Rajasthan Assembly Election 2023: राजस्थान में विधानसभा चुनावों की वोटिंग से 4 दिन पहले कांग्रेस ने चुनावी घोषणा पत्र जारी कर दिया है। जयपुर में कांग्रेस मुख्यालय में राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने सुबह 10.30 बजे घोषणा पत्र जारी किया। इस दौरान पीसीसी में सीएम अशोक गहलोत, सचिन पायलट, सीपी जोशी और सचिन पायलट सहित अन्य नेता मौजूद रहे। कांग्रेस ने घोषणा पत्र में किसान वर्ग को साधते हुए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर फसल खरीद का कानून बनाने और किसानों को 2 लाख रुपए तक का ब्याज मुक्त कर्ज देने का वादा किया है। कांग्रेस के घोषणा पर में ओर क्या कुछ खास है किसान वर्ग के लिए आइए जानते है..
कांग्रेस ने किए किसानों से कई वादे
- प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण योजनाः बढ़ती उत्पादन लागत और बाजार में होने वाली गिरावट से होने वाले नुकसान की क्षतिपूर्ति के लिए किसानों को सीधे मुआवजा देने हेतु एक नई योजना की शुरुआत करेंगे।
- फसल बीमा सुधारः दावा प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने के लिए सार्वजनिक क्षेत्र की बीमा कंपनी द्वारा समर्थित एक सरलीकृत फसल बीमा योजना शुरू करेंगे।
- सहकारी बैंकिंग का सहयोग: सहकारी बैंकों से सभी किसानों को ब्याज मुक्त 2 लाख रुपये तक के कृषि ऋण प्रदान करेंगे।
- बाजार मूल्य जोखिम बीमाः उपज जोखिम के अलावा बाजार मूल्य जोखिम का बीमा करने के विकल्पों को खोजेंगे।
- बिजली आपूर्तिः किसानों को प्रत्येक वर्ष नवंबर से मार्च के महीने में प्रतिदिन 8 घंटे 3-फेज बिजली प्रदान करेंगे।
- सरस डेयरी सहयोग: किसानों की आय बढ़ाने के लिए किसानों द्वारा सरस डेयरी को दूध बेचने पर प्राप्त होने वाले अनुदान में वृध्दि करेंगे।
- कृषि-मंडियों का विकासः स्थानीय कृषि बाजारों को बढ़ावा देते हुए, तहसील और ब्लॉक स्तरों पर कृषि-मंडियों की स्थापना करेंगे।
- सिंचाई संवर्धनः सिंचाई क्षमता बढ़ायेंगे और प्रभावी जल प्रबंधन को प्राथमिकता देने हेतु सिंचाई समितियों के लिए होने वाले चुनावों में पारदर्शिता सुनिश्चित करेंगे।
- खाद्य प्रसंस्करण ईकाईयाँ: कृषि क्षेत्र में आय सृजन को बढ़ावा देने के लिए हर जिले में खाद्य प्रसंस्करण ईकाईयाँ स्थापित करेंगे।
- किसानों के अधिकारः विरोध प्रदर्शनों में भाग लेने वाले किसानों के खिलाफ दर्ज हुए तथा लंबित मामलों को वापस लेंगे और सुनिश्चित करेंगे कि उनके अधिकारों की रक्षा की जाए।
- बीज की गुणवत्ता और पशुधन संवर्धनः बीज की गुणवत्ता तथा पशुधन की नस्लों में सुधार के साथ ही स्थानीय कृषि आवश्यकताओं को पूरा करने पर ध्यान केन्द्रित करेंगे।
- सतत कृषि संवर्धनः प्राकृतिक खेती, कृषि वानिकी और पर्यावरण-अनुकूल उपायों जैसे जैव उर्वरक, नैनो-यूरिया और जैव-कीटनाशक के उपयोग को बढ़ावा देंगे।
- जलवायु स्मार्ट खेतीः जलवायु चुनौतियों से निपटने के लिए क्लाइमेट स्मार्ट एंड टेक इम्पावर्ड खेती (CSTEF) की रणनीति लागू करेंगे।
- सौर ऊर्जा एवं ऊर्जा दक्षताः सिंचाई पंपों, खेत पर स्थित कोल्ड स्टोरेज हेतु सौर ऊर्जा के प्रयोग को बढ़ायेंगे और सौर प्रणालियों के लिए राज्य-वित्त पोषित नीति बनायेंगे।
