हमारे आस-पास के वातावरण में कई ऐसी भौगोलिक चीजें होती हैं, जिन्हें हम अलग नामों से जानते हैं। कुछ वस्तुओं के नाम हम अपने अनुरूप गढ़ लेते हैं, जैसे विद्या का पेड़। दरअसल इस नाम का कोई पेड़ नहीं होता है, फिर भी बचपन से लेकर बड़े होने तक हम एक विशेष पौधे को विद्या के पेड़ के नाम से ही जानते आए हैं। बच्चों में इस पौधे को लेकर एक अलग ही दीवानगी देखी जाती है।
हर बच्चे को लगता है कि अगर उसकी किताब में इसकी पत्तियां होंगी तो पढ़ाई ज्यादा अच्छे से होगी। इसलिए प्रत्येक बच्चे को इस पौधे से खास जुड़ाव रहता है। खैर ऐसा होता है या नहीं इसका तो आज तक पुख्ता सबुत नहीं मिल पाया, लेकिन इस पौधे को असल में क्या कहते हैं यह जान लेना आवश्यक है। विद्या के पेड़ के नाम से पहचाने जाने वाले पौधे का असली नाम थूजा है। इसका आकार शंकू के जैसा होता है, यह नीचे से चौड़ा तथा ऊपर से संकरा होता है। इसलिए इसे शंकुधारी पेड़ भी कहते है।
सदाबहार पेड़
थूजा एक सदाबहार पेड़ है। इसकी कुल पांच प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनमें दो उत्तरी अमेरिका की और तीन पूर्वी एशिया की मूल निवासी हैं। इसकी सामान्य लंबाई 10 से 200 फीट होती है। इसका वैज्ञानिक नाम प्लैटीक्लाडस ओरिएंटलिस है। इसकी बनावट रेशेदार होती है तथा इसकी छाल लाल व भूरे रंग की होती है। इसकी पत्तियां शल्क जैसी होती है, जिनकी लंबाई 1 से 10 मिलीमीटर होती है। यह पेड़ दो प्रकार का होता है- नर तथा मादा।
नर शंकु छोटे तथा अगोचर होते हैं जबकि मादा शंकु आकार में लंबे होते हैं। यह एक उभयलिंगी वृक्ष है जो कि धीमी गति से बढ़ता है। इसकी शाखाएं चपटी तथा नुकीली होती है। इस पौधे को वास्तुशास्त्र के मुताबिक भाग्यशाली माना गया है। इसलिए लोग अपने घर के बाहर या घर के आंगन में थूजा का पौधा भी लगाते हैं।
घर की बढ़ाता है शोभा
विद्या का पेड़ दिखने में सुंदर होने के कारण हर घर की शोभा बढ़ाता है। इसलिए लोग अपने घर के सामने थूजा के पेड़ लगाना पसंद करते हैं। इसे मोर पंखी का पेड़ भी कहा जाता है। यह दिखने में देवदार के पेड़ों की तरह होता है। ऐसा माना जाता है थूजा घर में लगाने से सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है। इसे उगाने की अलग प्रक्रिया है, इसके मादा व नर दोनो पौधे को एक साथ लगाया जाता है, तभी यह पौधा पनपता है। मान्यता है कि इसे लगाने से घर में नकारात्मक शक्तियां प्रवेश नहीं करती है। लोग इसे उत्तर या पूर्व दिशा की ओर लगाते हैं। क्योंकि शास्त्रों में इन दोनों दिशाओं को शुभ माना गया है।
कितना उपयोगी मोरपंखी का पेड़
आयुर्वेद की दृष्टि में मोरपंखी का पेड़ बहुत लाभकारी है। इसका कई प्रकार से इस्तेमाल किया जाता है। सिरदर्द, जोड़ों और मांसपेशियों के दर्द, बैचेनी, अनिद्रा, डिप्रेशन और थकावट, कब्ज, कैंसर, बुखार, दौरा पड़ना, मासिक धर्म की समस्याओं और इजेक्युलेशन की समस्याओं, पसीना आना तथा त्वचा पर जलन को कम करने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है।