Sachin Pilot : नई दिल्ली। राजस्थान कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सचिन पायलट अपने बिछाए जाल में इस तरह फंस गए हैं कि न वे कांग्रेस के रह पाएंगे और ना ही बीजेपी उन्हें आसानी से लेगी। हालांकि, काम वह पूरी तरह से बीजेपी आलाकमान को खुश करने का कर रहे हैं। रहा सवाल नई पार्टी का, तो वो भी बीजेपी आलाकमान के रुख पर निर्भर है। बीजेपी भले ही सचिन प्रकरण से अपना पल्ला झाड़ ले, लेकिन 2020 में मध्यप्रदेश की सरकार गिराने के बाद से राजस्थान में कांग्रेस की सरकार को अस्थिर कराने में सचिन के पीछे पूरा दिमाग लगाया जा रहा है। सचिन पायलट अपने दिल्ली के मित्रों के चक्कर में इस तरह फंसे कि उन्होंने पहले अपनी सरकार को गिराने की पूरी कोशिश की।
जब उसमें सफल नहीं हुए तो सरकार को अस्थिर करने के लिए उन्होंने सभी सीमाएं लांघ दी। आज कांग्रेस ने साफ कर दिया कि सचिन बीजेपी की मदद से पार्टी को कमजोर कर रहे हैं। उसमें प्रशांत किशोर उनके सलाहकार बने हुए हैं। सचिन जिस तरह की राजनीति कर रहे हैं उससे साफ दिख रहा है कि, एक तो वे बीजेपी को ताकत दे रहे हैं, दूसरी तरफ कांग्रेस आलाकमान को उकसा रहे हैं कि पार्टी उन्हें निष्कासित करे और वे बेचारेबन जाएं।
पार्टी होने दे रही एक्सपोज
पार्टी सचिन की पूरी राजनीति को समझ रही है और तुरंत कार्रवाई के बजाय एक्सपोज करने की रणनीति पर चल रही है। सचिन अब तक के घटनाक्रम से एक्सपोज हुए भी हैं और उनकी लोकप्रियता भी घटी है। दरअसल, जनता में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ कोई नाराजगी नहीं। जनता सरकार की योजनाओं से खुश है। आमजन को लगने लगा है कि सचिन अपनी सरकार को हराने के लिए बीजेपी की मदद कर रहे हैं।
पार्टी का सीधा संदेश
सचिन ने 2020 में सरकार गिराने की कोशिश पर तमाम सफाई दी, लेकिन आज तक उस गलती के लिए एक बार भी न सचिन ने और ना ही साथ देने वाले विधायकों ने आलाकमान से माफी मांगी। मंगलवार को जैसे ही सचिन ने लक्ष्मण रेखा लांघी, पार्टी ने तुरंत मुख्यमंत्री गहलोत के पक्ष में ट्वीट जारी कर सीधा संदेश दे दिया कि अब और अनुशासनहीनता सहन नहीं की जाएगी। पार्टी ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की योजनाओ की तारीफ की। यही नहीं मंहगाई राहत कैंप को सराहा। कांग्रेस के ऑफिशियल ट्वीट अकाउंट ने गहलोत के समर्थन में मोर्चा संभाला। पार्टी ने सचिन की यात्रा को हास्यास्पद बताया ।
आलाकमान रखे हुए है नजर
आलाकमान सचिन की सभी गतिविधियों पर गंभीरता से नजर रखे हुए है और कभी भी उनके खिलाफ कार्रवाई हो सकती है। मंगलवार की टाइमिगं सचिन ने ऐसी चुनी जब राहुल गांधी राजस्थान में थे और कर्नाटक में दूसरे दिन वोटिगं होनी थी। एक तरह से पूरी कांग्रेस को चुनौती दे डाली। कर्नाटक में कांग्रेस के भ्रष्टाचार के मुद्दे को कमजोर करने की कोशिश की। सचिन की इस पीसी से राहुल खासे नाराज बताए जाते है, क्योंकि सचिन ने कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी के नाम का प्रयोग कर 25 सितंबर की घटना से जोड़ा, जबकि जग जाहिर है कि 102 विधायकों में से 90 से ज्यादा विधायकों ने आलाकमान के फै सले का नहीं, बल्कि पायलट को सीएम बनाने की खिलाफत की थी। इन विधायकों का साफ कहना था कि 2020 में सरकार के साथ मजबूती से खड़े रहने वाले 102 विधायकों में से ही किसी एक को सीएम बनाया जाए। सरकार के साथ धोखा करने वाले को वह सीएम नहीं स्वीकारेंगे। यही वजह थी कि राहुल गांधी ने सच्चाई जानने के बाद मुख्यमंत्री गहलोत का साथ दिया।