आज राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शिरडी में साईं बाबा के दर्शन किए और अहमदनगर में कार्यक्रम कोे संबोधित किया। यहां पर मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कई मुद्दों पर बात की। जिसमें कांग्रेस अध्यक्ष पद, राजस्थान का मुख्यमंत्री, बेरोजगारी और महंगाई पर खुलकर बात की।
कांग्रेस छोड़ने वाले नेताओं के बारे में बोले गहलोत
हम चाहते हैं कि चुनाव हो जाएं एक बार, चुनाव में जो भी लोग खड़े होंगे, इनर पार्टी डेमोक्रेसी है और चुनाव के बाद में भी हम सब मिलकर ही काम करेंगे, गांवों में, बूथ पर, ब्लॉक पर, जिले पर, प्रदेश पर और देश में कांग्रेस पहले मजबूत कैसे हो क्योंकि कांग्रेस कार्यकर्ताओं की कमी नहीं है, देश के अंदर 6 लाख गांव हैं, सब गांवों में आपको कहीं न कहीं कांग्रेस मिलेगी, एकमात्र पार्टी कांग्रेस पार्टी है जो पूरे देश के अंदर हर गांव में है।
अब जरूरत इस बात की है कि डेमोक्रेसी में कई बार उतार-चढ़ाव आते रहते हैं, अभी जो हालात बने हैं, उससे हम वाक़िफ हैं, पुनः हम दिल जीतेंगे लोगों का और हमें उम्मीद है कि दिल जीतकर देश के हित के अंदर कांग्रेस की जो पॉलिसीज, प्रोग्राम, प्रिंसिपल हैं, वो संविधान के अनुकूल हैं, ये संविधान की धज्जियां उड़ रही हैं, आज डेमोक्रेसी खतरे में हो गई है, एजेंसियों का मिस यूज हो रहा है, ईडी, इनकम टैक्स, सीबीआई, ज्यूडीशियरी पर दबाव है, तो मैं चाहता हूं कि देश को इन सब बातों से छुटकारा मिले और पूरे देशवासी, सभी जाति, सभी धर्म, सभी वर्ग और सभी लैंग्वेज बोलने वाले लोग प्यार से रहें, भाईचारे से रहें और हिंसा का मुकाबला करें।
मुख्यमंत्री और अध्यक्ष पद दोनों पदों पर रहेंगे गहलोत ?
इस सवाल पर गहलोत ने कहा कि मीडिया द्वारा पहले आ रहा था कि मैं मुख्यमंत्री पद छोड़ना नहीं चाहता हूं, जब तक ये तय नहीं हो कि मुझे कांग्रेस प्रेसिडेंट के लिए खड़ा होना है, तब तक कोई क्या बोलेगा? तो मैं मेरे साइलेंट रहा, मीडिया चलाता रहा कि भई ये मुख्यमंत्री पद से जाना नहीं चाहते हैं, यहीं रहना चाहते हैं, ये मैंने जरूर कहा, आज भी मैं कहता हूं, अभी भी मैं कहता हूं और फॉर्म भरने के बाद भी कहू्ंगा कि मैं कहीं रहूं, किसी भी पद पर, पर राजस्थान जहां से मैं बिलॉन्ग करता हूं, जिस गांव में मैं पैदा हुआ हूं, वहां की सेवा मैं जिंदगीभर करता जाऊंगा और अंतिम सांस तक करता रहूंगा, ये कहने में क्या हर्ज है, उसका लोग अलग-अलग मीनिंग निकाल लेते हैं, मीडिया वाले उसको कई बार अपने हिसाब से इंटरप्रेट भी कर लेते हैं।
‘मेरे लिए पद महत्व नहीं रखता’
पार्टी ने मुझे पिछले 40 साल से 3 बार केंद्रीय मंत्री, 3 बार एआईसीसी का महामंत्री, 3 बार पीसीसी प्रेसिडेंट और 3 बार मुख्यमंत्री बनाया है, तो मेरे लिए तो जिंदगी में सबकुछ मुझे सम्मान भी मिला है, जिम्मेदारी भी मिली है, अब सोनिया गांधी जी और कांग्रेस हाईकमान मुझे कुछ कहेगी कुछ भी, वो मुझे करना ही है, करना ही चाहिए और इसीलिए मैंने ये भी कहा कि अब मेरे लिए पद महत्व नहीं रखता है, अगर मेरा बस चले तो मैं कोई पद पर रहूं ही नहीं और राहुल गांधी के साथ में यात्रा पर निकल जाऊं, आह्वान करूं पब्लिक को कि आप आइए, आप लोग मीटिंग में आइए और देश के हालात समझिए कि देश में क्या हो रहा है, क्या नहीं हो रहा है और हम लोग वो मैसेज दें पब्लिक को, वो वक्त आ गया है हमारे लिए, फिर क्योंकि अभी हालात ऐसे हैं पार्टी के हैं कि अगर मैं कहूं कि नहीं, मैं जा रहा हूं छोड़कर तो लोग कहेंगे कि साहब क्योंकि पार्टी की स्थिति ठीक नहीं है इसलिए आप छोड़कर जा रहे हो, इसलिए मैंने कहा कि मेरा बस चले तो, ये मैंने कहा।
गांधी परिवार के बाहर कोई नेता जो कांग्रेस का नेतृत्व करे
गहलोत ने कहा कि सोनिया जी ने किसी को बाहर का रास्ता नहीं दिखाया, रास्ता कोई दिखाता नहीं है, स्थिति ऐसी बन जाती है कई बार कि कितने लोग पार्टी में आते हैं, कई लोग चले जाते हैं, पार्टी एक वटवृक्ष की तरह है, 135 साल पुरानी पार्टी है, जिसका त्याग, जिसका बलिदान, जिसकी कुर्बानी देश नहीं दुनिया जानती है, आजादी के पहले भी, आजादी के बाद में भी, इंदिरा गांधी जी शहीद हो गईं, राजीव गांधी जी शहीद हो गए, सरदार बेअंत सिंह जी शहीद हो गए मुख्यमंत्री रहते हुए, ज्ञात-अज्ञात कितने लोग शहीद हुए, पर देश को एक रखा, अखंड रखा, ये हमारा शानदार इतिहास है देश का, उसी को हम आगे बढ़ाना चाहेंगे और सबको साथ लेकर चलेंगे।
राहुल गांधी के मना करने पर मैंने चुनाव लड़ने के लिए कहा
राहुल गांधी के चुनाव लड़ने से मना करने पर उन्होंने कहा कि गांधी परिवार का कोई व्यक्ति चुनाव नहीं लड़ेगा, ये मैं पहले कह चुका हूं, मैं अपनी बात पर अडिग हूं, मैं इसलिए ही भारत जोड़ो यात्रा में गया था। मैंने भाग भी लिया और साथ में मैंने रिक्वेस्ट भी की कि जब तमाम प्रदेश कांग्रेस कमेटियां प्रस्ताव पास कर रही हैं आपके लिए, तो आपको उनकी भावनाओं को समझना चाहिए। उन्होंने कहा कि नहीं मैं उन सबकी भावनाओं का सम्मान करता हूं जिन्होंने प्रस्ताव पास किए उनकी, बाकी जो आप लोग जो भी मुझे कह रहे हैं मैं सबकी भावनाओं का सम्मान करता हूं, पर मैंने एक बार निर्णय किया, मैं उस निर्णय पर अडिग रहना चाहता हूं।