फाइबर से भरपूर ‘बैंगन’ के अनगिनत फायदे, चीन में होती है इसकी सबसे अधिक पैदावार

सब्जियों में खास स्थान रखने वाला बैंगन लगभग हर व्यक्ति की पंसदीदा सब्जी है। यूं तो सब्जियों में आलू का स्थान सबसे ऊपर हैं, लेकिन…

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सब्जियों में खास स्थान रखने वाला बैंगन लगभग हर व्यक्ति की पंसदीदा सब्जी है। यूं तो सब्जियों में आलू का स्थान सबसे ऊपर हैं, लेकिन बैंगन भी सभी सब्जियों में अपनी खास पहचान रखता है। यह आलू के बाद दसरी सबसे जयादा खाने वाली सब्जी है। बैंगन की पैदावार में भारत दुनिया में दूसरे  नम्बर पर है। बैंगन स्वादिष्ट होने के साथ-साथ एक फायदेमंद सब्जी भी है। वजन घटाने में यह बेहद कारगर साबित होती है। इसमें बहुत कम मात्रा में कै लोरी मौजूद होती है। फाइबर से भरपूर इस सब्जी में कॉलेस्ट्रोल बहुत कम पाया जाता है। इसमें पोटेशियम व मैंगनीशियम की अधिकता होती है। यही कारण है कि इससे कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ता नहीं है।

बैंगन के बारे में

बैंगन को अंग्रेजी में ब्रिंजल कहा जाता है। बैंगन सोलेनेसी कुल का एक पौधा है। सबसे पहले यह भारत में पैदा किया गया। वर्तमान में आलू के बाद बैंगन ही दूसरी सबसे अधिक खपत वाली सब्जी है। विश्व में सबसे अधिक बैंगन की पैदावार चीन में होती है। यहां दुनिया का 54 प्रतिशत बैंगन पैदा किया जाता है। इसके बाद भारत बैंगन की दूसरी सबसे अधिक पैदावार करता है। भारत में इसकी 27 प्रतिशत पैदावार होती है। देश में 5.5 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में इसका उत्पादन किया जाता है। इसे ऑबर्जिन या गिनी स्क्वैश भी कहा जाता है। यह एक बारहमासी पौधा है जिसे खाद्य पदार्थों के साथ उगाया जाता है। इसे गर्म जलवायु की आवश्यकता होती है। प्राचीन काल से इसकी खेती मूल दक्षिण पूर्व एशिया में की जाती रही है। आमतौर पर इसे वर्ष में एक बार उगाया जाता है। इसके पौधे में एक सीधा झाड़ीदार तना होता है। इसके पत्ते गोलाकार होते हैं।

उपज

बैंगन का पौधा 2 से 3 फीट लंबा होता है। इसका रंग हरा तथा बैंगनी होता है। इसके अलावा पीले तथा सफेद रंग का बैंगन भी उगाया जाता है। आकार में गोल, अंडाकार या सेव के आकार का होता है। इसकी अधिकतम लंबाई एक फु ट तक होती है। यह भारत का देशज है। पहाड़ी भागों के अलावा पूरे भारत में इसकी पैदावार होती है। प्राचीन काल से ही भारत में इसकी खेती की जाती रही है। इसके लिए बलुई दोमट मिट्टी सबसे अधिक उपजाऊ मानी जाती है। इसकी बुवाई करने से पहले खेत की मिट्टी में पुरानी गोबर की खाद तथा अमोनियम सल्फेट उर्वरक डाला जाता हैं। इसी के साथ राख का इस्तेमाल भी किया जाता है। बैंगन मूल रूप में भारत की फसल मानी जाती है। भारत के अलावा यह फसल इटली, मिस्र, फ्रांस और अमेरिका में भी उगाई जाती है।

बुवाई का समय

एक वर्ष में इसकी बुवाई एक बार की जाती है। लेकिन यदि पौधे पर खराब बैंगन आने लगते हैं तो इसके तने को काट दिया जाता है। इसके बाद नए सिरे से बैंगन लगना शुरू हो जाते हैं। ऐसा लगातार तीन बार किया जा सकता है। खेत में इसके बीज जून-जुलाई माह में डाले जाते हैं। यह पौधा वर्षा ऋतु में बैंगन देने लगता है।

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