प्रशांत शर्मा, जयपुर। 10 साल बाद लोकसभा को नेता प्रतिपक्ष मिलने जा रहा है, INDIA गठबंधन की बैठक में राहुल गांधी को विपक्ष का नेता बनाने पर सहमति बनने के बाद कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने ये जानकारी दी। गांधी परिवार से राहुल गांधी तीसरे व्यक्ति है जो लोकसभा में कोई संवैधानिक पद संभालने जा रहा रहे है …उनसे पहले उनके पिता राजीव गांधी ने 1989 से 1990 और मां सोनिया गांधी ने 1999 से 2004 तक नेता प्रतिपक्ष के रूप में लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष का पद संभाला है।
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पहली बार राहुल गांधी संभालेंगे संवैधानिक पद
अपने 20 साल के राजनितिक कॅरियर में ये पहली बार है जब राहुल गांधी कोई संवैधानिक पद संभालने जा रहे है, पिछले 10 साल से लोकसभा में कोई भी विपक्ष का नेता नहीं था, नियम के मुताबिक विपक्ष का नेता बनाने के लिए किसी भी पार्टी के पास कम से कम सांसदों की कुल संख्या के 10 % यानि की 54 सांसद होना जरूरी है। 2014 से अब तक किसी भी पार्टी के पास इतने सांसद नहीं थे।
आखिरी बार BJP नेता दिवंगत सुषमा स्वराज ने 2009 से 2014 तक नेता प्रतिपक्ष का जिम्मा संभाला था। हालांकि, इससे पहले वर्ष 1980 और 1989 में भी नेता प्रतिपक्ष का पद खाली रह चुका है, इस बार INDIA गठबंधन के साथ चुनाव लड़कर कांग्रेस ने 99 सीटें जीती और नेता प्रतिपक्ष के लिए INDIA गठबंधन की बैठक में राहुल गांधी को नेता प्रतिपक्ष बनाने में सहमति बनी।
राहुल गांधी को मिलेंगे ये अधिकार
नेता प्रतिपक्ष का पद संभालते ही राहुल गांधी को कई संवैधानिक शक्तियां मिलेंगी, इनमे चीफ इलेक्शन कमिश्नर सहित चुनाव आयोग के 2 सदस्यों की नियुक्ति करने वाले पैनल में PM मोदी के साथ शामिल होंगे। इसके साथ ही राहुल गांधी, CBI और ED के डायरेक्टर की नियुक्ति, NHRC प्रमुख की नियुक्ति, सेंट्रल इन्फॉर्मेशन कमिश्नर और सेंट्रल विजिलेंस कमिश्नर की के साथ ही लोकपाल की नियुक्ति करने वाले पैनल के सदस्य के रूप में राहुल गांधी अहम जिम्मेदारी निभाएंगे। 10 साल बाद पहली बार ऐसा होगा जब PM मोदी को इन पदों पर नियुक्ति के लिए राहुल गांधी की भी सहमति लेनी होगी।
10 साल से कोई भी नेता प्रतिपक्ष ना होने की वजह से अब तक ये फैसले PM मोदी स्वयं ही करते आए है। राहुल गांधी भारत सरकार के वित्तीय खर्चों की ऑडिटिंग करने वाली लोक लेखा समिति के अध्यक्ष होंगे इसके साथ ही वे समय समय पर सरकारी काम की समीक्षा और जांच करेंगे। इसके साथ ही राष्ट्रीय मुद्दों पर राहुल गांधी अन्य देशों के राष्ट्राध्यक्षों के साथ विचार-विमर्श के लिए संपर्क कर सकेंगे।
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