Republic Day 2024 : नई दिल्ली। देश आज 75वां गणतंत्र दिवस मना रहा है। इस मौके पर दिल्ली के कर्तव्य पथ पर 90 मिनट की परेड के दौरान भारत ने अपनी बढ़ती सैन्य ताकत और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का प्रदर्शन किया। गणतंत्र दिवस समारोह के दौरान खास बात ये रही कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू पारंपरिक बग्घी में बैठकर राजपथ पहुंचीं। इस दौरान समारोह के मुख्य अतिथि फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों भी उनके साथ बग्घी में बैठे हुए थे। बता दे कि 40 साल के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है जब राष्ट्रपति बग्घी में बैठकर गणतंत्र दिवस में पहुंची है। इससे पहले 1984 में राष्ट्रपति ने गणतंत्र दिवस पर इस बग्घी की सवारी की थी।
बता दें कि देश में पहली बार साल 1950 में गणतंत्र दिवस पर इस बग्घी का इस्तेमाल किया गया था। तब राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने राजपथ पर हुई परेड में इसी बग्घी में बैठकर पहले गणतंत्र दिवस समारोह में हिस्सा लिया था। लेकिन, 1984 के बाद यह परंपरा बंद हो गई थी। अंतिम बार देश के 7वें राष्ट्रपति ज्ञानी ज़ैल सिंह ने बग्घी में सवारी की थी। लेकिन, 31 अक्टूबर 1984 को इंदिरा गांधी की हत्या के बाद इस प्रथा को बंद कर दिया गया था। तब पहली बार साल 1985 में हाई सिक्योरिटी कवर वाली कार इस्तेमाल किया गया था। लेकिन, अब 40 साल बाद फिर से यह परंपरा शुरू की गई है।
कलाम, मुखर्जी, पालिट और कोविंद भी कर चुके है बग्घी में सवारी
बता दें कि पहली बार इस बग्घी का इस्तेमाल भारत के पहले राष्ट्रपति राजेंद्र डॉ. प्रसाद ने 1950 में गणतंत्र दिवस के मौके पर किया था। लेकिन, ।984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद राष्ट्रपति की सुरक्षा को देखने हुए बग्घी को हटा दिया गया था और बग्घी की जगह बुलेटप्रूफ कार ने ले ली थी। लेकिन, साल 2014 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने एक बार फिर बग्घी का इस्तेमाल किया। वह बीटिंग रिट्रीट कार्यक्रम में शामिल होने के लिए इसी बग्घी में पहुंचे थे। इसके बाद 25 जुलाई 2017 के दिन रामनाथ कोविंद भी राष्ट्रपति पद की शपथ लेने राष्ट्रपति भवन से संसद तक बग्घी से पहुंचे थे। प्रणब से पहले पूर्व राष्ट्रपति रहे डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम और प्रतिभा पाटिल को भी कुछ खास मौकों पर इस बग्घी का इस्तेमाल करते देखा गया था।
टॉस में पाकिस्तान से भारत ने जीती थी ये बग्घी
दरअसल, आजादी के बाद भारत ने यह बग्घी पाकिस्तान से जीती थी। साल 1947 आजादी के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच हर चीज का बंटवारा हुआ था। लेकिन, जब ब्रिटिश राज के वायसराय की बग्घी की बारी आई तो भारत और पाकिस्तान ने अपना-अपना दावा ठोका था। ऐसे में टॉस करना पड़ा। जिसमें जीत भारत की हुई और ये बग्घी भारत को मिल गई।
जानें-क्या खास ये बग्घी?
घोड़ों से खींची जाने वाली ये बग्घी मूल रूप से भारत में ब्रिटिश राज के दौरान वायसराय की थी, जो अब भारत की है। इस बग्घी की खास बात ये है कि इसमें सोने की परत चढ़ी हुई है। अंग्रेजों के जमाने में वायसराय इसका इस्तेमाल करते थे। सोने की परत चढ़इ इस बग्घी के दोनों ओर भारत का राष्ट्रीय चिह्न सोने से अंकित है। इस बग्घी को खींचने के लिए खास घोड़े चुने जाते हैं। उस वक्त 6 ऑस्ट्रेलियाई घोड़े बग्घी को खींचा करते थे, लेकिन अब इसे चार घोड़े ही खींचते है। आजादी के बाद खास मौके पर इस बग्घी का इस्तेमाल देश के राष्ट्रपति करने लगे।