसी की पत्तियां बैंगनी रंग की होती है, इसे श्यामा तुलसी भी कहते हैं।
औषधीय गुणों से भरपूर
भारतीय संस्कृति में तुलसी का बहुत महत्व रखता है। यह औषधीय गुणों से भरपूर होती है। तुलसी एक ऐसा पौधा है जो बुखार, श्वास सम्बंधी रोग, सर्दी-खांसी तथा दंत रोग जैसी कई बीमारियों में काम में आता है। इसमें विटामिन व खनिज पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं, जिनमें मुख्य रूप से विटामिन सी, कैल्शियम, जिंक, आयरन और क्लोरोफिल शामिल है।
तुलसी में सिट्रिक, टारटरिक एवं मैलिक एसिड भी पाया जाता है, जो कई रोगों के निदान में कारगर साबित होते हैं। तुलसी की पत्तियां खाने से तनाव दूर होता है। नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फोर्मेशन द्वारा एक शोध किया गया, जिसमें पता चला कि इसमें एंटीस्ट्रेस गुण मौजूद होते हैं। तुलसी के पत्तों को चाय में मिलाकर पीने से याददाश्त बेहतर होती है। रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए भी तुलसी के पत्ते व इससे बनी हर्बल चाय फायदेमंद साबित होती है।
तुलसी के बारे में
तुलसी एक द्विबीजपत्री पौधा है, इसका वैज्ञानिक नाम ऑसीमम सैक्टम है। कई ऐलोपैथी, होमियोपैथी और यूनानी दवाओं में भी तुलसी का प्रयोग किया जाता है। यह एक प्रकार का झाड़ीनुमा पौधा है, इसकी ऊंचाई 2 से 3 फीट होती है। खास तौर पर इसके पौधे वर्षा ऋतु में उगते हैं और शीतकाल में पौधा अपना आकार ले लेता है।
तुलसी के पौधे की आयु 2 से 3 वर्ष की होती है, इसके बाद वृद्धावस्था आ जाती है। वृद्धावस्था में तुलसी के पत्ते झड़ने लगते हैं। वैल्थ ऑफ इण्डिया की रिपोर्ट के मुताबिक तुलसी के तेल में 71 प्रतिशत यूजीनॉल, 20 प्रतिशत यूजीनॉल मिथाइल ईथर तथा 3 प्रतिशत कार्वाकोल पाया जाता है।
तुलसी की प्रजातियां
तुलसी की कई प्रजातियां पाई जाती हैं। इनमें ऑसीमम सैक्टम, ऑसीमम वेसिलिकम, मुन्जरिकी या मुरसा, ऑसीमम वेसिलिकम मिनिमम, आसीमम ग्रेटिसिकम, ऑसीमम किलिमण्डचेरिकम, ऑसीमम अमेरिकम तथा ऑसीमम विरिडी प्रमुख है। ऑसीमम सैक्टम को प्रधान व पवित्र तुलसी माना जाता है।
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