Sachin Pilot : जयपुर। सचिन पायलट जिस तरह की राजनीति कर रहे हैं उससे दो बातें साफ हो गई हैं, एक तो वह कांग्रेस में लंबे समय तक नहीं रहेंगे। दूसरे, पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे पर हमले से वे बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व को खुश कर रहे हैं। बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व के अब तक के फैसलों से यही संदेश गया है कि पार्टी इस बार राजे से दूरी बना रही है। और, सचिन जानते हैं कि राजस्थान में तीसरा मोर्चा बनाना आसान नहीं है, क्योंकि तीसरे मोर्चे के बनने से कांग्रेस को कम बीजेपी को ज्यादा नुकसान हो सकता है।
इससे नकारात्मक वोट बंटने के पूरे आसार हो जाएंगे। इसलिए बीजेपी के रणनीतिकार भी इसी कोशिश में हैं कि राजस्थान में तीसरा मोर्चा नहीं बने। मुकाबला सीधे कांग्रेस और बीजेपी के बीच हो। सांसद हनुमान बेनीवाल भले ही सचिन पायलट को नई पार्टी बनाने व तीसरे मोर्चे की गठबंधन की सलाह दे रहे हों, लेकिन बीजेपी ऐसा होने नहीं देगी। बेनीवाल खुद पिछली बार अपनी पार्टी की ताकत देख चुके हैं। खुद बीजेपी से गठबंधन कर एमपी का चुनाव जीते। इस बार तो गठबंधन की भी संभावना खत्म हो गई है।
धरने और बयानों से हुआ नुकसान
2020 में प्रदेश अध्यक्ष रहते सचिन ने खुद अपनी सरकार गिराने की कोशिश की थी। इस पर उन्हें प्रदेश अध्यक्ष पद से बर्खास्त किया गया। सूत्रों का तो यहां तक कहना है गांधी परिवार के करीबी जितेंद्र सिंह, दीपेंद्र हुड्डा जैसे नेताओं की मदद से हुई इस साजिश से नाराज राहुल गांधी के करीब जाने की उन्होंने कोशिश की, लेकिन सफल नहीं हुए। प्रियंका गांधी तक वह पहुंचे जरूर, लेकिन तवज्जो नहीं मिली। फिर, अपनी सरकार के खिलाफ धरना दे दिया। इससे राहुल काफी नाराज बताए जाते हैं, क्योंकि मुख्यमंत्री गहलोत की योजनाओं और फैसलों से पार्टी के पक्ष में जो माहौल बन रहा था, उसमें सचिन के धरने और बयानों ने नुकसान पहुंचाया है
नई पार्टी का गठन आसान नहीं
कें द्रीय गृह मंत्री अमित शाह कह चुके हैं कि पार्टी के चुनाव चिह्न पर ही सभी लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ा जाएगा। मतलब इस बार किसी के साथ गठबंधन नहीं होगा, जिसे आना है वह बीजेपी में आए। हालांकि, ऐसी भी चर्चाएं हैं कि वह अपने पिता राजेश पायलट की पुण्यतिथि 11 जून को नई पार्टी बनाने की घोषणा कर सकते हैं, लेकिन नई पार्टी का गठन बहुत आसान नहीं है। बीजेपी ने मध्यप्रदेश में ज्योतिरादित्य सिधिंया के मामले में भी यही किया था।
बीजेपी ही बचा एक रास्ता
धरने के बाद सचिन ने मध्यप्रदेश के अध्यक्ष कमलनाथ और संगठन महासचिव के सी वेणुगोपाल को सफाई देने की कोशिश की, लेकिन दोनों ने मदद से इनकार कर दिया। राहुल की नाराजगी इस बात से ज्यादा है कि प्रभारी के मना करने के बाद भी धरना दिया। पायलट और उनके समर्थक लंबा संघर्ष करने को तैयार होंगे, ऐसा लगता नहीं। बीजेपी के बड़े नेताओंजिनमें पीएम मोदी, अमित शाह, गजेंद्र सिंह शेखावत आदि के बयान भी यही संके त दे रहे हैं कि सचिन के पास बीजेपी ही रास्ता बचता है।
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