भारतीय घरों में लौंग का क्या महत्व यह हम सब भलि-भांति जानते हैं। चाहे सब्जी बनानी हो या नाश्ता सभी में इसका इस्तेमाल किया जाता है। लौंग का उपयोग हमारे घरों में मसाले के रूप में किया जाता है। हालांकि ऐसा नहीं है कि सिर्फ भारत में इसका इस्तेमाल किया जाता है, इसके अलावा चीन, अमेरिका, जापान और इंडोनेशिया जैसे देशों में भी लौंग काम में ली जाती है। सभी देशों में इसका उपयोग न सिर्फ व्यंजनों का जायका बढ़ाने के लिए बल्कि स्वास्थ्य संबंधी उपायों के लिए भी किया जाता है।
लेकिन भारत ऐसा देश है जहां बहुतायत में इसका सेवन किया जाता है। यहां कई बीमारियों में भी इससे घरेलू उपचार किए जाते हैं। जैसे- खांसी व जुकाम को दूर करने में लौंग का काफी योगदान रहता है। इसका इतिहास भी काफी पुराना है। ऐसे में यह जानना भी जरूरी है कि आखिर दुनिया में इसका उपयोग कब से किया जाने लगा तथा इसके उत्पादक देश कौन-कौन से हैं।
इतिहास
लौंग के इतिहास का जिक्र करें तो यह बहुत पुराना है। ईसा से तीन शताब्दी पूर्व से इसका उपयोग होता चला आ रहा है। उस समय रोमन के लोगों को भी इसका ज्ञान था, लेकिन यूरोपीय देशों के लोग 16वीं शताब्दी में इससे परिचित हुए। इसके बाद पुर्तगालियों ने मलैका द्वीप पर इसकी खोज की। इसलिए सालों तक इसके व्यापार पर पुर्तगालियों और डच लोगों का एकाधिकार रहा।
इसके उपयोग का सबसे पुराना इतिहास चीन में मिलता है, लेकिन लौंग का सबसे पुराना पेड़ इंडोनेशिया में है। इसके टर्नेट द्वीप पर दुनिया का सबसे पुराना लौंग का पेड़ है। इसका नाम एफो है और यह 350 से 400 साल पुराना है। प्राचीन काल में टर्नेट तथा इसके पड़ोसी द्वीप तिदोर पर जड़ी-बूटियां उगाई जाती थी। इस द्वीप पर पैदा होने वाली लौंग मध्यपूर्व के देशों जैसे- यूरोप और चीन में निर्यात की जाती थी। सुमात्रा, जमैका, ब्राजील, पेबा तथा वेस्ट इंडीज़ भी लौंग उत्पादक देश हैं।
कितने काम की है लौंग
लौंग का वानस्पतिक नाम सियाजियम एरोमैटिकम है। यह मटेंसी कुल के यूजीनिया कैरियोफ़ाइलेटा नामक मध्यम कद वाले सदाबहार वृक्ष का प्रकार है। अंग्रेजी में इसे क्लोव (clove) कहा जाता है, जो कि लैटिन भाषा के क्लैवस शब्द से बना है। लौंग को पीसकर गरम मसाले में मिला दिया जाए और खाद्य पदार्थ में डाल दिया जाए तो वह बहुत अच्छी सुंगध देने लगता है। भोजन में जायका बढ़ाने के लिए इसका अलग-अलग प्रकार से उपयोग किया जाता है। इसके अलावा टुथपेस्ट, साबुन, इत्र, दवा और तेल बनाने में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है। इसके डंठल, फल एवं फूल भी उपयोगी है।
अलग-अलग नाम
लौंग को विभिन्न भाषाओं में अलग-अलग नामों से जाना जाता है। जैसे- मलयालम में करायाम्पू, संस्कृत में पिप्पली रसायन, तमिल में ग्राम्पू, कन्नड़ में हिप्पली, तेलुगु में पिप्पली, तिब्बती भाषा में पिपिलंग, थाई भाषा में डिपली, बांग्ला में पिपुल, चीनी भाषा में बीबा तथा मराठी में लेंडी पिंपळी कहा जाता है। लौंग का उपयोग भारतीय व्यंजनों में बहुतायत में किया जाता है। औषधि के रूप में भी इसका उपयोग किया जाता है।
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