Rajasthan Election 2023: संसदीय लोकतंत्र में जनप्रतिनिधियों का निर्वाचन संवैधानिक अनुष्ठान का प्रतीक है। सोलहवीं राजस्थान विधानसभा के गठन के लिए शनिवार 25 नवम्बर 2023 को मतदान दिवस है। दो सौ सदस्यीय सदन में गंगानगर जिले में एक कांग्रेस प्रत्याशी के देहावसान के कारण 199 निर्वाचन क्षेत्रों में सुबह सात बजे से सायं छह बजे तक मतदान का समय निर्धारित किया गया है। पिछले चुनाव से समयावधि एक घंटा अिधक है ताकि निर्वाचन विभाग के शत प्रतिशत मतदान के लक्ष्य के अधिकाधिक नजदीक पहुंचा जा सके। निर्वाचन के इस अनुष्ठान के सहभागियों में निर्वाचन आयोग, निर्वाचन प्रक्रिया को सम्पन्न कराने वाली मशीनरी, शांतिपूर्ण एवं निष्पक्ष चुनाव के लिए पुलिस तथा अर्द्धसैनिक बल, राजनैतिकदल और निर्दलीय प्रत्याशी एवं सबसे प्रमुख मतदाता समुदाय शामिल है।
तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के कार्यकाल में मताधिकार की आयु 21 वर्ष से घटाकरе 18 वर्ष करने से मतदाता सूची अधिक लम्बी हो गई है। कांग्रेस तथा भाजपा सहित 80 राजनीतिक दलों के एवं 737 निर्दलीय प्रत्याशियों सहित कुल 1875 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं। आयोग के निर्देशानुसार 23 नवम्बर शाम छह बजे तक भोंपू चुनाव प्रचार के पश्चात केवल घर-घर बिना किसी शोर-शराबे के जनसम्पर्क की छूट है। गुरुवार और शुक्रवार की रात चुनावी भाषा में कत्ल की रात मानी जाती है। निर्वाचन विभाग की सख्त निगरानी तथा पर्यवेक्षकों की तैनाती के बावजूद चुनाव युद्ध के खिलाड़ी वोटों के उलट-पुलट के जुगाड़ में पारंगत हो चुके हैं।
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नीर-क्षीर विवेक से करें मतदान
अब मतदान का तौर तरीका- प्रथम आम चुनाव में के वल अशोक चिह्न वाला मतपत्र प्रत्येक प्रत्याशी के चुनाव चिन्ह वाले कनस्तरनुमा पेटी में डालने का अभ्यस्त मतदाता। फिर मतपेटी में प्रत्याशी एवं चुनाव चिह्न वाले मतपत्र पर क्रॉस लगी मोहर लगाने और अब ईवीएम पर बटन दबाने तथा मतदान की पुष्टि करने वाला मतदाता। इसलिए मतदाता को वोट देते समय समाजवादी नेता मधु लिमये के इस कथन को याद करना होगा- जनता उस भेड़ की तरह है जिसकी चमड़ी पर से हम राजनीतिक दल वोटों की ऊन काटते हैं। ऊन काटें तब तक तो ठीक, लेकिन कुछ दल चमड़ी तक काट लेते हैं। आव्हान यही था कि मतदाता भेड़ नहीं बने- वोटर की सही मुद्रा में खड़ा हो।
नीर-क्षीर विवेक से मतदान करे जिससे समाज और राष्ट्र का भला हो। मतदान करते समय निर्वाचन आयोग की कसरत को भी ध्यान में रखना होगा जो साल दर साल चुनाव प्रबंधन से जूझता है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने चुनाव प्रचार के अंतिम दिन देवगढ़ में आयोजित सभा में भी राजस्थान के मतदाताओं से अधिकाधिक संख्या में मतदान कर विवाहोत्सव के लिए मतदान की तारीख बदलने के निर्वाचन आयोग के निर्णय का सम्मान करने की अपील की है।
चुनाव आयोग ने किए कई नवाचार
संसदीय लोकतंत्र के लिए अनिवार्य मतदान की मुद्दा भी चुनाव सुधार की बहस में शामिल रहा है। राजनीतिक दल भी सत्ता पाने की होड़ में अधिकाधिक मतदान का लक्ष्य पाने की फिराक में रहते हैं। मतदाता सूची में नाम जुड़वाने से लेकर मतदान के लिए पर्ची बनाकर मतदाता तक पहुंचाने की मशक्कत करते हैं। राजधानी जयपुर के हवामहल निर्वाचन क्षेत्र में भाजपा प्रत्याशी भंवरलाल शर्मा ने के वल मतदाता पर्ची भेजकर लगातार चुनावी छक्का लगाने का रिकॉर्ड कायम किया। अब तो निर्वाचन विभाग ने भी घर-घर मतदाता पर्ची वितरित करने का अभियान चलाया है।
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अब 5 करोड़ 27 लाख से अधिक मतदाताओं को फोटो युक्त पर्ची के स्थान पर क्यूआर कोड वाली वोटर स्लिप को स्कैन करते ही विधानसभा क्षेत्र एवं मतदान बूथ की सूचना मिलेगी। इस चुनाव में 80 साल से अधिक आयु वाले तथा दिव्यांग मतदाताओं को घर बैठे मतदान की सुविधा दी गई है। चुनाव कर्मियों से युक्त चुनावी सेना के लिए ई-बैलेट का प्रावधान किया गया है। लक्ष्य एक है- शत प्रतिशत मतदान। मतदान का महत्व है- एक एक वोट की कीमत होती है। नाथद्वारा से एक वोट की पराजय डॉ. सीपी जोशी के जेहन में हमेशा रहने वाली है। निर्वाचन क्षेत्रों में मतदान कम होना भी हार-जीत का सबब बन जाता है। महज सवा प्रतिशत वोट इधर से उधर पलटने से सत्ता परिवर्तन का साक्षी रहा है राजस्थान।
गुलाब बत्रा, वरिष्ठ पत्रकार