किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए जो कॉल सेंटर स्थापित किया था उसके शुरू होने के साथ ही किसानो को बहुत राहत मिली है
जोधपुर के कृषि विश्वविद्यालय द्वारा एक अनूठी पहल के साथ नवाचार करते हुए किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए जो कॉल सेंटर स्थापित किया था उसके शुरू होने के साथ ही किसानो को बहुत राहत मिली है। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि केवल राजस्थान ही नही बल्कि अलग-अलग राज्यो से भी किसान फोन कर अपनी समस्याओं का समाधान पा रहे है। जोधपुर का कृषि विश्वविद्यालय। यहां प्रसार शिक्षा निदेशालय की ओर से किसान कॉल सेंटर इसी साल 15 अगस्त से शुरू किया गया है। 20 दिन में यह सेंटर सिर्फ जोधपुर नहीं, सिर्फ राजस्थान नहीं बल्कि देशभर के किसानों के लिए मदद का शानदार सेंटर साबित हो रहा है। जब हम कृषि यूनिवर्सिटी पहुंचे तो वहां कॉल सेंटर में कुछ प्रतिनिधि किसानों के कॉल अटैंड कर रहे थे।
किसी प्रकार का नही लिया जाता चार्ज
किसानों के लिए टोल फ्री नंबर1800-180-3000 है। सेंटर पर किसानों की खेती-बाड़ी और पशुपालन से संबंधित समस्याओं का समाधान एक्टपर्ट बताते हैं। इसके लिए किसी तरह का चार्ज नहीं लिया जाता। एक प्रतिनिधि ने कॉल उठाकर कहा- नमस्कार, हम किसान कॉल सेंटर कृषि यूनिवर्सिटी जोधपुर से बात कर रहे हैं। बताइए, आपकी क्या मदद कर सकते हैं। अपना नाम और गांव बताए।
ऐसे किसान पा रहे समाधान
किसान ने श्रीगंगानगर से कॉल किया था और जानना चाहता था कि वह अपने इलाके में अश्वगंधा की खेती शुरू करने के लिए क्या करे? प्रतिनिधि ने किसान को लाइन पर होल्ड किया। एक्सपर्ट साइंटिस्ट को कॉल कर किसान की जरूरत के बारे में बताया और फिर किसान को लाइन पर लेकर जवाब दिया- ठीक है सर, हम आपका कॉल सीधे एक्सपर्ट को कनेक्ट कर रहे हैं, वे आपकी मदद कर पाएंगे।
किसानो के हित में अच्छी पहल
कृषि विश्वविद्यालय जोधपुर में यह शानदार शुरुआत किसानों के लिए की गई है। यह राजस्थान का पहला किसान कॉल सेंटर (KCC) है। यहां एक ही कॉल में किसानों की समस्याओं का घर बैठे समाधान हो रहा है। यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ. अरुण कुमार का कहना है कि किसानों के हित में इससे अच्छी पहल नहीं हो सकती। इस तरह राजस्थान में किसानों के लिए विश्वविद्यालय स्तर पर कॉल सेंटर सेवा उपलब्ध करवाने वाला कृषि विश्वविद्यालय जोधपुर पहला संस्थान भी बन गया है। इसे किसान कौशल केंद्र नाम दिया गया है। प्रभारी बनाया गया है डॉ. प्रदीप पगारिया को।
बारिश संबंधित समस्याओं के आ रहे ज्यादा कॉल
सेंटर पर फिलहाल 4 लोग कॉल रिसीव करने के लिए लगाए हुए हैं। रोजाना 25 से 30 किसानों के कॉल आ रहे हैं। अधिकतम एक दिन में 50 कॉल तक भी आ चुके हैं। प्राइमरी कॉल अटेंडर सुभाष बाजिया ने बताया- एक किसान का कॉल आया। वह प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के बारे में जानकारी चाहता था। मछली पालन की जानकारी हम लोकल स्तर की देते हैं। उस किसान को मत्स्य पालन शुरू करने के लिए लोन की जानकारी चाहिए थी। यह केंद्र की योजना है। इसलिए उसे अधिक जानकारी केंद्र के कॉल सेंटर से लेने के बारे में बताया।
फसलो में वायरस या फंगस की आ रही शिकायते
फसल में वायरस या फंगस लग गया है तो कौन सी दवा बेहतर रहेगी। पूरे राजस्थान से कॉल आते हैं। नाम पता और फोन नंबर नोट करके एक्सपर्ट को कॉल ट्रांसफर करते हैं।फिलहाल राजस्थान से जो कॉल आ रहे हैं, उनमें ज्यादातर वे किसान हैं जो बारिश के कारण फसलें पीली पड़ने या कीड़ा लगने की समस्या बता रहे हैं। किसान कॉल करके पूछ रहे हैं कि मूंग, बाजरा, नरमा की फसल में पानी भरने से वे पीली पड़ गई हैं या रोग लग गया है। इसका समाधान कैसे करें या फिर बीमा के लिए किस प्रक्रिया में जाए।
घर बैठे ही हो रहा किसानों का समाधान
यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ. अरुण कुमार की माने तो एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के साइंटिस्ट को किसानों की हर संभव मदद कर रहे हैं। किसान कॉल सेंटर सेवा से किसानों को घर बैठे एक कॉल पर खेती-बाड़ी से संबंधित विभिन्न समस्याओं का समाधान एक्सपर्ट से मिल रहा है। किसानों के हित में यह बड़ा कदम है। दूर-दराज के किसानों को फायदा मिल रहा है। इन कॉल का रिकॉर्ड भी यहां पर मेंटेन किया जा रहा है। ताकि समय-समय पर उनसे फॉलोअप भी लिया जा सके। कार्यक्रम का उद्देश्य खेती किसानी में सुधार करवाना और किसानों का जीवन सरल बनाना है।