EWS आरक्षण की वैधता पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई है। सुबह साढ़े 10 बजे इसका फैसला सुनाया सकता है। EWS आरक्षण के खिलाफ करीब 30 याचिकाएं दायर की गई हैं। जिस पर सुनवाई के बाद 27 सितंबर को फैसला सुरक्षित कर लिया गया था। बता दें कि साल केंद्र सरकार के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया गया है। जिसके बाद से ही कुछ संगठनों ने इसके खिलाफ आवाज मोर्चा खोला था कि केंद्र ने संविधान के खिलाफ इस आरक्षण का प्रावधान किया है।
यह है मामला
दरअसल केंद्र सरकार ने सामान्य वर्ग के लिए जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं, उनके लिए 10 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया है। यह प्रावधान साल 2019 में लागू किया गया था। सामान्य वर्ग वाले लोगों ने इस नियम का स्वागत किया था क्यों कि वे लंबे अर्से से इसकी मांग उठा रहे थे। लेकिन कई राजनीतिक पार्टियों समेत कई संगठनों ने केंद्र पर अंवैधानिक तरीके से EWS का प्रावधान किया है।
बता दें कि संविधान में आरक्षण का कोटा सिर्फ 50 प्रतिशत किया गया है। इसमें 22.5 प्रतिशत आरक्षण SC-ST वर्ग के लिए किया गया है। इसमें से भी 15 प्रतिशत SC वर्ग के लिए वहीं 7.5 प्रतिशत ST वर्ग के लिए किया गया है। इसके अलावा 50 प्रतिशत में 27 फीसदी आरक्षण पिछड़ा वर्ग यानी OBC वर्ग के लिए किया गया है। इन सभी को मिला कर यह कोटा 49.5 प्रतिशत हो गया है जो कि 50 से सिर्फ .5% ही कम है।
अर्थ पर आधारित है आरक्षण
इधर केंद्र ने जो EWS यानी आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए लागू है। नियम यह है कि सिर्फ सामान्य वर्ग के लोग ही इसका लाभ लेंगे। केंद्र का कहना है कि यह जाति पर आधारित आरक्षण नहीं है बल्कि अर्थ पर आधारित है। इसलिए कहीं से भी 50 प्रतिशत विशेष जाति के लिए संविधान में दिए गए आरक्षण के प्रावधान का उल्लंघन नहीं करता।
दूसरी तरफ याचिकाकर्ताओं का कहना है कि इसमें सिर्फ सामान्य वर्ग को शामिल कर एक तरह से इसे जाति पर आधारित आरक्षण का नियम बना दिया गया है जो कि 50 प्रतिशत आरक्षण का उल्लंघन करता है। क्योंकि इस तरह से यह आरक्षण बढ़कर 59.5 प्रतिशत पहुंच गया है।