(रिपोर्ट- गिरीश दाधीच) : जोधपुर। राजस्थान के जोधपुर को सूर्य नगरी और नारायण की नगरी भी कहा जाता है। सूर्य नगरी के नाम से मशहूर जोधपुर में गर्मी की तपिश भी अन्य राज्यों से ज्यादा रहती है। इन दिनों जोधपुर की जनता गर्मी से परेशान है। वहीं दूसरी तरफ कायलाना झील से पानी नहीं आने से पानी की किल्लत परेशानियों को और बढ़ा रही है। इसकी वजह इंदिरा गांधी नहर में मरम्मत के कारण लिया गया क्लोजर है। जो अब अपने आखिरी चरण में है। 30 मई को पंजाब की ओर से फिर से नहर में पानी छोड़ा जाएगा। जिसे जोधपुर पहुंचने में 7 से 8 दिन का समय लगेगा।
इंदिरा गांधी नहर में मरम्मत के कारण लिया गया क्लोजर…
जोधपुर के कायलाना झील में पानी पंजाब की इंदिरा गांधी नहर से आ रहा है। इन दिनों पंजाब नहर के कई हिस्सों में मरम्मत चल रही है। उसी कारण जोधपुर वासियों को अभी तेज गर्मी में पानी की किल्लत का भी सामना करना पड़ रहा है। जोधपुर में हर 2 दिन छोड़कर पानी आ रहा है। आम जनता पानी की समस्या को लेकर परेशान हैं। फिलहाल, जोधपुर की जनता इसी उम्मीद में है कि पंजाब की नहर जो जोधपुर कायलाना झील से जुड़ती है जल्दी उसकी मरम्मत का काम हो जाए, ताकि पानी की किल्लत जोधपुर में नहीं हो।
बता दें कि कायलाना झील की कई वर्षों से जोधपुर की जनता की प्यास बुझा रही है। पूरे जोधपुर में कायलाना झील से पानी की सप्लाई होती है। देश जब आजाद हुआ था उससे पहले से कायनाला झील लोगों की प्यास बुझा रही है। जोधपुर की जनता कायलाना झील को मां का भी दर्जा देते हैं क्योंकि मां कभी अपने बच्चों को दुखी नहीं रखती प्यासा नहीं रखती कायलाना झील एक ऐसी मां है जो वर्षों से जोधपुर के बच्चों को पानी पिलाकर उन्हें तृप्त कर रही है। चाहे कितना भी क्लोजर हुआ हो कायनाला झील पानी की पूर्ति करती है। गर्मियों में अगर कई दिनों तक पंजाब नहर से पानी नहीं आए तो इसका स्टोरेज हुआ पानी लोगों की प्यास बुझा सकती है।
गर्मियों में यहां से चलती थी पानी की ट्रेन…
कुछ सालों पहले गर्मियों में जोधपुर से स्पेशल ट्रेन चलती थी। जो इसी झील से पानी भरकर पाली जिले की जनता की प्यास बुझाती थी। लेकिन इन दिनों कायलाना झील से पानी की सप्लाई बंद होने से लोगों को परेशानी हो रही है। पानी की किल्लत को लेकर सच बेधड़क की टीम ने जोधपुर कायलाना झील का जायजा लिया। ऐसे में हकीकत कुछ अलग ही निकली। तेज गर्मी में पानी की किल्लत आमजन को सता रही है। दूसरी और कायलाना झील में इतना पानी है कि जोधपुर वासियों को चिंता करने की बात नहीं है। अब जोधपुर कायलाना झील की बात करते है। आखिर इसे यहां की जनता ने क्यों मां का दर्जा दिया है, आइए जानते है।
महल तोड़कर जनता के लिए बनाई झील…
दरअसल, शहर के बीचोंबीच बनी हुई कायलाना झील जितनी खूबरसूरत है, इसका इतिहास भी उतना ही रोचक है। सन 1872 में तत्कालीन महाराज सर प्रताप सिंह ने पूर्व शासक भीम सिंह व तख्त सिंह द्वारा निर्मित महल व बगीचों को ध्वस्त कर यह झील का निर्माण करवाया था। सर प्रताप सिंह को आधुनिक जोधपुर का निर्माता भी कहा जाता है। सर प्रताप ने झील को जोधपुर शहर की प्यास बुझाने के लिए बनाया था। इस झील को बनाने के लिए अपना महल और बगीचों को तोड़ दिया था।
झील के लिए महारानी के गहने तक बेचे…
बारिश के पानी को इकट्ठा करने के लिए बनाई इस झील के निर्माण के लिए पैसे कम पड़े तो महारानी के गहने तक बेच दिए थे। उस समय इस झील का निर्माण करने खर्चा करीब 65 हजार रुपए आया था। अपने शासन काल में उन्होंने जोधपुर की प्यास बुझाने के लिए इस कृत्रिम झील का निर्माण करवाया था।
52.19 मील लंबी है कायलाना झील…
जोधपुर शहर के पश्चिम में स्टेशन से यह झील 8 किलोमीटर दूरी पर स्थित है। कायलाना झील 84 वर्ग मीटर यानी 52.19 मील लंबी है। इसकी गहराई 35 से 40 फिट है। जब जल स्तर बढ़ जाता है तो यहां का लेवल 45 से 50 फिट हो जाता है।
पंजाब की हाथी नहर से आता है पानी…
इस झील में पानी हाथी नहर से आता है। इंदिरा गांधी लिफ्ट केनाल से राजीव गांधी लिफ्ट केनाल होता हुआ पानी हाथी नहर में आता है। कायलाना झील का पानी फिल्टर होकर जोधपुर के घरों में पहुंचता है। जोधपुरवासियों के लिए वाटर सप्लाई का मुख्य स्त्रोत है।
पर्यटक स्थल भी है ये झील..
जोधपुर घूमने आए पर्यटक झील को देखने भी पहुंचते हैं। यह जोधपुर के मुख्य पर्यटक स्थल में से एक है। आसमान में जैसे ही बादलों की काली घटाएं छाती हैं और मौसम खुशनुमा होता है तो स्थानीय लोगों का यहां जमावड़ा लग जाता है। बारिश के मौसम में सुबह से शाम यहां लोग सैर-सपाटा करते नजर आते हैं।