अर्जुन राम मेघवाल को मोदी कैबिनेट में प्रमोशन, 2023 से पहले किस रणनीति के सहारे BJP?

Arjun Ram Meghwal: राजस्थान में चुनावों से पहले मोदी कैबिनेट में एक अहम फेरबदल हुआ है जहां बीकानेर से आने वाले सांसद अर्जुन राम मेघवाल को नया कानून मंत्री बनाया गया है. राजस्थान से आने वाले दलित चेहरे का पीएम मोदी ने कद ऊंचा कर एक बड़ा संदेश दिया है.

arjun ram

जयपुर: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कैबिनेट में एक अहम फेरबदल करते हुए किरेन रिजिजू की कानून मंत्री के पद से छुट्टी कर दी है और राज के बीकानेर से आने वाले सांसद अर्जुन राम मेघवाल को कानून मंत्री की जिम्मेदारी दी गई है. राजस्थान में साल के आखिर में विधानसभा चुनाव होने हैं ऐसे में चुनावों से पहले राजस्थान से आने वाले दलित चेहरे का पीएम मोदी ने कद ऊंचा कर एक बड़ा संदेश दिया है. दरअसल राजस्थान में चुनावों से पहले बीजेपी जातिगत समीकरणों को साधने की रणनीति पर काम कर रही है जहां बीते दिनों ब्राह्मण चेहरे पर दांव खेलते हुए सीपी जोशी को प्रदेशाध्यक्ष बनाया गया था. मोदी कैबिनेट में फेरबदल के कई दिन से कयास लगाए जा रहे थे जहां माना जा रहा था कि फेरबदल में राजस्थान चुनावों को ध्यान में रखते हुए किसी चेहरे को कैबिनेट में शामिल किया जा सकता है.

अब केंद्रीय कैबिनेट में क्षत्रिय-राजपूत, ओबीसी, एससी समाज से एक-एक चेहरे बड़ा पद संभालेंगे. वहीं लोकसभा स्पीकर ओम बिरला वैश्य समाज से आते हैं. इसके अलावा मेघवाल के प्रमोशन को कर्नाटक चुनावों में कांग्रेस की प्रचंड जीत से भी जोड़कर देखा जा रहा है जहां कांग्रेस अध्यक्ष के तौर पर खरगे राजस्थान चुनावों में अहम भूमिका निभा सकते हैं.राजस्थान में 17 फीसदी आबादी दलित समुदाय की है और 34 विधानसभा सीटें एससी रिजर्व है ऐसे में मेघवाल का कद बढ़ाकर बीजेपी ने बड़ा संदेश देने की कोशिश की है.

बता दें कि राजस्थान में विधानसभा चुनावों से पहले बीजेपी सीएम फेस को लेकर पशोपेश में फंसी हुई है जहां आलाकमान की ओर से अभी तक किसी चेहरे को लेकर संकेत नहीं दिए गए हैं. हालांक बीजेपी के तमाम नेताओं का कहना है कि बीजेपी 2023 का चुनाव पीएम मोदी के चेहरे पर लड़ने जा रही है. मालूम हो कि मेघवाल वसुंधरा राजे के विरोधी खेमे के माने जाते हैं और बीते दिनों मेघवाल ने सतीश पूनिया को उगता हुआ सूरज भी कहा था. वहीं इससे पहल अटकलें लगाई जा रही थी कि मेघवाल को चुनाव प्रचार समिति का चैयरमेन भी बनाया जा सकता है.

SC चेहरे पर बीजेपी का दांव!

दरअसल पिछले 5 महीनों में पीएम मोदी के राजस्थान में कई दौरे हो चुके हैं जहां मानगढ़ में आदिवासी समुदाय के बाद आसींद में गुर्जर समाज को संदेश दिया गया वहीं पीएम मोदी के इन दौरों में अर्जुन राम मेघवाल को अहम जिम्मेदारी दी गई थी जहां इन दोनों कार्यक्रम की जिम्मेदारी मेघवाल ही संभाल रहे थे. हालांकि मेघवाल को मोदी कैबिनेट में प्रमोशन मिलने के बाद अब उनकी राजस्थान चुनावों को लेकर कोई बड़ा पद मिलने की संभावनाएं खत्म हो सकती है. मालूम हो कि राजस्थान के सियासी गलियारों में मेघवाल को एससी समुदाय से सीएम फेस के रूप में देखा जा रहा था.

इसके अलावा बीजेपी ने विधानसभा चुनावों के लिए पिछले 3 साल के चुनावी नतीजों का विश्लेषण किया है जिसके मुताबिक 100 सीटों को चिन्हित किया गया है जहां 10 हजार बूथ पर 100-300 वोटों की जिम्मेदारी वहां के स्थानीय चेहरों को दी गई है. बता दें कि इन 100 सीटों में अधिकांश सीटें एससी-एसटी वोटों के प्रभाव वाली है जिन पर वोटर्स के लिए खास रणनीति अपनाई जा रही है.वहीं बीजेपी में काफी समय से यह चर्चा थी कि एससी-एसटी चेहरों को तरजीह नहीं दी जा रही है ऐसे में अब मेघवाल का कद बढाकर उन चर्चाओं को भी खत्म किया गया है.

बता दें कि मेघवाल पीएम मोदी और अमित शाह के करीबी माने जाते हैं और दिल्ली में केंद्रीय नेतृत्व से उनके अच्छे संबंध हैं. मेघवाल का दिल्ली में कद बढाकर वसुंधरा राजे की राह भी आसान की गई है ऐसा माना जा रहा है.इससे पहले राजस्थान में बीजेपी नेताओं की घर वापसी और पार्टी में नए चेहरों को लेकर बनाई गई जॉइनिंग कमेटी के भी अर्जुनराम मेघवाल अध्यक्ष हैं जिन्होंने देवी सिंह भाटी समेत वसुंधरा राजे के कई करीबी नेताओं की बीजेपी में वापसी की राह में रोड़े अटका दिए थे.

कर्नाटक चुनावों से भी जुड़ा है कनेक्शन!

वहीं मेघवाल को पीएम मोदी की टीम में प्रमोशन मिलने को कर्नाटक चुनावों से भी जोड़कर देखा जा रहा है जहां कर्नाटक में खरगे के अध्यक्ष रहते हुए चुनाव लड़ा गया जो एक बड़ा दलित चेहरा हैं, वहीं बताया जा रहा है कि राजस्थान चुनावों को लेकर भी खरगे अहम रोल अदा करेंगे ऐसे में बीजेपी ने दलित वोटों की काट के लिए मेघवाल का कद बढ़ाकर संदेश दिया है.

गौरतलब है कि राजस्थान में दलित 17 फीसदी हिस्सा आबादी में रखते हैं जहां प्रदेश में 34 एससी रिजर्व सीटों में से 19 कांग्रेस के खाते में है वहीं 12 सीटों पर बीजेपी का कब्जा है. ऐसे में मल्लिकार्जुन खरगे के नेतृत्व में कर्नाटक जीतने के बाद कांग्रेस राजस्थान में भी दलितों को साध सकती है.

राजस्थान के राजनीतिक इतिहास को देखें तो दलित समुदाय परंपरागत तौर पर बीजेपी का वोटर रहा है और पिछले 3 बार के चुनाव नतीजे बताते हैं कि एससी-एसटी वोट जिधर मुड़ा है उसने सत्ता की चाबी हासिल की है ऐसे में एससी-एसटी वोट दोनों ही राजनीतिक दलों के लिए अहम है, वहीं पिछले दिनों कांग्रेस ने दलित वोटबैंक में सेंध लगाने की कोशिश की है.

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