CUET-UG 2023: नई दिल्ली। विश्वविद्यालयी सामान्य प्रवेश परीक्षा (CUET-UG) इस साल दो के बजाय तीन पारी में होगी, साथ ही संयुक्त प्रवेश परीक्षा (JEE) और राष्ट्रीय पात्रता- सह-प्रवेश परीक्षा (NEET) जैसी परीक्षाओं में इसके विलय की घोषणा प्रभावी वर्ष से कम से कम दो साल पहले कर दी जाएगी। फिलहाल इस पर विस्तृत काम किया जा रहा है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष जगदीश कुमार ने कहा कि यूजीसी और राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी यह सुनिश्चित करने के लिए तैयार हैं कि सीयूईटी-यूजी परीक्षा बिना किसी परेशानी के संपन्न हो।
उन्होंने कहा, मैं सहमत हूं कि पिछली बार परीक्षा के दौरान कई खामियां सामने आईं, लेकिन इस साल सभी खामियों को दूर किया गया है। पिछली बार विद्यार्थियों को हुई परेशानियों को ध्यान में रखते हुए यह योजना बनाई गई है और हम यह सुनिश्चित करने को तैयार हैं कि उम्मीदवार केवल परीक्षा की चिंता करें, न कि खामियों की। उन्होंने कहा, वैकल्पिक योजना के तहत अतिरिक्त कंप्यूटर और परीक्षा केंद्रों की व्यवस्था की गई है, ताकि कोई समस्या आने पर विद्यार्थियों को उन परीक्षा केंद्रों पर स्थानांतरित किया जा सके और परीक्षा रद्द न की जाए।
उन्होंने कहा, इस साल परीक्षा डेढ़ महीने के बजाय 10 दिनों में कराई जा रही है, ताकि अंकों के सामान्यीकरण में होने वाली त्रुटि को कमतर किया जा सके, क्योंकि लंबी अवधि में परीक्षा होने पर अधिक अंतर सामने आता है। यूजीसी ने पिछले साल मार्च में घोषणा की थी कि सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों में स्नातक पाठ्यक्रम में नामांकन सामान्य प्रवेश परीक्षा से होगा न कि 12वीं कक्षा में मिले अंकों के आधार पर।
सीयूईटी-यूजी देश की दूसरी सबसे बड़ी परीक्षा
गौरतलब है कि 14.9 लाख पंजीकरण के साथ सीयूईटी- यूजी देश की दूसरी सबसे बड़ी परीक्षा बन गई थी और इसने जेईई मेंस को पीछे छोड़ दिया था, जिसमें करीब नौ लाख अभ्यर्थियों ने पंजीकरण कराया था। इस साल अब तक 11.5 लाख पंजीकरण कराए जा चुके हैं। अंतिम तारीख 30 मार्च तक बढ़ाई गई है और हमें उम्मीद है कि आवेदनों की संख्या पिछले साल से अधिक होगी।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति में है एक परीक्षा की हिमायत
जगदीश कुमार ने कहा, राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि एक राष्ट्रीय स्तर की परीक्षा करा विद्यार्थियों पर से बोझ कम करना चाहिए। हमने विचार सामने रखा है ताकि विद्यार्थी मानसिक रूप से तैयार रहें कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति ने ऐसी चीजें प्रस्तावित की हैं और आने वाले दिनों में इनके लागू होने की संभावना है। हम आंतरिक तौर पर काम कर रहे हैं कि कैसे इसे आगे ले जाया जाए।
सीयूईटी केंद्रों की पहचान तीन श्रेणियों में
जगदीश कुमार ने बताया कि सीयूईटी केंद्रों की पहचान तीन श्रेणियों में की गई है। हमने केंद्रों को तीन श्रेणियों ए, बी और सी में वर्गीकृत किया है। कुछ केंद्रों में जिनमें हमें पिछले साल समस्या आई थी, उन्हें ‘सी’ श्रेणी में रखा गया है और उन्हें इस बार केंद्र के तौर पर इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। बी श्रेणी में उन केंद्रों को रखा गया है जहां पर कुछ काम करने की जरूरत है, जबकि ‘ए’ श्रेणी के तहत वे केंद्र हैं जो मानकों पर एकदम खरा उतरते हैं।
अंकों के सामान्यीकरण पर कही यह बात
जब उनसे पूछा गया कि परीक्षा के अंकों के ‘सामान्यीकरण’ से कई अभ्यर्थी निराश होते हैं, क्योंकि उनके मूल अंकों में कटौती की जाती है जिससे वे अपने पसंदीदा कॉलेज में प्रवेश नहीं ले पाते। इस पर कुमार ने कहा कि इस प्रक्रिया में किसी भी त्रुटि को कमतर करने की कोशिश की जा रही है। सामन्यीकरण का फार्मूला ‘इक्वीपर्संटाइल पद्धति’ से तय किया जाता है और इस पर फैसला लेने वाली समिति में भारतीय सांख्यिकी संस्थान और आईआईटी दिल्ली के प्रोफेसर होते हैं।