जयपुर। राइट टू हेल्थ बिल को लेकर रविवार को मुख्य सचिव और चिकित्सकों के प्रतिनिधिमंडल के बीच वार्ता हुई, लेकिन यह बेनतीजा रही। सचिवालय में वार्ता करने पहुंचे डॉक्टर्स के प्रतिनिधिमंडल ने सरकार के प्रतिनिधियों को पहली वार्ता में कहा कि वह चाहते है कि यह बिल नहीं आए। इसे सरकार वापस ले। यह कहकर चिकित्सकों का प्रतिनिधिमंडल सचिवालय से बाहर आ गया। मुख्य सचिव व अन्य लोगों ने इन्हें फिर से आग्रह कर भीतर बुलाया और कहा कि बातचीत के लिए तो बैठे।
इसके बाद डॉक्टर्स के दस सदस्सीय प्रतिनिधिमंडल ने फिर से बात की, लेकिन दूसरी बार वार्ता के बाद भी डॉक्टर्स आंदोलन खत्म करने को तैयार नहीं हुए। ऐसे में सोमवार को भी निजी अस्पतालों में मरीजों को इमरजेंसी में भी इलाज नहीं मिलेगा। वहीं, मेडिकल कॉलेज में रेजिडेंट्स पूर्ण व सरकारी डॉक्टर्स इमरजेंसी आईसीयू सेवाओं को छोड़कर कार्य बहिष्कार करेंगे।
सरकार को हम दिखाएंगे ताकत
सचिवालय में वार्ता कर निकले डॉक्टर्स के प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि सीएस ने हमसे पूछा कि बताइए इस बिल में क्या कमियां-खामियां हैं। इसका जवाब देते हुए डॉक्टर्स ने कहा कि यह बिल निरस्त हो। इस बिल को किसी भी सूरत में मंजूर नहीं किया जाएगा। जब तक नो टू आरटीएच यानी बिल सरकार वापस नहीं लेगी, तब तक आंदोलन खत्म नहीं होगा। सरकार से प्रतिनिधियों से मिलने के बात एसएमएस के जेएमए सभागार में डॉक्टर्स ने प्रेसवार्ता कर कहा कि सरकार को हम ताकत दिखाएंगे।
सोमवार को राइट टू हेल्थ बिल के विरोध में देशभर में निजी अस्पताल बंद रहेंगे। जयपुर में हजारों की संख्या में डॉक्टर्स अपने परिवार के लोगों के साथ सड़क पर उतरेंगे और सरकार के खिलाफ रैली निकालेंगे। इससे सरकार को हमारी ताकत का एहसास होगा। डॉक्टर्स ने यह भी कहा कि वह अब सीएम गहलोत से ही वार्ता करना चाहते है। सीएम से नीचे स्तर पर वार्ता नहीं करेंगे।
चिकित्सक भी सरकार के एक परिवार की तरह: मुख्य सचिव
मुख्य सचिव उषा शर्मा की अध्यक्षता में चिकित्सकों के प्रतिनिधिमंडल के साथ वार्ता हुई। मुख्य सचिव ने कहा कि चिकित्सक भी सरकार के एक परिवार की तरह है। इसलिए दोनों का उद्देश्य जनता की सेवा करना है। सीएस ने चिकित्सकों के प्रतिनिधिमंडल की शंकाओं और सुझाव को सुनते हुए कहा कि हम मिलकर एक टीम की भावना के साथ काम करते हुए प्रदेश के लोगों की सेवा करते हैं। इसलिए प्रदेशवासियों को उनके स्वास्थ्य के अधिकारों को और अधिक सुदृढ़ करने के उद्देश्य से यह बिल लाया गया है। प्रतिनिधिमंडल को उनके सुझावों पर विस्तृत चर्चा का आश्वासन दिया। मुख्य सचिव ने कहा कि मुख्यमंत्री की सभी वर्गों को साथ लेकर चलने की मंशानुरूप गहन विचार विमर्श के साथ यह बिल लाया गया है। वार्ता में अतिरिक्त मुख्य सचिव वित्तअखिल अरोड़ा, प्रमुख शासन सचिव चिकित्सा शिक्षा विभाग टी रविकांत, शासन सचिव वित्त (व्यय) नरेश कु मार ठकराल, जयपुर जिला कलेक्टर प्रकाश राजपुरोहित मौजूद रहे।
गांव में खेती कर रहा नर्सिंग स्टाफ
जयपुर के ईएनटी स्पेशलिस्ट डॉ.ओमेन्द्र सिंह रत्नू ने एक वीडियो वायरल होने के बाद कहा है कि बिल के कारण निजी अस्पताल बंद है। इससे नर्सिंग स्टाफ गांवों में जाकर खेती करने को मजबूर हो गया है। इस वीडियो में एक महिला नर्सिंगकर्मी गांव में खेती करते नजर आ रही है। अस्पताल बंद होने से यहां काम करने वाले नर्सिंग स्टाफ, फार्मासिस्ट, लैब टेक्नीशियन, प्रशासनिक स्टाफ को काम नहीं मिल रहा है। इस कारण से वह गांव जाकर खेतों में काम कर रहे है। डॉ.रत्नू ने कहा कि यह बिल असंवैधानिक है। संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है। यह सबको बेरोजगार कर देगा। यह आजीविका के अधिकार का हनन है।
निकाली कार रैली
डॉक्टर्स ने बिल के विरोध में प्रदेश के सबसे बड़े सवाई मानसिंह अस्पताल स्थित जेएमए सभागार में सुंदरकांड के पाठ किए। साथ ही जवाहर सर्किल तक कार रैली निकाली। इसके बाद जेएमए सभागार में एक सभा की।