जमाबंदियों में कुमावत जाति का नाम अलग-अलग तरीके से दर्ज होने के कारण चल रहे विवाद को देखते हुए राज्य सरकार ने राजस्व रिकॉर्ड में संशोधन कर कुमावत लिखे जाने के निर्देश दिए हैं। मामला विधानसभा में उठने के बाद सरकार एक्शन में आई। राजस्व मंत्री रामलाल जाट ने शुक्रवार को विधानसभा में कहा कि यह सही है कि प्रदेश में कई स्थानों में जमाबंदियों में
कुमावत को प्रजापत भी लिखा गया है। उन्होंने कहा कि इस संबंध में आदेश जारी कर समस्त जिला कलेक्टरों को जमाबंदियों में कुमावत शब्द ही दर्ज करने के निर्देश दिए गए हैं।
भाजपा विधायक निर्मल कुमावत की तरफ से इस मामले में प्रश्न लगाया गया था। मामले में विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सी.पी जोशी ने इस मुद्दे पर मंत्री को निर्देश देते हुए कहा कि एक ही जाति के कई नाम होने से कई बार काश्तकार के सामने समस्या आती है। तहसील स्तर पर उस क्षेत्र की सभी जातियों का रिकॉर्ड संधारित किया जाए और जमाबंदी में भी उसी आधार पर कॉलम बनाए जाए।
कम्प्यूटर की गलती से खड़ा हुआ बखेड़ा
रामलाल जाट ने प्रश्नकाल में विधायकों द्वारा इस संबंध में पूछे गए पूरक प्रश्नों का जवाब देते हुए बताया कि विभाग की ओर से 21 सितंबर, 2015 को जारी परिपत्र में कु मावत के साथ प्रजापत व कुम्हार आदि कम्प्यूटर में गलती से एक ही कॉलम में दर्ज हो गए थे। उन्होंने कहा कि प्रशासन गांवों के संग अभियान के दौरान भी इस संबंध में कई शिकायतें प्राप्त हुई, जिनका मौके पर ही निस्तारण किया गया है। उन्होंने बताया कि सीकर, टोंक और जयपुर जिले में ऐसी कई शिकायतें प्राप्त हुई है, जिनमें आमेर तहसील क्षेत्र में 133 शिकायत प्राप्त हुई और 133 का निस्तारण किया जा चुका है। इसी तरह सांगानेर में 19 और माधोराजपुरा में 39 शिकायतें प्राप्त हुई और सभी का निस्तारण कर दिया गया है।
कुमावत को प्रजापत लिखने के कोई निर्देश नहीं
इससे पहले राजस्व मंत्री ने विधायक निर्मल कु मावत के मूल प्रश्न के लिखित जवाब में बताया कि जमाबंदी में प्रदेश में जाति कुमावत के स्थान पर प्रजापति, प्रजापत शब्द करने के कोई निर्देश जारी नहीं किए गए हैं। टोंक, सीकर एवं जयपुर जिले में ऎसे कुछ प्रकरण संज्ञान में आए हैं, जिनमें जाति कु मावत के स्थान पर प्रजापत, प्रजापति व कु म्हार दर्ज कर दिया है। इन प्रकरणों में शीघ्र ही पुनः जाति कु मावत दर्ज करवा दिया जाएगा। इस संबंध में विभागीय ने 21 सितंबर को पत्र लिख कर समस्त जिला कलक्टर्स को निर्देशित कर दिया गया है। इसकी प्रति उन्होंने सदन के पटल पर रखी।
उन्होंने कहा कि इस संबंध में समस्त जिला कलक्टर्स से प्राप्त रिपोर्ट अनुसार किसी भी जिले में समाज की ओर से कोई ज्ञापन प्राप्त नहीं हुआ है। राजस्व मंत्री ने बताया कि राजस्व अभिलेख में काश्तकारों के जाति नाम गलत इंद्राज होने की दशा में उपखंड अधिकारी द्वारा जांच करने के पश्चात राजस्थान भू-राजस्व अधिनियम की धारा 136 एवं राजस्थान भू-राजस्व (भू अभिलेख) नियम, 1957 के नियम 369 के अंतर्गत उक्त अभिलेख में जाति संबंधित त्रुटियों को दुरूस्त किए जाने का प्रावधान है ।