टोंक की सबसे अहम विधानसभा सीट- देवली-उनियारा, कांग्रेस की तरफ से इन्हें मिल सकता है टिकट

राज्य में अगले वर्ष दिसंबर माह में होने वाले विधानसभा चुनाव में 15 महीने का समय बाकी है। लेकिन उम्मीदवार अभी से विधानसभाओं का दौरा…

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राज्य में अगले वर्ष दिसंबर माह में होने वाले विधानसभा चुनाव में 15 महीने का समय बाकी है। लेकिन उम्मीदवार अभी से विधानसभाओं का दौरा कर रहे हैं। आने वाले वर्ष में जून माह से विधानसभा का बिगुल बज जायेगा। जून माह से विधानसभा में चुनावी मोड पर आ जाएगा। ऐसे में विधानसभा क्षेत्र इलाकों में दावेदारों की रफ्तार तेज हो जाएगी व जातिगत समीकरण के आधार पर लोग विधानसभाओं के लोगों से संपर्क बना रहे हैं।

ये हैं जातिगत समीकरण

जातिगत समीकरण के आधार पर देखा जाए तो देवली उनियारा विधानसभा क्षेत्र मीणा- गुर्जर बाहुल्य है। इस बाहुल्य क्षेत्रों में से कांग्रेस- बीजेपी जातिगत समीकरण के आधार पर टिकट वितरण करती है। देवली उनियारा विधानसभा सीट सामान्य सीट पर गुर्जर – मीणा जाति के उम्मीदवार मैदान में उतारते हैं। स्थानीय की बात करें तो विधानसभा क्षेत्र में अब तक बाहरी उम्मीदवार को टिकट दिया गया, इसके चलते काफी स्थानीय नेताओं में रोष व्याप्त है। क्योंकि बाहरी उम्मीदवार जीतकर विधानसभा क्षेत्र के लोग बहुत कम लोग पहुंच पाते है। लेकिन इस बार 2011 में पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय टोंक व 2013 में एनएसयूआई जिलाध्यक्ष टोंक का नाम चर्चा में बना हुआ है।

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कांग्रेस से राम अवतार मीणा बन सकते हैं उम्मीदवार

एडवोकेट राम अवतार मीना महाराजपुरा का नाम देवली उनियारा विधानसभा क्षेत्र से सामने आ रहा है, क्योंकि स्थानीय लोगों का कहना कि रामअवतार मीना सर्व समाज के लोगों की आवाज बनते जा रहे वर्तमान में यूथ कांग्रेस जिला उपाध्यक्ष टोंक पद कार्य कर रहे ग्रामीण महिलाओं से एक सर्वे की रिपोर्ट में महिलाओं द्वारा स्थानीय व युवा उम्मीदवार की मांग रखी गयी। राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा कोटडी मोड़ से सवाई माधोपुर तक रैली में स्थानीय लोगों व महिलाओं युवाओ द्वारा मांग उठाई जा रही है।

अब देखना होगा कि इस बार टिकट वितरण में स्थानीय लोगों मौका मिलेगा या दोनों दल बाहरी उम्मीदवार ही घोषित करेंगी। बता दें कि कांग्रेस के उदयपुर चिंतन शिविर में युवाओं को टिकट देने का प्रस्ताव लिया गया है। 2023 में अगर स्थानीय युवाओं को टिकट देती है तो कांग्रेस के वापस सत्ता में आने की संभावना बढ़ जाती है। स्थानीय मांग को लेकर सभी सामाजिक संगठनों पदाधिकारियों ने प्रतिनिधियों के सामने मांग रखी है।

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