कार्टून हमारी जिंदगी में बचपन से हैं और इसके कई प्रकार हैं। बच्चों के लिए यह मनोरंजन का साधन है, तो राजनीति में इनके जरिए कई बातें कहीं जाती हैं। ऐसे में वर्ल्ड कार्टूनिस्ट डे के मौके पर (World Cartoonist Day) जयपुराइट्स उत्साहित नजर आए तो कार्टूनिस्ट कुछ चितिंत रहे। हिंदी जगत में कार्टून जगत की चुनौतियों पर उन्होंने बात की। ऐसा ही आयोजन कलानेरी में आयोजित किया गया, जिसमें प्रदेश के कार्टूनिस्टों ने अपने इस फील्ड की चुनौतियों पर चर्चा की और समाधान देखे।
इस दौरान अभिषेक तिवारी, कमल किशोर, के जी कदम और सुशील गोस्वामी शामिल रहे। सभी ने चिंता व्यक्त की कि हिंदी पट्टी में नए कार्टूनिस्ट नहीं आ रहे हैं। कार्टून विधा केवल राजनीति की नहीं, बल्कि आम जनता का दुख-दर्द कम करने की विधा है। वर्तमान में कार्टून विधा अनाथ से भी बुरी स्थिति में आ गई है। जब तक लोग अपनी नजर नहीं बदलेंगे तब तक कार्टून विधा के अच्छेदिन नहीं आएंगे। नई पीढ़ी पर मोबाइल का विपरीत असर भी इसके लिए नुकसानदायक है। ग्रासरूट मीडिया फाउंडेशन की ओर से कार्टून के भूतभविष्य और वर्तमान पर चर्चा की गई।
अध्ययन और गंभीरता जरूरी
कार्टून विधा में काफी अध्ययन करने और गंभीरता के साथ कार्य करने की आवश्यकता रहती है। हमेशा अच्छा कार्य करने वालों की जरूरत होती है। किसी बात को अलग तरीके से कहने की क्षमता ही कार्टूनिस्ट को एक अलग स्थान दिलाती है। कार्यक्रम कई संभावनाओं से होते हुए गुजरा और सभी ने एक-दूसरे को इस दिन की शुभकामनाएं दीं। शुरुआत अंकित तिवारी ने की और धन्यवाद राजेश मेठी ने दिया।
कार्यक्रम संयोजक प्रमोद शर्मा ने बताया कि इस अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार राजेंद्र बोड़ा, वरिष्ठ शायर लोकेश साहिल, डॉक्टर एनके कौशिक डीन जेईसीआरसी, विजय शर्मा, दीपा सैनी, तनया गड़करी, मोनिका सुरोलिया, विवेकानंद शर्मा, ताराचंद शर्मा आदि उपस्थित रहे।
सोशल मीडिया पर छाए कार्टून
दूसरी ओर सोशल मीडिया पर कार्टून छाए रहे। इस विधा में रुचि रखने वाले बच्चों और युवाओं ने कई कार्टून बनाकर वर्तमान परिदृष्य को दर्शाया। साथ ही कई हंसा-हंसा कर लोट-पोट कर देने वाले कार्टून भी बनाए। युवाओं की क्रिएटिविटी कई प्रकार के आधुनिक कार्टून्स में दिखाई दी।