जयपुर: राजस्थान कांग्रेस में चुनावों से महज 6 महीने पहले खींचतान के बादल छंटने का नाम नहीं ले रहे हैं जहां सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच की तकरार फिर किसी नए पड़ाव की ओर जाती दिख रही है. पायलट ने भ्रष्टाचार और करप्शन को लेकर पहले अनशन किया फिर जन संघर्ष यात्रा निकाली और आखिर में अपनी तीन मांगों पर 15 दिन का अल्टीमेटम दिया. अब उस चेतावनी के महज 8 दिन बचे हैं जिसके बाद अगर मांगें नहीं सुनी गई तो पायलट ने अपनी सरकार के खिलाफ एक बड़े आंदोलन का ऐलान कर रखा है.
इस बीच पायलट के बीते दिनों अल्टीमेटम के बावजूद आलाकमान की ओर से मामले पर एक अंतहीन चुप्पी बरकरार है और अभी तक पायलट की मांगों पर किसी भी तरह से बात आगे नहीं बढ़ी है. मालूम हो कि पाय़लट ने बीते दिनों आरपीएससी को भंग कर फिर से गठन, पेपर लीक के पीड़ितों को मुआवजा और वसुंधरा सरकार के दौरान हुए घोटालों की जांच की मांग संबंधित तीन मांगें रखी थी और इन पर एक्शन नहीं होने पर एक प्रदेशव्यापी आंदोलन की धमकी दी थी.
हालांकि अभी तक के रूझानों से यह दिख रहा है कि पायलट की मांगों को दिल्ली दरबार में गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है. इधर खरगे सोमवार से राज्य के मुखियाओं से बैठक करने का सिलसिला शुरू करेंगे जहां राजस्थान कांग्रेस के मसले पर अशोक गहलोत और गोविंद सिंह डोटासरा बैठक में शामिल होंगे.
रंधावा ने दिए पायलट को संकेत!
वहीं राजस्थान कांग्रेस के प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने हाल में सचिन पायलट को लेकर अपना रुख साफ करते हुए कहा कि पायलट की जन संघर्ष यात्रा उनकी निजी यात्रा है और पार्टी का उससे कोई लेना-देना नहीं है. उन्होंने आगे कांग्रेस नेताओं के पार्टी छोड़कर चले जाने पर कहा कि कांग्रेस पार्टी कभी अपने नेताओं को नहीं छोड़ती है और हमारे यहां हर नेता का सम्मान होता है.
हालांकि कुछ नेता खुद से ही जरूर कांग्रेस को छोड़ कर चले जाते हैं. रंधावा ने आगे कहा कि पहले जो भी कांग्रेस छोड़कर गए हैं उनके क्या हालात हुए हैं सबके सामने है. माना जा रहा है कि पायलट के कांग्रेस छोड़ने की अटकलों के बीच रंधावा नाम लिए बिना पायलट को संदेश दे रहे थे.
सुलह का रास्ता या बढ़ेगा टकराव!
गौरतलब है कि राजस्थान में 6 महीनों बाद चुनाव होने हैं ऐसे में चुनावों से पहले कांग्रेस जहां खींचतान में उलझी है वहीं दूसरी ओर बीजेपी पूरी तरह से चुनावी मोड में आ चुकी है. इसके अलावा यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष का चुनाव मामला भी अभी तक फंसा हुआ है जहां पायलट के करीबी अभिमन्यु पूनिया की जीत के बाद रंधावा से नतीजों को लेकर शिकायत की गई है. माना जा रहा है कि इस मामले में भी विवाद बढ़ने पर यह पार्टी के लिए आने वाले समय में नुकसानदायक हो सकता है.