25 हजार का ईनामी अपराधी आया रेंज पुलिस की गिरफ्त में,रेंज आईजी विकास कुमार की स्पेशल टीम की कार्यवाही

Crime News: जोधपुर रेंज के आईजी विकास कुमार के निर्देशन में जोधपुर रेंज की स्पेशल साइक्लोनर टीम ने एक ओर कमाल की कार्यवाही करते हुए…

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Crime News: जोधपुर रेंज के आईजी विकास कुमार के निर्देशन में जोधपुर रेंज की स्पेशल साइक्लोनर टीम ने एक ओर कमाल की कार्यवाही करते हुए ऑपरेशन पैराडॉक्स चलते हुए तीन जिलों के फरार और 5 साल से चल रहे इनामी आरोपी को गिरफ्तार किया है। आरोपी के खिलाफ अब तक 27 मामले दर्ज हैं। उसकी गिरफ्तारी पर जैसलमेर जिले से 25000 का इनाम भी घोषित था पुलिस की टीम में उसकी तलाश में जुटी हुई थी। रेंज आईजी विकास कुमार ने बताया कि पुलिस ने इस मामले में आरोपी दानसिंह को गिरफ्तार किया गया है। आरोपी पिछले 5 वर्षों से फरार चल रहा था उसके खिलाफ चोरी नकबजनी पॉकेट मेरी सहित कई अन्य धाराओं में करीब 27 मामले दर्ज हैं।

वर्ष 2003 में ली थी अपराध की दुनिया में एंट्री

विकास कुमार ने बताया कि उसने सबसे पहले साल 2003 में अपराध की दुनिया में एंट्री ली थी और 2019 तक 27 मामले उसके खिलाफ दर्ज हो चुके थे। साल 2019 में न्यायालय से जमानत मिलने के बाद से ही आरोपी फरार चल रहा था। इसके चलते उस पर इनाम भी घोषित किया गया था। उसकी तलाश में जैसलमेर बाड़मेर और बालोतरा जिले की पुलिस भी लगी हुई थी।

इस विशेष ऑपरेशन के तहत की कार्यवाही

आईजी विकास कुमार की एक अच्छी खूबी यह है कि वह हर ऑपरेशन को एक बेहतरीन नाम देने के साथ ही अंजाम तक पहुंचाने का काम करते है। इस बार उसे पकड़ने के लिए पैराडॉक्स नाम का ऑपरेशन चलाया गया। इसके पीछे की वजह बताते हुए आईजी विकास कुमार ने बताया कि दानसिंह के जीवन में विरोधाभास था। क्योंकि दान सिंह नाम का अर्थ होता है दान देने वाला लेकिन वह कर्मों से चोरी अर्थात लेने वाला है उन्होंने बताया कि डांसिंग डॉक्टर जैकाल और मिस्टर हाइड की कहानी का नाट्य रूपांतरण रहा है।

विक्रम सिंह नाम से पुलिस की आंखो में झोंकता रहा धूल

दानसिंह बनकर वह दुसाहसी चोरियां करता रहा तो अपना दूसरा नाम विक्रम सिंह रखकर वह समझ में सफेद पोस बनाकर घूमता रहा। पिछले 5 वर्षों से विक्रम सिंह नाम रखकर ही वह पुलिस की आंखों में धूल झोंक रहा था। आरोपी ने फरारी के दौरान गुजरात के दो होटल में वेटर का काम किया। इसके बाद जोधपुर में व्यापारी बनकर इलाके में ट्रांसपोर्टर का बिजनेस शुरू किया। इस दौरान यहां व्यापारियों से करीब तीन से चार लाख रुपए ठग कर भुवनेश्वर भाग गया। यहां से वापस लौटने के बाद कुड़ी में अकाउंट खुलवाने और डिजिटलाइजेशन का काम शुरू कर दिया।

इस तरह करता था ठगी

पुलिस से बचने के लिए आरोपी दान सिंह ने अपने पुराने सारे संपर्क तोड़कर नए संपर्क बनाए और खुद का विक्रम सिंह नाम बताकर अपने अन्य साथी के साथ रह रहा था। अपने नेटवर्क को मजबूत करने के लिए दूसरे लोगों के नाम से मोबाइल और सिम खरीद रहा था। इसमें बिहार के मजदूरों को अपने जाल में फंसा कर उनके नाम से अकाउंट खुलवा देता था और बाद में उनके अकाउंट का डिजिटल सिग्नेचर बनाकर गलत इस्तेमाल करता था।

शौक मौज की जिंदगी जीना चाहता था अपराधी

आरोपी पुलिस के भय से कुछ महीने पहले हुई अपने भाई और बहन की सगाई कार्यक्रम में भी नहीं पहुंचा था। यहां पर वीडियो रिकॉर्डिंग देखकर उन्हें आशीर्वाद दे रहा था। उसकी तलाश में पुलिस अहमदाबाद और भुवनेश्वर में ठिकानों पर दबिश देती रही लेकिन आरोपी कुड़ी में गुप्त ठिकाने पर बैठकर अपनी नई कार्रवाइयों को अंजाम देते रहा। आईजी विकास कुमार ने बताया कि दान सिंह शौक मौज की जिंदगी भी जीना चाहता था इसके चलते वह महिलाओं से दोस्ती रखता था और उनसे महंगे महंगे उपहार भी दिया करता था। ऐसे ही एक उपहार की डिलीवरी घर पर लेने के क्रम में डिलीवरी बॉय का पीछा करके पुलिस ने दान सिंह के सही ठिकाने का पता लगाया। इसके बाद आज सुबह गिरफ्तारी के लिए कुड़ी में ठिकाने पर टीम साइक्लोनर के प्रभारी कन्हैयालाल के नेतृत्व में टीम ने दबिश दी।

यह रहे कार्यवाही टीम में शामिल

पहले तो खुद को विक्रम सिंह बात कर पुलिस को गुमराह करने की कोशिश की लेकिन उसके कमरे से बरामद हुए आधार कार्ड से उसकी पोल खुल गई। पुलिस से गिर जाने के बाद आरोपी ने खुद को एक लाइलाज बीमारी का शिकार बताकर पुलिस को दूर रखने और भागने का अंतिम प्रयास किया लेकिन टीम ने आखिरकार उसे दबोच ही लिया। दान सिंह ने अपने रूम पार्टनर को भी खुद की पहचान एक ट्रांसपोर्ट व्यावसायिक के तौर पर ही बताई। इसके चलते वह भी उसके झांसे में आ गया। इस पूरी कार्रवाई में टीम के प्रभारी कन्हैयालाल, प्रमित चौहान, देवाराम, महेंद्र कुमार, महिपाल सिंह, अशोक कुमार, मनीष कुमार, अशोक परिहार, स्ट्रांग टीम से रोहिताश, राजू नाथ घासीलाल, गोपाल जानी शामिल रहे।