ओबीसी आरक्षण विसंगति को लेकर आज प्रेस कॉन्फ्रेंस में अशोक गहलोत ने सकारात्मक संकेत दिए थे। जिसमें उन्होंने कहा था कि इन मामलों को लेकर सरकार संवेदनशील है। मांगों को सुना जाएगा। आप लोग सब्र रखें। उन्होंने इसी प्रेस कांफ्रेंस में कहा था कि सरकार प्रदेश के भूतपूर्व सैनिकों को श्रेणी वार आरक्षण का लाभ देने पर विचार कर रही है। इसे लेकर प्रदेश सरकार ने महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक समेत कई राज्यों की भर्तियों में भूतपूर्व सैनिकों को मिल रहे आरक्षण के नियमों का अध्ययन किया।
कई प्रदेशों के नियमों की समीक्षा से बनेगा रोडमैप
जिसमें निकल कर आया कि जिन बड़े राज्यों में सैनिकों को 5% से अधिक आरक्षण दिया जा रहा है प्रदेश सरकार उनके बारे में जानकारी जुटा रही है। इसके साथ ही सरकार ने चयन बोर्ड की भर्ती विज्ञप्तियों का भी अध्ययन किया है। ओबीसी आरक्षण को लेकर सीएम अशोक गहलोत और सीएस उषा शर्मा ने कई सैनिक संगठनों भूतपूर्व सैनिकों के प्रतिनिधिमंडल और सैनिक कल्याण विभाग निदेशक से भी बात की है। मुख्यमंत्री गहलोत और उषा शर्मा की महाधिवक्ता के साथ बैठक में उन्होंने भूतपूर्व सैनिकों को आरक्षण क्षैतिज कंपार्टमेंटवाइज करने को सही माना है।
ये होगा फायदा
अगर ऐसा किया जाता है तो दूसरी आरक्षित कैटेगरी के भूतपूर्व सैनिकों को भी सीधी भर्तियों में प्रतिनिधित्व मिल सकेगा। इसके साथ ही पिछड़ा वर्ग के लिए भी आरक्षित पदों में से सामान्य अभ्यर्थी भी अपना प्रतिनिधित्व कर सकेंगे। अभी जो वर्तमान स्थिति प्रदेश में है उसके मुताबिक सैनिकों की भर्ती उपरांत उनका समायोजन उनसे संबंधित श्रेणी में किया जाता है। जिससे भूतपूर्व सैनिकों के अपनी श्रेणी में समायोजन होने के चलते अनुसूचित जाति या जनजाति के भूतपूर्व सैनिकों का चयन कम हो पाता है। इसके साथ सैनिकों के लिए निर्धारित आरक्षण उपरांत चयनित अभ्यर्थियों के अपने वर्ग में समायोजित हो जाने के कारण कुछ भर्तियों में पिछड़ा वर्ग के अभ्यर्थियों भूतपूर्व सैनिक नहीं है, उनका भी सही से प्रतिनिधित्व नहीं हो पा रहा है इसे लेकर ही राज्य सरकार इसे अब मूर्त रूप देने पर विचार कर रही है। कल गहलोत सरकार अपनी कैबिनेट मीटिंग में इस पर फैसला तय कर सकती है, क्योंकि इसके संकेत आज सीएम गहलोत ने प्रेस कांफ्रेंस में दे दिए थे।