जयपुर। राजधानी स्थित ओटीएस चौराहे के पास बनी जलधारा में जल की धारा ही नहीं नजर आ रही। या यूं कहें कि यहां बहने वाले झरने को जैसे ग्रहण लग गया है। कोरोना के बाद गर्मी के दिनों में आमजन को ठंडी हवा और आराम देने वाली जलधारा का शुभारंभ गुरुवार को फिर से हुआ। यहां दिनभर पर्यटक भी आए, मगर उनको यहां शीतलता का अहसास नहीं हुआ, क्योंकि यहां पहले दिन ही बोरवेल खराब हो गया। यहां बहने वाला झरना अपनी रफ्तार ही नहीं पकड़ पाया।
गौरतलब है कि पिछले दिनों ही जेडीए की ओर से जलधारा में करीब 80 लाख का खर्चा रखरखाव और मरम्मत पर किया था। अब जलधारा को ठेके पर दे दिया गया। जहां रखरखाव की जिम्मेदारी ठेकाकर्मी की है। ठेकाकर्मी ने यहां टिकट चार्ज को तो 10 से बढ़ाकर 15 कर दिया, लेकिन अभी तक व्यवस्थाएं पुरानी ही नजर आ रही है।
खुले में पड़े बिजली के तार, हादसे को निमंत्रण
जलधारा में टिकट खिड़की से लेकर अंतिम छोर तक तीन से चार जगह खुले में बिजली के तार बिछे हुए हैं, जो यहां आ रहे पर्यटकों की जान के साथ खिलवाड़ करने जैसा है। इतना ही नहीं यहां लगे बिजली सप्लाई के बॉक्स भी खुले हुए हैं। दूसरी तरफ यहां पर्यटकों के साथ छोटे बच्चे भी आते हैं, ऐसे में यहां बिजली की संबंधित लापरवाही हादसे को निमत्रंण दे रही है।
इधर जलधारा शुरू, उधर खराब हुआ बोरवेल
जलधारा में चार बोरवेल है, जहां से इसमें पानी की सप्लाई होती है। कोरोना के समय से बंद पड़ी जलधारा गुरुवार को शुरू तो हुई मगर यहां सुबह करीब दस बजे ही एक बोरबेल खराब हो गया। इसके अलावा दूसरी में पानी का बहाव ही नहीं आया, जिन दो बोरवेल में पानी आया उससे पूरे दिन यहां बहने वाली नदी में पानी ही नहीं भर पाया। इधर पानी कम होने की वजह से झरना शुरू नहीं हो पाया।
इसलिए बिगड़ी सफाई व्यवस्था
जलधारा तो शुरू हुई मगर यहां आने वाले पर्यटकों को गंदगी और अव्यवस्थाओं के अलावा ज्यादा कुछ नजर नहीं आया। गौरतलब है कि जलधारा में सफाई व्यवस्था संभालने के लिए केवल दो महिला मजदूर लगाई गई है। जो सुबह आठ से शाम तो 6 बजे तक निरंतर सफाई का काम करती है। यहां करीब एक किलोमीटर से अधिक एरिया है जिसमें दो मजदूरों से सफाई व्यवस्था संभल पाना मुश्किल है।
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