गुजरात विधानसभा चुनाव के अभी तारीख तो अभी तय नहीं हुई है। लेकिन राजनीतिक दल पार्टी को जीत दिलाने के लिए पूरी ताकत झोंकते नजर आ रहे हैं। आज राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत गुजरात के चार दिवसीय दौरे पर गए हैं। जहां उन्होंने आदिवासियों को संबोधित कर साधने की कोशिश की। तो वहीं भाजपा अपनी सत्ता को बरकरार रखने के लिए जी तोड़ मेहनत कर रही है। वैसे तो गुजरात में यह मुकाबला हमेशा से कांग्रेस वर्सेस भाजपा रहा है। लेकिन इस बार अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी इस चुनाव में त्रिकोणीय मुकाबले का दावा कर रही है।
पिछले चुनाव में कांग्रेस ने हिला दिए थे भाजपा के पैर
गुजरात की विधानसभा में कुल 182 सीटें हैं। यहां पर पिछले 24 साल से भाजपा की सरकार का दबदबा है। नरेंद्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब से यह राज्य पूरे देश में गुजरात मॉडल बन कर उभरा है। गुजरात को भाजपा का गढ़ माना जाता है। इसे भाजपा के अभेद किले से भी संबोधित करते हैं। लेकिन अगर हम पिछले चुनावों को देखें तो पाएंगे कि कांग्रेस की कड़ी टक्कर में भाजपा हारी तो नहीं लेकिन उसके पैर जरूर डगमगाए। ऐसे में पूरे देश की नजरें इस बार हिमाचल से ज्यादा गुजरात के विधानसभा चुनाव पर टिकी हुई है। क्योंकि सबके मन में यह सवाल है कि क्या पिछली बार 99 पर सिमटने वाली भाजपा इस बार अपने किले को बचा पाएगी या फिर कांग्रेस की रणनीति इस किले को धराशाई कर देगी।
इस बार क्या कमाल दिखाएगा अशोक गहलोत का जादू
वैसे तो गुजरात में पिछले 24 सालों से भाजपा का दबदबा है। लेकिन इस बार के चुनाव में कुछ समीकरण बदले नजर आ सकते हैं। क्योंकि पंजाब और दिल्ली में जीत का डंका बजाने वाली अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी इस बार गुजरात में अपनी पूरी ताकत झोंक रही है और जीतने का दावा भी कर रही है। आम आदमी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष गोपाल इटालिया को भले ही हिरासत में लिया जा चुका हो। लेकिन वे आम आदमी के सीएम पद की रेस में है अगर आम आदमी जीती है तो इटालिया को प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है।
तो वहीं कांग्रेस की तरफ से भी इस चुनाव में कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही है राजनीति के जादूगर और राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत गुजरात चुनाव के वरिष्ठ पर्यवेक्षक हैं उनके नेतृत्व में गुजरात विधानसभा चुनाव की गतिविधियां की जा रही हैं। पिछले चुनाव में भी अशोक गहलोत ही पर्यवेक्षक थे और उनके नेतृत्व में कांग्रेस ने उस चुनाव में बेहतरीन प्रदर्शन किया था और भाजपा को 99 पर समेटने में कामयाब हुई थी। तो देखना यह है कि क्या अशोक गहलोत का यह जादू इस बार भी गुजरात में चलेगा।
ये है चुनाव प्रचार के बड़े चेहरें
बात अगर भाजपा की करें तो भाजपा को कांग्रेस और आम आदमी पार्टी से ज्यादा मेहनत करनी है। क्योंकि बीते 24 सालों में उसकी सरकार है ऐसे में एंटी इनकंबेंसी के भी चांसेस बन जाते हैं। भाजपा के मौजूदा मुख्यमंत्री भूपेंद्र भाई पटेल आने वाले समय में भी सीएम पद की रेस में सबसे आगे हैं। अगर भाजपा हर बार की तरह चुनाव इस बार भी जीतती है तो भूपेंद्र पटेल को ही मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है।
