आपने अक्सर बिल्ली के आने के डर से घर में दुध छुपाकर रखा होगा। इसके इसी स्वभाव के कारण बच्चे अपने बचपन में ही बिल्ली से घुलमिल जाते हैं। हमारे आस-पास के वातावरण में कई जानवर मौजूद होते हैं। जिनमें से कुछ जानवरों से हमारा हर दिन सामना हो जाता है। भेड़-बकरी, गायों व कुत्तों के अलावा बिल्ली भी एक ऐसा जानवर है जो लगभग हर दिन हमारे सामने आजाता है।
इसकी तेज-तर्रार आंखे और मुंह पर उगे बाल लोगों में डरावनापन पैदा कर देते हैं। लेकिन फिर भी यह लोगों की सबसे अच्छी दोस्त मानी जाती है। पालतू पशु के रूप में भी यह लोगों का पंसदीदा जानवर है। लोग घरों में रखने के साथ-साथ इसे अपनों बच्चों की तरह पालते भी हैं। यह शाकाहारी व मांसाहारी दोनों प्रकार का जीव है। जिसे अगर खुला छोड़ दिया जाए, तो भोजन के रूप में अन्य छोटे जीवों का शिकार करते हैं। सुंघने व सुनने की क्षमता इनमें बाकि जानवरों से अधिक होती है।
यूरोप का पालतु पशु
जीव जगत में इसे सबसे सक्रिय जीव के तौर पर जाना जाता है। इसका मजबूत और लचीला शरीर दिनभर चलायमान रहता है। यह गलियों, पार्कों व घरों में इधर से उधर फुदकती रहती है। इसकी तेज़ अभिक्रियाओं, संकुचन योग्य पंजे और अपने छोटे शिकार को मारने के लिए जाना जाता है। शिकार के लिए इसके पास रूपांतरित दांत होते हैं। बिल्ली एक द्विगुणसूत्रक जानवर हैं, जिनमें 38 गुणसूत्र और लगभग बीस हजार जीन पाए जाते हैं।
अब तक इनके 250 आनुवंशिक रोगों की पहचान की जा चुकी है। यूरोप और उत्तरी अमेरिका के अधिकतर लोग बिल्लियां पालते हैं। ऐतिहासिक स्रोतों से की मानें को बिल्लियों को इसलिए पाला जाता था क्योंकि ये चूहों को खा जाती थी, जिससे अनाज को नुकसान से बचाया जा सकता था। यह एक सामाजिक जानवर है। इसलिए जहां-जहां मनुष्य निवास करते हैं ये वहीं पाई जाती है।
घने अंधेरे में भी देख सकती है
यह एक मांसाहारी स्तनधारी जीव है। जो भोजन के रूप में कीड़े-मकोड़े, छिपकली और चूहों का सेवन करते है। इसकी मादा जाति को बिल्ली तथा नर जाति को बिलाऊ कहा जाता है। सुनने और सुंघने की प्रखर शक्ति के साथ-साथ इसमें कम रोशनी में भी देखने की शक्ति है। इसकी आंखे इतनी तेज हैं कि घने अंधेरे में भी देखने में सक्षम होती है। साथ ही सुनने की क्षमता इतनी मजबूत होती है कि धीमी सी आवाज को भी सुनकर यह अपने शिकार तक पहुंच जाती है। इसे व्यक्ति का सबसे अच्छा साथी माना जाता है। करीब 95 सौ वर्षों से यह मनुष्य के साथी के रूप में जाना जाता है। इसका जीवनकाल 15 वर्षों का होता है।
नवपाषाण युग के साक्ष्यों में बिल्ली
पूरी दुनिया में 50 करोड़ से अधिक बिल्लियां पाई जाती है। बिल्लियों को प्राचीन मिस्र में पूजा जाता था। यह उस समय का पूजनीय जानवर थी। क्योंकि प्राचीन मिस्री देवी बास्त बिल्ली का रूप धारण करती थी। नवपाषाण काल के मिले साक्ष्यों से अनुमान लगाया गया कि इसे पालतू पशु के रखा जाता था। बिल्ली को एकान्त में शिकार करने वाले जीव के रूप में भी जाना जाता है।