बीते बुधवार को राजस्थान सरकार ने कक्षा 1 से 8 वीं तक के बच्चों को मिलने वाली निशुल्क यूनिफॉर्म का बजट बढ़ा दिया था। वित्त विभाग से प्रति यूनिफॉर्म 140 रुपए की बढ़ोतरी की गई है। जिसके बाद अब हर बच्चे को मिलने वाली दो ड्रेस का बजट 740 रुपए हो गया है। इसमें से 540 रुपए कपड़े का रखा गया है बाकी के 200 रुपए ड्रेस की सिलाई के लिए बच्चों के खाते में डाले जाएंगे।
दर्जी एक ड्रेस का लेता है 600 से 1000 रुपए
लेकिन अभिभावकों के सामने सबसे बड़ी समस्या यह है कि उन्हें कपड़े सिलवाने के लिए 200 रुपए पर्याप्त नहीं पड़ रहे हैं। दरअसल कपड़े सिलवाने वाला दर्जी एक यूनिफॉर्म सिलने का करीब 600 रुपए लेता है कोई तो इससे भी ज्यादा में सिलाई करते हैं। 500 रुपए से नीचे कोई भी दर्जी कपड़े सिलने को तैयार नहीं होता है। ऐसे में अगर सरकार ने बच्चों के अभिभावकों की जेब में 200 रुपए डाले हैं तो वो किसी काम के नहीं आएंगे। अभिभावकों को अपनी ही जेब करीब 1000 रूपए तक खर्च करना पड़ेगा।
अभिभावकों की जेब में सिर्फ 200… 800 रुपए का अतिरिक्त खर्च
एक आंकड़े के मुताबिक राजस्थान के सरकारी स्कूलों में कक्षा 1 से 8वीं लगभग 67 लाख बच्चे हैं। इन बच्चों की ही यूनिफॉर्म के लिए ये बजट बढ़ाया गया है। अब अगर प्रति बच्चे की सिलाई के खर्च को आंके तो यह करीब 816 करोड़ रुपए हो रहा है। इसमें से सरकार हर बच्चे के खाते में दो ड्रेस के हिसाब से 200 रुपए डाल रही है। यानी सरकार के ऊपर 134 करोड़ रुपए का भार पड़ रहा है। आपको बता दें कि ये आंकड़े सिर्फ यूनिफॉर्म सिलाई को लेकर हैं। अब अगर अभिभावकों की बात करें तो उन्हें अपनी तरफ से दो ड्रेस सिलाने के लिए 1000 रुपए खर्च करने पड़ेंगे। इस हिसाब से अभिभावकों पर 670 करोड़ रुपए का भार पड़ेगा।
सस्ते दर्जी की तलाश में थी सरकार
इससे पहले भी यह मुद्दा कई बार अधिकारियों के सामने उठाया गया है। राजस्थान के बजट-2021 में अशोक गहलोत ने 400 करोड़ रुपए की फ्री यूनिफॉर्म घोषणा की थी । जिसके तहत यह कार्य किया जा रहा है। तब ड्रेस सिलाने के लिए प्रति बच्चे के हिसाब से 600 रुपए का खर्च रखा गया था। लेकिन तब भी कपड़े लेन का खर्च 540 रुपए रखा गया था जिसके बाद कपड़े सिलाने का खर्च सिर्फ 60 रुपए बच रहा था। अब इतने कम पैसों में कोई भी दर्जी कपड़े सिलने को तैयार नहीं था। इसलिए शिक्षा मंत्री बीडी कल्ला ने बजट को बढ़ाने का प्रस्ताव वित्त विभाग को भेजा था जिसके बाद अब विभाग ने 140 रुपए की बढ़ोकरी कर बजट को बढ़ा दिया। जिसके बाद अब कुल बजट 495 करोड़ रुपए का हो गया है। लेकिन इसेक बावजूद अभिभावकों को इससे कुछ फायदा मिलता नजर नहीं आ रहा है।