शंकराचार्य ने ‘सच बेधड़क’ से की खास बातचीत, समलैंगिकता को लेकर बोले-  न्यायाधीशों को प्रकृति करेगी दंडित

जयपुर। समलैंगिकता का फैसला मानवता के लिए कलंक है और जिन जजों- न्यायाधीशों की तरफ से यह निर्णय आने वाला है, उनसे पूछना चाहिए कि…

Shankaracharya had a special conversation with 'Sach Bedhadak', said about homosexuality - Nature will punish judges

जयपुर। समलैंगिकता का फैसला मानवता के लिए कलंक है और जिन जजों- न्यायाधीशों की तरफ से यह निर्णय आने वाला है, उनसे पूछना चाहिए कि क्या आप नपुंसक होकर नपुंसक से शादी कर चुके हैं, या फिर आप पुरुष हैं तो पुरुष से शादी कर चुके हैं क्या या इसके अलावा आप स्त्री हैं तो स्त्री से शादी कर चुके हैं। अगर समलैंगिकता का फैसला आता है तो इससे व्यभिचार को और प्रोत्साहन मिलेगा। सर्व अंकित है कि विवाह धार्मिक क्षेत्र का विषय है न्यायालय के क्षेत्र का नहीं, इसमें न्यायालय को नहीं पड़ना चाहिए। यदि फिर भी न्यायालय का ऐसा कोई ऐसा फैसला आता है तो उसे आमजन मानने की आवश्यकता नहीं है। 

यह धार्मिक मामला है इसमें कोर्ट नहीं पड़े तो अच्छा है। इतना ही नहीं न्यायाधीशों को भी यह कह देना चाहिए। कि प्रकृति आप को दंड दिए बिना नहीं रहेगी। यह बातें शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने गुरुवार को मानसरोवर स्थित गोपेश्वर महादेव मंदिर में सच बेधड़क से खास बातचीत में कहीं। स्वामी निश्चलानंद सरस्वती दो दिवसीय प्रवास पर जयपुर आए हुए हैं। जयपुर पहुंचने पर रेलवे स्टेशन पर भव्य स्वागत किया गया। 

वहीं मानसरोवर स्थित गोपेश्वर महादेव मंदिर में गुरु दीक्षा का कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस दौरान यहां साठ से अधिक दीक्षार्थियों ने शंकराचार्य से दीक्षा ग्रहण की। शंकराचार्य के दर्शन के लिए बड़ी संख्या संख्या में यहां श्रद्धालु पहुंचे थे, जहां उनसे भक्तों ने दीक्षा एवं आशीर्वाद लिया। शुक्रवार को सुबह पादुका पूजन गोष्ठी एवं गुरु दीक्षा का आयोजन किया जाएगा।

समलैंगिकता से पशुता की आएगी भावना 

स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने बताया कि समलैंगिकता से पशुता की भावना आएगी और यह प्रकृति के खिलाफ है। यह संविधान और मानवता के खिलाफ है। इस कानून के लागू होने से विप्लव और भ्रष्टाचार मचेगा। गौरतलब है कि साल 1860-62 में आईपीसी की धारा 377 के तहत समलैंगिकता को अपराध घोषित किया गया था। 

मैकाले पर की टिप्पणी 

स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने मैकाले पर टिप्पणी की। उन्होंने थ्री-सी पद्धति को लेकर कहा कि मैकाले ने यह पद्धति भारत को अस्तित्व और आदर्श विहीन बनाने के लिए दी थी। उन्होंने तीनों सी के अर्थ को समझाते हुए बताया कि पहले सी का अर्थ है क्लास और को- एजुकेशन, दूसरे सी का अर्थ है क्लब तथा तीसरे सी का अर्थ है कोर्ट। ये तीनों ही मैकाले द्वारा एक षड्यंत्र के तहत दिया गया है। उसी का अनुगमन करके देश का अस्तित्व और आदर्श विकृत करने का प्रकल्प चल रहा है। 

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