प्रदेश में हो रहे दलित अत्याचारों को लेकर राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने राज्य सरकार की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए। प्रदेश के दौरे पर आए राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष विजय सांपला ने गुरुवार को राज्य स्तरीय बैठक ली। इसमें राज्य सरकार को घेरते हुए दलितों पर अत्याचार की रिपोर्ट आयोग को नहीं देने का आरोप लगाया। सांपला ने कहा कि राजस्थान में दलितों पर अत्याचारों की जानकारी सोशल मीडिया से मिल रही है। समाज में एससी के लोगों पर होने वाले अत्याचारों के बारे में शिकायत उपयुक्त मंच पर नहीं पहुंच रही। इसकी मुख्य वजह राज्य सरकार की निरंकुशता है।
जिला कलेक्ट्रेट सभागार में हुई बैठक में प्रदेश के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री टीकाराम जूली, मंत्री भजन लाल जाटव, दूदू विधायक बाबूलाल नागर, बगरू विधायक गंगादेवी, बारां विधायक पानाचन्द मेघवाल, रायसिंह नगर विधायक बलबीरसिंह लूथरा, राज्य एससी आयोेग अध्यक्ष खिलाड़ी लाल बैरवा सहित कई पूर्व विधायक मौजूद रहे। मंत्री जाटव ने कहा कि एससी के लोग वन भूमि में बसे हैं, इसलिए योजनाओ से वंचित हो रहे हैं।
वन भूमि में बसने से नहीं मिल पा रहा है योजनाओं का लाभ
सार्वजनिक निर्माण विभाग के मंत्री भजन लाल जाटव ने कहा कि अनुसूचित जाति की आबादी वाले गांवों के लोग वन विभाग की भूमि पर जाकर बस जाते हैं, जिससे वे सरकारी सुविधाओं से वंचित रह जाते हैं। केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि लोगों को सरकार द्वारा प्रदत्त सुविधाओं का लाभ प्रदान करने के लिए नियमों में केन्द्र सरकार शिथिलता प्रदान करे।
वहीं आयोग अध्यक्ष से राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना के लाभार्थियों की सीमा (सीलिंग) को वर्तमान जनसंख्या के अनुपात में बढ़ाने एवं समग्र शिक्षा अभियान के तहत रोकी गई राशि के शीघ्र आवंटन की मांग की। वहीं बैठक में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री टीकाराम जूली ने कहा कि एससी वर्ग के लिए चलाई जा रही योजनाओं को धरातल पर सही ढंग से क्रियान्वयन किया जाएगा। अनुसूचित जाति के छात्रों को समय पर छात्रवृति दिलाने के लिए हर संभव प्रयास किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि समाज के निम्न वर्ग के लोगों की मदद करने के लिए तत्परता से आगे आना चाहिए।
सामाजिक समरसता दिखाए सरकार
आयोग अध्यक्ष विजय सांपला ने कहा कि दलितों पर अत्याचार की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं।राजस्थान में आए दिन सोशल मिडिया पर सूचनाएं आती रहती हैं। घटना की रिपोर्ट देने के बाद भी पुलिस और सामाजिक संस्था कोई एक्शन नहीं लेते।साथ ही जागरूकता के अभाव में भी शिकायत सही जगह नहीं पहुंचती। इसलिए सरकार और सामाजिक संगठनों को अपनी महती भूमिका निभानी चाहिए।अनुसूचित जाति के लोगों के प्रति जो भेदभाव करने की मानसिक धारणा बनी हुई है, उसे दर करने के लिये वर्तमान समय में सामाजिक समरसता की नितांत आवश्यकता है।
सूचना पर स्वप्रेरणा सेलिया एक्शन बैठक में मौजूद अधिकारियों से अध्यक्ष ने प्रदेश में दलितों पर हो रहे अत्याचारों की रिपोर्ट मांगी, लेकिन अधिकारी पूरी रिपोर्ट पेश नहीं कर सके । इस पर अध्यक्ष ने नाराजगी जताते हुए कहा कि अधिकारियों की लापरवाही के चलते मामलों की जांच समय पर नहीं होती।उन्होंने कहा कि आज सोशल मीडिया से घटनाओ के बारे में आयोग को मालूम हो रहा है। आयोग द्वारा स्वप्रेरणा पर 95 प्रतिशत घटनाओ पर एक्शन लिया जा चुका है।