Liquor Policy Case : नई दिल्ली। शराब नीति मामले में जेल में बंद दिल्ली के पूर्व डिप्टी मनीष सिसोदिया को दिल्ली हाईकोर्ट से राहत नहीं मिली है। दिल्ली हाइकोर्ट ने मंगलवार को मनीष सिसोदिया की ओर से दायर जमानत याचिका को खारिज कर दिया है। ऐसे में अब सोसिदिया सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे और दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देंगे। जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान मंगलवार को जज ने कहा कि आरोप गंभीर है, ऐसे में जमानत देना सही नही होगा। कोर्ट ने कहा कि गवाहों को सिसोदिया प्रभावित कर सकते है। बता दें कि हाईकोर्ट ने पिछली सुनवाई में मनीष सिसोदिया की जमानत पर 11 मई को फैसला सुरक्षित रखा था। सीबीआई ने मनीष सिसोदिया के जमानत का विरोध करते हुए कहा था कि पूर्व उपमुख्यमंत्री सत्ता में हैं और उनका राजनीतिक रसूख है।
सीबीआई ने कहा था कि सिसोदिया ने आबकारी सहित विभिन्न विभागों को नियंत्रित किया और जिस दिन मामला एलजी द्वारा सीबीआई को भेजा गया उस दिन जानबूझकर कुछ सबूत और एक मोबाइल फोन को नष्ट कर दिया। सीबीआई ने दस्तावेजों से संबंधित एक लापता फाइल का भी उल्लेख किया था और कहा था कि यह शायद इसलिए गायब हो गई क्योंकि इसमें कुछ टिप्पणियां थीं जो इनके खिलाफ थी। सीबीआई ने कहा था कि हमारा कहना यह है कि फाइल को नष्ट कर दिया गया या इसे गायब कर दिया गया। हमारे पास यह दिखाने के लिए सबूत हैं कि आखिरी बार उन्हें ही सौंपी गई थी। इसमें कैबिनेट नोट था।
शराब नीति घोटाले में सिसोदिया की अहम भूमिका
सिसोदिया ने कहा था कि शराब घोटाला मामले में सीबीआई द्वारा उनके पास से धन के लेनदेन का कोई सबूत नहीं मिला है और उनके खिलाफ आरोप संभावना के दायरे में हैं। दिल्ली में कथित नई आबकारी नीति घोटाले के आरोप में मनीष सिसोदिया को 26 फरवरी को आठ घंटे की लंबी पूछताछ के बाद सीबीआई ने गिरफ्तार कर लिया था। आरोप है दिल्ली शराब नीति घोटाले में सिसोदिया की अहम भूमिका थी। सिसोदिया केजरीवाल सरकार के सबसे ताकतवर मंत्री थे। उनके पास कुल 33 में से 18 विभाग थे।