India Meteorological Department: जयपुर। भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने कहा कि ‘अल नीनो’ की स्थिति बनने के बावजूद भारत में दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के दौरान सामान्य बारिश होने की उम्मीद है। यह पूर्वानुमान कृषि क्षेत्र के लिए राहत की खबर है। कृषि क्षेत्र फसलों की उपज के लिए मुख्य रूप से मॉनसून की बारिश पर ही निर्भर रहता है। एक दिन पहले, मौसम का पूर्वानुमान लगाने वाली निजी एजेंसी ‘स्काईमेट वेदर’ ने मॉनसून के दौरान देश में सामान्य से कम बारिश का अनुमान जताया था। भारत में मानसून के दौरान लगातार चार साल सामान्य और सामान्य से अधिक बारिश हुई है। स्काईमेट ने कम मानसून वर्षा की 20 फीसदी संभावना जताई है, जबकि आईएमडी के अनुमान के मुताबिक यह 16 फीसदी है।
इस साल है अल नीनो का डर
अल नीनो के कारण दक्षिण अमेरिका के पास प्रशांत महासागर की सतह के जल का ताप सामान्य से अधिक हो जाता है और इसे मानसून की हवाओं के कमजोर पड़ने तथा भारत में कम बारिश के साथ जोड़ कर देखा जाता है। लगातार तीन बार ‘ला नीना’ के प्रभाव के बाद इस साल अल नीनो की स्थिति बनेगी। ला नीना, अल नीनो की विपरीत स्थिति है।
देश में 52 प्रतिशत खेती बारिश पर निर्भर
भारत के कृषि परिदृश्य के लिए सामान्य बारिश महत्वपूर्ण है क्योंकि खेती वाले क्षेत्र का 52 प्रतिशत इसी पर निर्भर है। यह देश भर में बिजली उत्पादन के अलावा पेयजल आपूर्ति के लिए महत्वपूर्ण जलाशयों में जल के भंडारण के लिए भी जरूरी है। देश के कुल खाद्य उत्पादन में वर्षा आधारित कृषि का हिस्सा लगभग 40 प्रतिशत है, जिससे यह भारत की खाद्य सुरक्षा और आर्थिक स्थिरता में महत्वपूर्ण योगदान देता है। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव एम रविचंद्रन ने कहा, भारत में दक्षिण-पश्चिम मॉनसून (जून से सितंबर) के दौरान सामान्य बारिश हो सकती है। यह दीर्घावधि औसत का 96 फीसदी है।
आईएमडी का राहत भरा पूर्वानुमान
आईएमडी के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्रा ने बताया कि बारिश के सामान्य और ‘सामान्य से ज्यादा’ होने की 67 फीसदी संभावना है। उत्तर-पश्चिम भारत, पश्चिम मध्य और पूर्वोत्तर क्षेत्रों में दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के दौरान ‘सामान्य’ और ‘सामान्य से कम’ बारिश होने का पूर्वानुमान किया गया है। प्रायद्वीपीय क्षेत्र, इससे लगे पूर्वी मध्य, पूर्वी, पूर्वोत्तर क्षेत्रों के कई हिस्सों में तथा उत्तर-पश्चिम भारत के कुछ हिस्सों में सामान्य बारिश हो सकती है।
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