जयपुर। ग्लोबल वॉर्मिंग और बढ़ते प्रदूषण के इस दौर में देश के युवा धरती को बचाने के लिए आगे आ रहे हैं। बड़ी संख्या में युवा अपनी निजी महत्वाकांक्षाओं से आगे बढ़कर एन्वायर्नमेंट कन्जर्वेशन के रचनात्मक आइिडयाज को अलग-अलग माध्यमों से जमीन पर उतार रहे हैं। बहुत से युवाओं ने पर्यावरण संरक्षण से जुड़े अपने स्टार्टअप शुरू किए हैं, जो धीरे-धीरे अपनी क्रिएटिव एप्रोच के चलते अलग पहचान बना रहे हैं। इस समय देश-दुनिया की बड़ी समस्या के समाधान के साथ ही अपने आपको स्थापित करने की मानसिकता से ये युवा बड़े चेंजमेकर बनकर उभर रहे हैं।
सोलर मोबाइल चार्जर से ऊर्जा बचाने की पहल
रिन्युएबल एनर्जी के ज्यादा से ज्यादा प्रयोग से पर्यावरण का संरक्षण हो सकता है। इस सोच के साथ 27 साल के अंकित मूदड़ा ने सोलर पावर्ड मोबाइल चार्जर बनाया है, जो पूरी तरह से इको फ्रेंडली है। अपने स्टार्टअप ‘ग्रीनोवेशन’ के जरिए अंकित अपने इस उत्पाद को दूर दराज के इलाकों तक पहुंचाकर लोगों में रिन्युएबल एनर्जी के ज्यादा से ज्यादा प्रयोग को बढ़ावा देने में लगे हैं। इसके साथ ही उनकी कंपनी ने एक यूनिक वेस्ट मैनेजमेंट सिस्टम भी विकसित किया है, जो ऑर्गेनिक वेस्ट को कम्पोस्ट में बदल देता है। अंकित को उनके कामों के लिए ‘यंग इनोवेटर अवॉर्ड‘ भी दिया जा चुका है।
ट्यूरिज्म में ढूंढा सस्नेटेबिलिटी का रास्ता
लापरवाही से भरे ट्यूरिज्म की वजह से बढ़ रहे प्रदूषण ने 24 साल के आलोक जैन को इतना परेशान किया कि उन्होंने इको फ्रेंडली ट्यूर कराने वाली ट्रेवल कं पनी खोल ली। उनकी कं पनी ‘सस्नेबल टे राजस्थान‘ इकोफ्रेंडली ट्यूर्स करवाती है, जिसमें पर्यावरण संरक्षण के लिए अवेयरनैस को सबसे ज्यादा प्राथमिकता दी जाती है। आलोक अपने बिजनेस में इको फ्रेंडली अकोमोडेशन, ट्रांसपोर्टेशन और एक्टिविटीज से पर्यावरण पर ट्यूरिज्म का प्रभाव कम करने की कोशिश कर रहे हैं। ग्रामीण समुदायों की मदद से आलोक ट्यूिरज्म की नई परिभाषा गढ़ रहे हैं।
प्लास्टिक वेस्ट कम करने का उठाया बीड़ा
23 साल की श्रुति शर्मा ने प्लास्टिक वेस्ट को कम करने के लिए बायोडिग्रेडेबल पैकेजिंग प्रोडक्ट्स बनाना शुरू किया। उनका स्टार्टअप ‘ग्रीन सॉल्यूशन्स‘ मक्का के स्टार्च और गन्ने के पल्प जैसी ऑर्गेनिक चीजों को इस्तेमाल कर पैकेजिंग मैटीरियल बनाता है। गौरतलब है कि पैकेजिंग मैटीरियल पर्यावरण प्रदूषण में बड़ी भूमिका निभाते हैं। काम आने के बाद कम्पोस्ट में बदल जाने वाले बायोडिग्रेडेबल पैकेजिंग मैटीरियल से ये बड़ी समस्या हल करने का श्रुति ने बीड़ा उठाया है।
लापरवाही पर नकेल के लिए बनाया एप
26 साल के सॉफ्टवेयर इंजीनियर हिमांशु सिंह को लोगों की पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने की आदत चुभती थी। उन्होंने इन आदतों को कंट्रोल करने के लिए एप बना दी। हिमांशु की एप ‘ग्रीनीफाई‘ लोगों की डेली एक्टिविटीज को ट्रैक करके कार्बन उत्सर्जन कम करने में उनकी मदद करती है। इस एप से यूजर्स अपनी दैनिक क्रियाएं, एनर्जी कंजम्पशन, फूड कंजम्पशन जैसी गतिविधियों को ट्रैक करके उनमें सुधार कर सकते हैं। ट्रैकिंग के साथ ही एप यूजर्स को उनकी गतिविधियों में सुधार के लिए सुझाव भी दिए जाते हैं।
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