- कृषि अवसंरचना विकासः कम विकसित क्षेत्रों पर ध्यान केन्द्रित करते हुए विपणन स्थलों, भंडारण सुविधाओं और बुनियादी ढांचे का विस्तार करेंगे।
- पारदर्शी मूल्य निर्धारणः आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सहित आधुनिक प्रौद्योगिकियों के माध्यम से मूल्य निर्धारण तंत्र में पारदर्शिता सुनिश्चित करेंगे।
- फसल कटाई के बाद का बुनियादी ढांचा: फसल कटाई के बाद के कृषि बुनियादी ढांचे के विकास के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी को प्रोत्साहित करेंगे ।
- सहकारी बैंक को सुदृढ़ बनाना: बेहतर तकनीक का समावेश करते हुए सहकारी बैंकों की क्षमता बढ़ायेंगे और उनकी वित्तीय स्थिति को मजबूत करेंगे।
- शैक्षणिक और संस्थागत सुदृढ़ीकरणः कृषि शिक्षा, अनुसंधान और विपणन को बढ़ाने के लिए राज्य कृषि विश्वविद्यालयों, विपणन बोर्डों और विपणन संघों को मजबूत करेंगे।
- किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) को सहयोगः एफपीओ के माध्यम से किसानों को सशक्त बनाने हेतु संस्थागत तरीके से क्षमता निर्माण के लिए सहायता प्रदान करेंगे।
- पॉलिसी थिंक टैंक: कृषि योजनाओं के निरंतर सुधार के लिए एक समावेशी पॉलिसी थिंक टैंक का निर्माण करेंगे।
- नवोन्मेषी कृषि मॉडल: सतत कृषि के लिए नियंत्रित पर्यावरण कृषि उत्पादन (सीईएपी) और प्रोडक्शन 2 प्रमोशन (पी 2पी) मॉडल का विस्तार करेंगे।
- विविधता और प्रतिरोधः जैविक खेती, संरक्षित खेती, बागवानी विकास और खाद्य प्रसंस्करण जैसे प्रयासों को बढ़ावा देंगे ।
- रेगिस्तानी कृषिः रेगिस्तानी परिस्थितियों के अनुकूल फसलें विकसित करना और शुष्क क्षेत्रों में कृषि क्षमता की वृद्धि करने के लिए स्थानीय रेगिस्तानी किस्मों का संवर्धन करेंगे।
- जैव विविधता संरक्षणः पारिस्थितिक संतुलन को बनाए रखने के लिए स्थानीय जैव विविधता का संरक्षण और संवर्धन करेंगे।
- जल-कुशल फसलें: संसाधनों का बेहतर उपयोग सुनिश्चित करने के लिए कम पानी से होने वाली फसल किस्मों का विकास करेंगे।
- भूमि अधिकार मान्यता: भूमि अधिकार सुरक्षित करने और कृषि को बढ़ावा देने के लिए बटाईदारों और जोतदारों का पंजीकरण शुरू करेंगे।
- संसाधनो तक पहुँचः किसानों की खेती से सम्बंधित जरूरतों को पूरा करने के लिए उन्नत बीजों और किफायती पेट्रोल तथा डीजल की समय पर उपलब्धता सुनिश्चित करेंगे।
- महिला किसानः कृषि में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका को देखते हुए, घरेलू उद्यानों और बागवानी को प्रोत्साहित करने हेतु उन्हें केंद्र में रखकर योजनायें बनायेंगे।
- सिंचाई परियोजनाओं का आधुनिकीकरण: कृषि में जल उपयोग दक्षता में सुधार के लिए, परिसंपत्तियों के प्रबंधन उन्नत करते हुए सिंचाई परियोजनाओं का आधुनिकीकरण किया जाएगा।
- सिंचाई आवश्यकताओं पर सलाह देने के लिए अधिकार प्राप्त समितिः विभिन्न सिंचाई आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए एक अधिकार प्राप्त समिति (इम्पावर्ड कमेटी) का निर्माण करेंगे जो अन्य राज्य सरकारों के साथ मिलकर सिंचाई परियोजनाओं को प्राथमिकता के आधार पर पूरा करने का काम करेगी।