साबरमती एक्सप्रेस में पति ने तोड़ा दम, नींद में समझ बगल में बैठी रही पत्नी… 13 घंटे किया लाश के साथ सफर

झांसी। उत्तरप्रदेश के झांसी से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। यहां अहमदाबाद से चलकर अयोध्या जा रही साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन के स्लीपर कोच…

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झांसी। उत्तरप्रदेश के झांसी से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। यहां अहमदाबाद से चलकर अयोध्या जा रही साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन के स्लीपर कोच के यात्री करीब 13 घंटे तक एक शव के साथ सफर करने को मजबूर रहे। ट्रेन में सवार बाकी यात्रियों को घंटों तक नहीं पता चला कि वो एक शव के साथ सफर कर रहे हैं।

यात्रियों की आपत्ति व विरोध के बाद मंगलवार रात ट्रेन जब झांसी रेलवे स्टेशन पर पहुंची तब शव को कोच से उतारा गया। जिसके बाद शव को कब्जे में लेकर जीआरपी ने कार्रवाई शुरु की। इस दौरान मृतक की पत्नी शव के साथ बैठी रही।

दरअसल, 1-2 दिसंबर की रात मृतक अपने परिवार के साथ यात्रा कर रहा था। इनमें पत्नी, उसके दो बच्चे और एक साथी के साथ सूरत से अयोध्या की यात्रा कर रहा था। इस यात्रा के दौरान युवक ट्रेन में ही वो सो गया, लेकिन कई घंटे बाद भी जब नहीं उठा तो पास बैठे लोगों को शक हुआ। हिलाने-डुलाने पर पता चला कि शख्स की तो सांसे थम चुकी हैं। महिला का पति सूरत में वाहन चालक था। हादसे में घायल होने के बाद बिगड़ रही हालत देख वह पति को साथ लेकर अयोध्या अपने घर लौट रही थी।

जानकारी के अनुसार, अयोध्या के गांव मजलाई इनायतनगर के रामकुमार कोरी (36) पत्नी प्रेमा व दो छोटे-छोटे बच्चों के साथ करीब 15 साल से सूरत में रह रहा था। कुद दिनों पहले रामकुमार का एक्सीडेंट हुआ था जिसमें उसके सिर पर गंभीर चोट आई थी। पत्नी उसका इलाज करा रही थी, लेकिन सुधार न होने और हालत बिगड़ने से प्रेमा अपने पति रामकुमार को अपने गांव अयोध्या ले जा रही थी।

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बच्चों और पति के साथ वह साबरमती एक्सप्रेस के स्लीपर कोच नंबर एस-6 में सवार हो गई। प्रेमा ने रास्ते में मदद के लिए रामकुमार के दोस्त सुरेश बुला लिया। सुरेश ने बताया कि सफर के दौरान रात्रि में रामकुमार सो गया था। मंगलवार की सुबह करीब 8 बजे उन्होंने रामकुमार को जगाना चाहा, लेकिन वह नहीं उठा। जब रामकुमार की धड़कन देखी तो वह बंद थी। सुरेश ने उसे देखा तो रामकुमार की मौत हो चुकी थी।

सुरेश ने बताया कि रामकुमार की पत्नी और बच्चे साथ थे इसलिए सफर के दौरान उन्हें कुछ नहीं बताया, क्योंकि ट्रेन में कोहराम मच जाता। उन्हें रामकुमार की मौत की कोई जानकारी नहीं थी। बीच रास्ते कहीं उतरना न पड़े, इसलिए मौत की बात छिपाकर चुप्पी साध ली। काफी देर तक रामकुमार के हलचल न करने पर यात्रियों को संदेह हुआ। इस दौरान रात साढ़े आठ बजे के आसपास बाकी यात्रियों को पता चला कि रामकुमार की मौत हो गई। उन्होंने लाश को ट्रेन से निकालने को कहा तब जाकर सुरेश ने रेलवे पुलिस को जानकारी दी। मामले की सूचना टीटीई व कंट्रोल रूम को देने के बाद रात सवा नौ बजे ट्रेन वीरांगना लक्ष्मीबाई स्टेशन पहुंची तो जीआरपी व आरपीएफ ने अटेंड किया और शव उतारकर पोस्टमार्टम के लिए मेडिकल कॉलेज भेज दिया।

मृतक की पत्नी बोली, वह हमेशा के लिए सो गए…

मृतक की पत्नी प्रेमा ने रोते हुए बताया कि 8 बजे जब मैं उठा रही थी तो वह बोल नहीं रहे थे। शरीर गरम था इसलिए हम कुछ समझ नहीं पाए। हमने उन्हें काफी उठाने का प्रयास किया, लेकिन वह कुछ बोल नहीं रहे थे। इसपर हमने सोचा कि वह सो रहे हैं, लेकिन वह तो हमेशा के लिए सो गए।