जयपुर। विधानसभा में आज राजस्थान एडवोकेट प्रोटेक्शन बिल पारित हो गया। कई संशोधन के लिए चर्चा-विचार के बाद सभापति जेपी चंदेलिया ने यह बिल पारित करवा दिया। संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल ने संशोधन के बाद बिल पारित करने का प्रस्ताव रखा, जिसके बाद सदन में उपस्थित सभी लोगों ने ध्वनि मत से प्रस्ताव पारित कर दिया।
कई विधायकों ने तो बिल को पढ़ा तक नहीं
इससे पहले बिल को लेकर चर्चा के दौरान विधायकों में गहमागहमी भी देखने को मिली। शांति धारीवाल ने तो यहां तक कह दिया कि भाजपा के किसी भी विधायक ने बिल में संशोधन को लेकर कुछ भी नहीं कहा। बस सिर्फ विरोध के स्वरूप में बातें कह रहे हैं, संशोधन नहीं बता रहे हैं। इस पर राजेंद्र राठौड़ ने नाराजगी जताई। राजेंद्र राठौड़ और शांति धारीवाल में बिल को लेकर तीखी बहस भी हुई। शांति धारीवाल ने कहा कि जिन सदस्यों ने इस पर अपने विचार व्यक्त किए उनमें से कईयों ने तो इस बिल को पूरा पढ़ा भी नहीं, अगर पढ़ते तो संशोधन देते ना कि विरोध करते हैं।
जब बार एसोसिएशन के अध्यक्षों को बिल स्वीकार तो आपको क्यों नहीं ?
उन्होंने कहा कि जोधपुर राजस्थान हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष रंजीत जोशी बिल के पक्ष में है, इसके अलावा जोधपुर राजस्थान लॉयर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष रवि भंसाली इसके पक्ष में हैं, जयपुर के बार एसोसिएशन के अध्यक्ष कमल किशोर शर्मा इसके पक्ष में है, महेंद्र शांडिल्य अध्यक्ष, जयपुर हाईकोर्ट बार एसोसिएशन इसके पक्ष में हैं। इनके दिए गए सुझावों के मुताबिक ही इसमें संशोधन किया गया है। इन्हें तो बिल स्वीकार है तो पता नहीं आपको क्यों नहीं स्वीकार है।
विधानसभा के बाहर संसोधन करने के आरोप
राजेंद्र राठौड़ को घेरते हुए शांति धारीवाल ने कहा इन्होंने तो बिल में अमेंडमेंट विधानसभा के बाहर ही कर दिया तो फिर तो फिर ये 71 क्या है? जिसके तहत साफ-साफ लिखा है कि किसी भी बिल में संशोधन के लिए नोटिस दिया जाता है और विधानसभा के भीतर संशोधन दिया जाता है ना कि बाहर संशोधन दिया जाता है। इस पर राजेंद्र राठौड़ ने अपने आसन से खड़े होकर कहा कि आपको अगर इससे समस्या है तो मुझे भी समस्या है कि आपने 18 मार्च को हस्ताक्षर करके बाहर नोटिस दे दिया, वह भी विधानसभा के बाहर दिया था।
संसोधन पहले का बिल बाद में पेश हुआ
इस पर शांति धारीवाल ने कहा कि वह नोटिस विधानसभा में नहीं भेजा गया और मैंने तो कोटा से वीसी के जरिए अमेंडमेंट किया, अमेंडमेंट पहले का है और यह बिल बाद में पेश हुआ है। बिल पहले पेश नहीं हुआ था, आप इस बात पर ध्यान दें। इतने में ही सभापति जेपी चंदेलिया अपने आसन से खड़े हुए और उन्होंने कहा कि आप दोनों आपस में बात क्यों कर रहे हैं? आप आसन की तरफ सभापति के आसन के तरफ नोटेशन करके बात करें, यह गलत परंपरा शुरू मत करें।