Bihar Politics : बिहार में सत्ता से जाने के बाद अब भाजपा अपनी जमीन वापस पाने की जुगत में है। इसकी बानगी भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेताओं के इस महीने बिहार दौरे के जरिए देखने को मिल रही है। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि 2024 के राष्ट्रीय चुनावों से पहले बिहार बीजेपी के लिए फोकस का शीर्ष क्षेत्र बना हुआ है। बिहार, जो 40 सांसदों को संसद भेजता है, हिंदी पट्टी का एकमात्र राज्य है जहां भाजपा अपने दम पर सरकार बनाने या संगठन का विस्तार करने में असमर्थ रही है।
23 सितंबर को अमित शाह का दौरा
बता दें कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह 23 सितंबर को बिहार का दौरा करेंगे। तो वहीं कैबिनेट मंत्री स्मृति ईरानी 18 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर एक किताब का विमोचन करेंगी। जिससे भाजपा के मिशन के बारे में थोड़ी बहुत थाह तो मिल ही रही हैस लेकिन बिहार के भाजपा प्रमुख संजय जायसवाल का कहना है कि स्मृति ईरानी की यात्रा एक अलग है। शाह का दौरा भाजपा की नियमित पहुंच का हिस्सा है। सीमांचल में कार्यक्रम बहुत पहले से तय थे, उसके बाद के कार्यक्रमों की भी योजना है। हमारी गतिविधियां कभी नहीं रुकती हैं।
भाजपा कोर ग्रुप की होगी बैठक
जायसवाल ने कहा कि भाजपा 17 सितंबर से लोगों तक पहुंचने के लिए एक पखवाड़े का कार्यक्रम आयोजित करेगी, जब मोदी अपना जन्मदिन मनाएंगे। पिछले साल, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मोदी के जन्मदिन के अवसर पर 30 लाख खुराक देने के लिए एक विशेष कोविड टीकाकरण अभियान की घोषणा की थी। लेकिन प्रधानमंत्री के जन्मदिन पर नीतीश कुमार ऐसी कोई घोषणा करें इसकी संभावना तो कतई नजर नहीं आ रही है।
अब जनता दल यूनाईटेड भाजपा से अलग हो चुकी है। जिसके बाद अब अमित शाह सीमांचल का पहला दौरा करेंगे। वह भाजपा के कोर ग्रुप की बैठक में शामिल होंगे। इसके बाद वे पूर्णिया और किशनगंज में दो रैलियों को संबोधित करेंगे।
‘नीतीश कुमार खो चुके हैं विश्वसनीयता’
दूसरी तरफ केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय, जायसवाल और पूर्व उपमुख्यमंत्री तारकेश्वर प्रसाद ने सीमांचल का दौरा किया और शाह के दौरे से पहले पार्टी को मजबूत करने के लिए बैठकें की हैं। इस दौरान नित्यानंद राय ने कहा कि नीतीश कुमार ने विश्वसनीयता खो दी है। वह चाहे कहीं भी जाएं, उन्हें राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव के खाके का पालन करना होगा। वह अब हमारे लिए एक कारक नहीं है। हम एक कार्यकर्ता-आधारित पार्टी हैं और हम बिहार की प्रगति के लिए काम करते रहेंगे, न कि व्यक्तियों के हितों के अनुरूप। कुमार के लगातार गिरते ग्राफ के बावजूद हमारे मन में उनके लिए अत्यंत सम्मान है, लेकिन, शायद, वह इसके लायक नहीं थे।
सीमांचल में महत्वपूर्ण मुस्लिम आबादी वाले क्षेत्रों को जीतना बड़ी चुनौती
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि अमित शाह की यात्रा से पता चलता है कि भाजपा एक योजना पर काम कर रही है जिसमें वह वोटों का पोलराइजेशन कर रही है। सीमांचल में महत्वपूर्ण मुस्लिम आबादी वाले निर्वाचन क्षेत्र हैं इनमें असदुद्दीन ओवैसी की AIMIM जैसी पार्टी 2015 के विधानसभा चुनाव में सीटें जीतने में कामयाब रही थी। इसलिए भाजपा का यहां पर जीत दर्ज करना एक चुनौतीपूर्ण काम होगा।
यहां गौर करने वाली बात है कि भाजपा ने बिहार में 2024 के राष्ट्रीय चुनावों में 35 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है। इससे पहले बीजेपी ने 2019 में जदयू और अन्य पार्टियों के साथ गठबंधन में 40 में से 39 सीटें जीती थीं।