पीएम मोदी ने आज सुबह वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए देश के 75 जिलों में 75 डिजिटल बैंकिंग यूनिट्स को राष्ट्र को समर्पित किया। इन यूनिट्स के शुरू होने के बाद लोगों को सेविंग अकाउंट खोलने, लोन लेने, पासबुक प्रिंट करने और दूसरी बैंक स्कीम्स में पैसा इन्वेस्ट करने के लिए बैंक जाने की आवश्यकता नहीं होगी वरन वे अपने घर के पास ही इस सुविधा का लाभ ले सकेंगे। उल्लेखनीय है कि केन्द्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने इस वर्ष के अपने बजट भाषण में देश की आजादी के 75 वर्ष पूर्ण होने पर देश के 75 जिलों में 75 डिजीटल बैंकिंग यूनिट्स खोलने की घोषणा की थी।
डिजीटल बैंकिंग यूनिट्स से आमजन को होंगे ये फायदे
इस सेवा का शुभारंभ करते हुए उन्होंने आमजन को शुभकामनाएं दी और कहा कि डिजीटल बैंकिंग यूनिट की सेवाएं कागजी कार्यवाही और लिखा-पढ़ी से मुक्त होंगी और देश की बैंकिंग व्यवस्था को पारदर्शी बनाते हुए बिना किसी समस्या के आम जनता तक बैंकिंग सुविधाएं पहुंचे, इस बात को सुनिश्चित करेंगी। इन सेवाओं के माध्यम से लोग गांव और छोटे शहरों में पैसे भेजना से लेकर लोन लेने जैसे काम भी बड़ी आसानी से कर सकेंगे।
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उन्होंने कहा कि अब गरीबों को बैंक नहीं जाना होगा वरन बैंक खुद चलकर गरीब के घर जाएंगे। इन बैंकिंग यूनिट्स के माध्यम से लोग अपने नजदीकी बैंकिंग यूनिट्स पर जाकर सेविंग अकाउंट ओपन कर सकेंगे, लोन ले सकेंगे, बैंक स्कीम्स में पैसा निवेश कर सकेंगे और पासबुक प्रिंट भी कर सकेंगे।
पीएम मोदी ने बताया बैंकिंग यूनिट्स का महत्व
पीएम मोदी ने कहा कि भारत के सामान्य मानवी के जीवन को आसान बनाने का जो अभियान देश में चल रहा है, डिजिटल बैंकिंग यूनिट्स उस दिशा में एक और बड़ा कदम हैं। ये एक सिर्फ, एक ऐसी विशेष बैंकिंग व्यवस्था है जो मिनिमम डिजीटल इंफ्रास्ट्रक्चर से मैक्सिमम सेवाएं देने का काम करेगी। ये सेवाएं कागजी लिखापढ़ी और झझटों से मुक्त होंगी, और पहले से कहीं ज्यादा आसान होंगी। इनमें सुविधाओं के साथ-साथ एक मजबूत डिजिटल बैंकिंग सुरक्षा भी होगी।
उन्होंने कहा कि अब गांव या किसी छोटे शहर में कोई व्यक्ति डिजिटल बैंकिंग यूनिट की सेवाएं लेगा तो उसके लिए पैसे भेजने से लेकर लोन लेने तक, सभी कुछ बहुत आसान हो जाएगा और वह सब कुछ ऑनलाइन कर सकेगा।
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पीएम मोदी ने कहा कि वित्तीय भागीदारी जब डिजिटल भागीदारी से जुड़ जाती है, तो संभावनाओं का एक नया विश्व खुलने लगता है। UPI जैसा बड़ा उदाहरण हमारे सामने है। और भारत इसके लिए गर्व करता है। UPI अपने तरह की दुनिया की पहली टेक्नालजी है। लेकिन भारत में आप इसे शहर से लेकर गाँव तक, शोरूम्स हो या सब्जी का ठेला, हर जगह आप उसे देख सकते हैं। UPI के साथ ही, अब देश के जन-सामान्य के हाथों में ‘रुपे कार्ड’ की ताकत भी है। एक समय था जब क्रेडिट या डेबिट कार्ड एक elite व्यवस्था मानी जाती है। बड़े समाज के रईसों की व्यवस्था मानी जाती है। कार्ड भी विदेशी होते थे, उन्हें इस्तेमाल करने वाले भी बहुत गिने-चुने लोग होते थे, और उनका इस्तेमाल भी वैसी ही चुनिन्दा जगहों पर ही होता था। लेकिन, आज भारत में 70 करोड़ से ज्यादा रूपे कार्ड सामान्य मानवी के पास हैं। आज भारत का स्वदेशी रुपे कार्ड, दुनिया भर में स्वीकार किया जा रहा है। टेक्नालजी और इकॉनमी का ये जोड़ एक ओर गरीब की गरिमा और मध्यम वर्ग को बहुत बड़ी ताकत दे रहा है। तो साथ ही देश के डिजीटल divide को भी खत्म कर रहा है।
उन्होंने कहा कि जब डिजिटल भागीदारी और आर्थिक भागीदारी में इतनी ताकत है, तो दोनों की शत प्रतिशत क्षमता के इस्तेमाल से हम अपने देश को किस ऊंचाई तक ले जा सकते हैं? इसीलिए, आज Fintech भारत की नीतियों के, भारत के प्रयासों के केंद्र में है, और भविष्य को दिशा दे रहा है। डिजिटल बैंकिंग यूनिट्स Fintech के इस सामर्थ्य को नया विस्तार देंगी। जनधन खातों ने अगर देश में financial inclusion की नींव रखी थी, तो Fintech financial revolution का आधार तैयार करेंगे।