नासा के हबल दूरबीन से साल 2014 से 2022 के बीच ली गईं तस्वीरों को देखकर पता लगता है कि इन दोनों ही ग्रहों पर अब मौसम धीरे-धीरे बदलने लगा है। इन तस्वीरों की मदद से इन ग्रहों पर समय के मुताबिक बदलने वाले मौसमों के बारे में कई जानकारियां इकट्ठी की गई हैं। बृहस्पति ग्रह सूरज से करीब 779 मिलियन किमी दूर हैं, जबकि यूरेनस ग्रह की दूरी तीन बिलियन किमी है। दोनों ग्रह काफी धीमी गति से सूरज की परिक्रमा करते हैं। इसका मतलब साफ है कि यहां पर मौसम भी काफी समय बाद बदलता है। इन दोनों ही ग्रहों पर गैस का भंडार मौजूद है। यूरेनस ग्रह पर तो एक गोलार्द्ध लगभग 42 सालों तक पूरी तरह से बिना धूप के रहता है।
किताबों से अलग ग्रहों की दुनिया
हबल दूरबीन की नवंबर 2014 की एक फोटो में यूरेनस काफी चमकदार नजर आ रहा है। नासा की एक रिसर्च टीम उत्तरी ध्रुव पर टोपी जैसे आकार और इसकी चमक पर नजर रखती आ रही है। टीम की मानें तो हर साल धुंध में तेजी आती जा रही है। नासा में सीनियर साइंटिस्ट डॉक्टर एमी सिमॉन का कहना है कि स्कूल की किताबों में ग्रहों की जो तस्वीर होती है, वह सच नहीं होती है। ये ग्रह एक विशाल वातावरण हैं और हर समय बदल रहे हैं। नासा ने ग्रहों की तस्वीर लेने वाली हबल दूरबीन प्रोजेक्ट को ओपल नाम दिया है। इसका मकसद बाहरी ग्रहों पर नजर रखना है ताकि वैज्ञानिक उनके वायुमंडलीय गतिशीलता और विकास को बेहतर ढंग से समझ सकें ।
बृहस्पति ग्रह पर तूफान
इस साल जनवरी में बृहस्पति ग्रह की एक तस्वीर आई थी, जिसमें इसका बड़ा-सा लाल रंग का हिस्सा सामने आया था। यह सदियों पुराना एक तूफान है। बृहस्पति के चंद्रमाओं में से एक के करीब है और इसे ‘गेनीमेड’ कहा जाता है। यह सौर मंडल का सबसे बड़ा चंद्रमा है और बुध ग्रह से थोड़ा बड़ा है। हबल दूरबीन को साल 1990 में लॉन्च किया गया था। उस समय चक्रवात के बारे में कोई भी जानकारी नहीं मिली थी। मगर कुछ सालों में इस ग्रह पर आने वाले तूफानों में इजाफा हुआ है। नवंबर 2022 और जनवरी 2023 में आई तस्वीरों से भी यह बात साबित हो जाती है।
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