राजस्थान के बूंदी जिले के कलेक्टर रविन्द्र गोस्वामी इन दिनों लोगों की दिल से मदद करने वाले कारनामों को लेकर सुर्खियों में हैं। रविन्द्र गोस्वामी ने पिछले दिनों पीड़ित महिला के प्रति मानवता दिखाते खुद रक्तदान कर एक महिला की जान बचाई। ब्लड डोनेशन करने जिला कलेक्टर जब अस्पताल पहुंचे तो डॉक्टर्स हैरान रह गए थे। जिला कलेक्टर ने केवल एक यूनिट खुद रक्तदान किया, बल्कि पीड़िता के लिए चार यूनिट और ब्लड की व्यवस्था करवाई।
रविन्द्र गोस्वामी की बतौर जिला कलेक्टर यह पहली पोस्टिंग है। वर्ष 2016 बैच के आईएएस ऑफिसर रविंद्र गोस्वामी जयपुर के रहने वाले हैं। प्रोबेशन पीरियड में बतौर पहली पोस्टिंग एसडीएम माउंट आबू की जिम्मेदारी निभा चुके हैं। इसके बाद उन्हें जिम्मेदारी मिली डिप्टी सेक्रेटरी कार्मिक के पद की।
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करीब डेढ़ वर्ष से अधिक समय तक उन्होंने डिप्टी सेक्रेटरी कार्मिक के पद की जिम्मेदारी निभाई। इस दौरान सीनियर लवले के IAS से लेकर ट्रांसफर पोस्टिंग पर उनके साइन होते थे। जिला कलेक्टर बूंदी में उनको पहली पोस्टिंग मिली तो वहां भी अपने काम के दम पर उन्होंने बड़ा नाम कमाया है।
डिप्टी सेक्रेटरी कार्मिक भी रहे हैं गोस्वामी
उन्होंने बूंदी जिले में एक नया प्रयोग शुरू किया कॉफी विद कलेक्टर! कई बार लोग अपनी शिकायतें लेकर उनके पास आते हैं। वे झिझक में पूरी तरह खुल कर नहीं बोल पाते। मैंने अनौपचारिक मुलाकात का दौर कॉफी विद कलेक्टर शुरू कर दिया। चुनाव किया कि किन लोगों को बुलाना है। गलीचा बनाने वाले, अलगोजा बनाने वाले, टीचर्स, लोक-कलाकार, एक विशेष बीमारी से पीड़ित बच्चे, स्कूली छात्र-छात्राएं। कॉफी के साथ बातचीत हुई तो कई नई बातें बूंदी के बारे में सामने आईं। कई ऐसी बातें आईं, जो बूंदी के लोगों को नई दिशा दे सकती थी। जैसे बच्चों ने बताया कि कुछ बच्चे सिलिकोसिस से पीड़ित हैं। फिर मेडिकल अफसरों को वहां भेजा गया। इसी तरह हस्तशिल्प वाले कलाकारों की अपनी समस्या थी। एक-एक बिंद पर बात हुई तो उनकी समस्याओं पर अफसरों ने कार्रवाई शुरू की।
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ब्लड बैंक में रक्त नहीं था, तो खुद डोनेट किया
बूंदी जिले के नैनवा के बाक्या गांव निवासी अंजलि मीणा को पिछले दिनों प्रसव पीड़ा होने के कारण परिजनों ने उसे जिला मातृ एवं शिशु चिकित्सालय में भर्ती करवाया था। वहां डॉक्टर्स ने एनीमिया से पीड़ित अंजलि मीणा के लिए पांच यूनिट रक्त की आवश्यकता जताई, ब्लड बैंक में ब्लड की चल रही कमी के कारण इसकी व्यवस्था नहीं हो पाई तो कलेक्टर खून देने के लिए खुद अस्पताल पहुंचे।