आपने वो गाना तो जरूर सुना होगा “खइके पान बनारस वाला”.. वर्ष 1978 में आई अमिताभ बच्चन की डॉन फिल्म किसी याद हो न हो इसका यह गाना हर किसी को याद है। शायद इसीलिए जब भी कोई व्यक्ति पान खाता है तो इस गाने को अवश्य गुनगुनाता है। दरअसल पान के साथ भारत का गहरा इतिहास जुड़ा हुआ है। शुरूआत से परंपरा रही है कि शादी-ब्याह के समय घर में आने वाले मेहमानों को पान खिलाया जाता है।
ऐसा भी माना जाता है कि भोजन के बाद इसका सेवन करने से पाचन जल्दी होता है। अधिकतर लोग रात के खाने के बाद पान खाते हैं। किसी को मीठा पान पसंद होता है तो किसी को सादा। पान में सुपारी और चूना मिलाकर भी खाया जाता है, जिसे बीड़ा कहते हैं। लोग अपने स्वाद के हिसाब से इसमें सुगंधित मसाले, लोंग और कपूर मिलाकर खाते हैं। इसे अनेक भाषाओं में अलग-अलग नामों से जाना जाता है।
पान का उद्भव
अगर बात करें इसके उद्भव की तो मलाया द्वीप को इसका उद्भव स्थान माना जाता है। इसे तांबुल, भीट या बरोज भी कहते हैं। इसका आकार दिल के जैसा होता है। पान की खेती करना बहुत आसान है। भारत में इसकी पैदावार लंबे समय से हो रही है। भारत, बर्मा, श्रीलंका, थाईलेंड जैसे राज्यों में इसकी खेती प्रमुख रूप से की जाती है। 10 डिग्री से लेकर 30 डिग्री तापमान में इसकी अच्छी उपज होती है।
इसमें वाष्पशील तेल, अमीनो अम्ल, कार्बोहाइड्रेट तथा कई प्रकार के विटामिन पर्याप्त मात्रा में होते हैं। स्वाद के हिसाब से यह चार प्रकार का होता है। कटु, कषाय, तिक्त और मधुर। यह अंगूर की लता की तरह ही बढ़ता है। इसमें कोई फल नहीं लगता केवल पत्तियां उगती है। इसके मुल इतिहास की बात करें तो इसका कोई प्रमाण नहीं मिलता है, लेकिन वात्स्यायनकामसूत्र और रघुवंश जैसे कई प्राचीन ग्रंथों में तांबूल (पान) शब्द का उल्लेख मिलता है।
वैज्ञानिक दृष्टि से महत्व
पान वैज्ञानिक दृष्टि से बहुत महत्व है। यह वनस्पति दक्षिण भारत और उत्तर पूर्वी भारत में खुले स्थानों पर पाई जाती है। इसकी पैदावार के लिए नमी और धूप की आवश्यकता होती है। यूं तो पान की कई किस्में है लेकिन वैज्ञानिक आधार पर इसकी पांच प्रमुख प्रजातियां है। जैसे- बंगला, मगही, सांची, देशावरी, कपूरी। कपूरी किस्म को मीठी पत्ती भी कहा जाता है। पान का वर्गीकरण पत्तों की संरचना और इसके रासायनिक गुणों के आधार पर किया गया है। वाष्पशील तेल इसका मुख्य रासायनिक गुणों है। इनमें कई औषधीय गुण पाए जाते हैं। चरक संहिता में भी इसके औषधीय गुणों का वर्णन किया गया है।
किस भाषा में क्या नाम
विभिन्न भारतीय भाषाओं में इसे अलग-अलग नामों से जाना जाता है। जैसे- संस्कृत में ताम्बूल, तेलुगू में पक्कू, तमिल और मलयालम में वेटिलाई, मराठी में नागवेल और गुजराती में नागुरवेल। भारतीय लोग हिन्दू धर्म के 16 संस्कारों में से कई संस्कारों के समय इसका प्रयोग करते हैं। जैसे- नामकरण और यज्ञोपवीत संस्कार। वेदों में भी पान के सेवन का वर्णन मिलता है।
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