अब हम आपको गुजरात विधानसभा चुनाव के प्रचार के प्रमुख और बड़े चेहरों से मिलवाने जा रहे हैं। इन चेहरों में नरेंद्र मोदी, अमित शाह, अरविंद केजरीवाल, प्रियंका गांधी, अशोक गहलोत, राहुल गांधी शामिल हैं। सबसे पहले बात नरेंद्र मोदी की करते हैं। जबसे 2014 के लोकसभा चुनाव हुए हैं तभी से नरेंद्र मोदी हर राज्य के चुनाव का चेहरा बन चुके हैं। क्योंकि वह भाजपा के लिए सबसे अहम चेहरा हैं और गुजरात से उनका भावनात्मक नाता भी है। सिर्फ राजनीति ही नहीं उनका बचपन भी गुजरात में ही बीता है। इसलिए वह गुजरात की जनता के काफी करीब माने जाते हैं। यही फार्मूला अमित शाह के ऊपर भी लागू होता है। वह भी गुजरात के रहने वाले हैं, गुजरात के गांधीनगर से वह सांसद हैं। देश की राजनीति में आने से पहले वे गुजरात की राजनीति में सक्रिय रहे हैं।
गहलोत-प्रियंका-राहुल की तिगड़ी करेगी राह आसान
कांग्रेस के पास भी इस बार कई मुद्दों के साथ ही बड़े चेहरे हैं। प्रियंका गांधी, राहुल गांधी, अशोक गहलोत चुनाव प्रचार को धार दे रहे हैं। कांग्रेस नेता राहुल गांधी फिलहाल भारत जोड़ो यात्रा पर है। लेकिन इस भारत जोड़ो यात्रा को दक्षिण में जिस तरह से समर्थन मिल रहा है उससे कांग्रेस की आशाएं कई गुना बढ़ गई हैं। वहीं गुजरात में भी यह यात्रा निकाली जाएगी। जिसमें एक तरह से उनका शक्ति प्रदर्शन होगा। प्रियंका गांधी की राज्य के चुनाव प्रचार में उनकी सक्रिय भूमिका है। इसके साथ ही पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे भी इस चुनाव में सक्रिय भूमिका निभाएंगे क्योंकि उन्हें राजस्थान के बाद अपना दूसरा असाइनमेंट जो पूरा करना है।
भाजपा इस समय सत्ता में है। विपक्ष के पास भी कई मुद्दे भाजपा को घेरने के लिए है। इनमें महंगाई, बेरोजगारी, किसान, सामाजिक सुरक्षा, गरीबी जैसे मुद्दे विपक्ष को मजबूत हथियार दे रहे हैं। तो दूसरी तरफ भाजपा गुजरात में अपने विकास, आम लोगों को सुरक्षा, इन्वेस्ट गुजरात समिट,शिक्षा व गुजरात मॉडल के बलबूते जनता के बीच जा रही है।
पाटीदार समुदाय को साधना अहम
गुजरात में सबसे ज्यादा राजनीति में सक्रिय पटेल माने जाते हैं। पाटीदार समुदाय गुजरात का अहम हिस्सा माना जाता है। यह तीनों ही पार्टियां काफी अच्छे से जानती हैं इसलिए उन्होंने भी पाटीदार समुदाय पर अपना फोकस किया हुआ है। आम आदमी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष गोपाल इटालिया पाटीदार समाज से ही आते हैं। जिसे देखकर भाजपा ने तमाम बड़े नेताओं को इटालिया के खिलाफ मैदान में उतार दिया है। अगर हम गुजरात में पाटीदार समुदाय की भागीदारी के आंकड़ों के बारे में आपको बताएं तो गुजरात में पाटीदार समुदाय की आबादी कुल आबादी का 15 परसेंट है।
इस हिसाब से गुजरात की कुल 182 सीटों में 70 सीटों पर पाटीदार समुदाय का प्रभुत्व माना जाता है। पाटीदार समीकरण को हम इससे भी समझ सकते हैं कि हार्दिक पटेल कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए थे। जबकि 2017 के चुनाव में विजय रुपाणी की जगह भूपेंद्र पटेल को मुख्यमंत्री बनाया गया था। वहीं भाजपा के मंत्रिमंडल में पाटीदार विधायकों को जगह दी गई थी। इसके अलावा आप ने इटालिया को प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया था।
तो वहीं अगर कांग्रेस की बात करें तो कांग्रेस में पाटीदार समुदाय का कोई बड़ा नेता नजर नहीं आ रहा है। कुछ खबरों में बताया गया था कि कांग्रेस खोडल धाम ट्रस्ट के चेयरमैन नरेश पटेल को साथ लाने की कोशिश कर रही है। लेकिन उन्होंने पहले ही सक्रिय राजनीति में आने से साफ इनकार कर दिया था। लेकिन जिस हिसाब से कांग्रेस ने पिछले चुनाव में काफी बेहतरीन प्रदर्शन किया था उसे देखते हुए लगता है कि कांग्रेस से उम्मीदें लगा सकते हैं।