जयपुर। नगर निगम ग्रेटर में वाल्मीकि समाज के सफाई कर्मचारियों की हड़ताल का असर धीरे-धीरे अब दिखने लगा है। कई इलाकों में डोर टू डोर कचरा संग्रहण करने वाले हूपर भी नहीं पहुंचे, ना ही कई जगहों पर साफ-सफाई की गई। हालांकि कल तो सौम्या गुर्जर और पार्षदों ने शहर में झाड़ू लगाई थी, आज भी उन्होंने कई जगह साफ-सफाई की लेकिन पूरे नगर निगम ग्रेटर के क्षेत्र में साफ सफाई नहीं हो पा रही है, जिससे जगह-जगह गंदगी के ढेर लग रहे हैं।
परकोटों में फैली गंदगी
सबसे ज्यादा गंदगी शहर के परकोटा में फैली हुई है। यहां पर जनसंख्या घनत्व भी ज्यादा है, जिससे यहां गंदगी भी ज्यादा होती है। 2 दिन से यहां पर सफाई नहीं हुई, ना ही हूपर आए, ना ही कोई झाड़ू लगाने वाला आया। आलम तो यह है कि अब लोग अपना कचरा सड़क पर ही फेंकने लगे हैं। वाल्मीकि समाज के कर्मचारियों की मांगे अभी तक सुनी नहीं गई है जिसे लेकर वे हड़ताल पर बैठे हुए हैं।
इन मांगों को लेकर वाल्मीकि समाज के कर्मचारी हड़ताल पर
वाल्मीकि समाज के 6000 सफाई कर्मचारियों के हड़ताल के ऐलान के बाद संयुक्त वाल्मीकि एवं सफाई श्रमिक संघ के अध्यक्ष नंदकिशोर डांडोरिया ने मीडिया से बातचीत की। जिसमें उन्होंने कहा था कि जो सफाई कर्मचारियों की भर्ती निकाली जाती हैं, उसमें आरक्षण लागू नहीं हो लेकिन उसमें वाल्मीकि समाज को प्राथमिकता दी जाए। यूडीएच की ओर से विज्ञप्ति जारी हुई थी। जिसमें 30 हजार पदों के बजाय 13 हजार 164 कर्मचारियों की भर्ती निकाली गई थी। इसलिए प्रशासन 30 हजारपदों पर ही भर्ती निकाले।
इसके अलावा साल 2018 के पहले सफाई कर्मचारियों को संविदा के तौर पर काम में लिया गया था। उन्हें भी नियुक्ति दी जाए। हमारी इन मांगों को लेकर पहले तो प्रशासन ने हामी भर दी थी लेकिन अब वही हमसे वादाखिलाफी कर रहा है। इसलिए हमारे पास अब हड़ताल पर जाने के अलावा और कोई चारा नहीं रह गया है। उन्होंने कहा कि जब तक हमारी मांगे नहीं मानी जाएंगी तब तक भी हड़ताल पर ही रहेंगे।
आपातकालीन बैठक में मेयर सौम्या गुर्जर ने बनाई थी रणनीति
डिंडोरिया के हड़ताल पर जाने के बाद सौम्या गुर्जर ने आपातकालीन बैठक लेकर बताया था कि निगम ने सफाई समितियों के चेयरमैन और पार्षदों से बातचीत की। अब इनके साथ व्यापार मंडल, ठड़ी-ठेले वालों और विकास समिति के मदद से ही सफाई अभियान कल यानी आज से शुरू किया जाएगा। कर्मचारी हड़ताल कर रहे हैं ,करें। लेकिन उनके चलते शहर को गंदा नहीं होने दिया जाएगा। पार्षद अपने-अपने क्षेत्र में दो-दो घंटे का श्रमदान कर रहे हैं। कर्मचारियों ने जो मांग की है वह निगम से जुड़ी हुई नहीं है बल्कि वह राज्य सरकार के तहत आती हैं। इसलिए जो भी मांगे मांग रहे हैं। राज्य सरकार को उसे सुनना चाहिए।