rajasthan assembly election 2023: जोधपुर। राजस्थान देश का सबसे बड़ा प्रदेश है और हाल में नए जिलों की घोषणा के बाद राज्य में 53 जिले और दस संभाग हो चुके हैं। यह सब गुड गवर्नेंस और लोगों की सुविधा के नाम पर किया गया है। प्रशासन तक आम लोगों की पहुंच आसान बनाने के लिहाज से राज्य सरकार का यह दृष्टिकोण सही भी है। क्या इसी दृष्टिकोण का अगला विस्तार प्रदेश के विभाजन तक जा सकता है? यह सवाल अरसे से खदबदा रहा है। यह मांग नई नहीं है। दशकों पहले न्यायाधीश और सांसद रह चुके गुमानमल लोढ़ा भी इसकी पैरवी करने वालों में शामिल थे।
सरकार की तरफ से सबसे ताजा वक्तव्य यह है कि “छोटे राज्य और छोटे जिले बनेंगे तो विकास जल्द होता है। गुड गवर्नेंस रहती है। जनता को भी परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता।’’ विधानसभा चुनाव की घोषणा के बाद मारवाड़ में हुई कुछ सभाओं में भाजपा के कुछ नेता कह चुके हैं कि सिर्फ जिले बढाने से काम नहीं चलेगा।
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अब मरु प्रदेश की मांग को व्यावहारिक रूप दिया जाना चाहिए। तभी मारवाड़ क्षेत्र का संपूर्ण विकास हो सकता है। ऐसा कहने वालों में राज्यसभा सदस्य राजेंद्र गहलोत, पूर्व सांसद पुष्प जैन और पूर्व राजस्व मंत्री रामनारायण डूडी भी शामिल हैं। सवाल यह है कि क्या यह चुनाव का मुद्दा बन सकता है। डूडी का मानना है कि भौगोलिक दृष्टि से देश के सबसे बड़े राज्य का चौमुखी विकास निश्चित रूप चुनौती है। सरकार प्रशासन और जनता के बीच दूरी बहुत ज्यादा होती है। इस दूरी को पाटने के लिए जैसे नए जिले बनाए गए उसी तरह नया राज्य बनाया जा सकता है।
उन्होंने बताया कि राज्य के विभाजन और राज्यों के कुछ हिस्सों को आपस में बदलने का अधिकार केंद्र सरकार के पास है। इसके लिए राज्य पुनर्गठन आयोग बनाने या राज्य सरकारों की स्वीकृति की भी जरूरत नहीं, केंद्र सरकार की मंशा सर्वोपरि है। डूडी राज्यसभा सांसद रहने के दौरान सम्भावित मरु प्रदेश के लिए एक प्रस्ताव प्रधानमंत्री कार्यालय में दे चुके हैं।
सेना व समिति लगातार कर रही हैं आंदोलन
नए प्रदेश की मांग को मरु सेना और मरु प्रदेश निर्माण मोर्चा समिति जैसे संगठन मुखरता से आगे बढ़ा रहे हैं। मरु सेना अध्यक्ष जयंत मुंड उदयपुरवाटी अलग प्रदेश बनाने के साथ 33 मांगों को लेकर यात्रा निकालने की बात कहते हैं। मूंड के अनुसार राजस्थान दुनिया के 110 देशों से बड़ा है। यहां की अरावली पर्वतमाला पूर्वी राजस्थान व पश्चिमी राजस्थान को भौगोलिक, सांस्कृतिक, रहन-सहन, पहनावे, जलवायु, भाषा, विकास व आर्थिक आधार पर विभाजित करती है। संघर्ष समिति इस मांग को लेकर महायात्रा निकाल चुकी है। समिति की ओर से राजधानी में धरना-प्रदर्शन भी किए जा चुके हैं।
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वरदान साबित हो सकता है मरु प्रदेश
भूगोलवेत्ता डॉ. नरपतसिंह राठौड़ का मानना है कि संविधान के अनुच्छेद 3 में राज्यों के पुनर्गठन की प्रक्रिया का स्पष्ट उल्लेख है। राज्य के जनप्रतिनिधियों की मांग को कें द्र सरकार गंभीरता से ले तो प्रस्तावित मरु प्रदेश वरदान साबित होगा। इससे नए प्रदेश के हिस्से में पर्याप्त संसाधन आएं गे बल्कि छोटा भौगोलिक क्षेत्र होने के कारण इसके विकास पर ज्यादा ध्यान दिया जा सके गा। रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे, उद्योग धंधों का भी विकास होगा। सरकार और प्रशासन की जनता से निकटता बढ़ेगी।
ये हैं मरु प्रदेश से जुड़ी अन्य मांगे
50 जिलों को एमएसपी की गारंटी का कानून
टोल मुक्त राज्य
आम उपभोक्ताओं को 300 यूनिट और किसानों को मुफ्त बिजली
आम आदमी को आत्मरक्षा के लिए हथियार लाइसेंस जारी किए जाएं
सैनिक परिवार को सुरक्षा की गारंटी कानून बनाया जाए
किसानों को जमीन का मालिकाना हक
बुजुर्गों को 3 हजार रुपए प्रतिमाह बुढ़ापा पेंशन -बेरोजगारों को 10 हजार रुपए प्रतिमाह बेरोजगारी भत्ता
बजरी और खनिज माफिया के खिलाफ टाडा जैसे कानून
लड़कियों को पीएचडी तक मुफ्त शिक्षा शेखावाटी नहर की घोषणा
मरु प्रदेश बना तो ऐसा होगा
देश का 27 प्रतिशत तेल/गैस उत्पादक
क्षेत्रफल 2,13,883 वर्ग किमी.
दुनिया का 9वां बड़ा भूभाग
देश का 14.65 प्रतिशत खनिज उत्पादन
जनसंख्या अनुमानित 2,85,65,500
साक्षरता दर 63.80 प्रतिशत
गरीबी 68.85 प्रतिशत
शिक्षित बेरोजगार अनुमानित 10 लाख
प्रति व्यक्ति आय करीब 252 रुपए
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ये है कल्पना
नए प्रदेश की मांग करने वाले संगठन चाहते हैं कि जोधपुर, जोधपुर ग्रामीण, पाली, जालौर, सांचौर, सिरोही, नागौर, जैसलमेर, फलोदी, बाड़मेर, बालोतरा, डीडवाना-कुचामन, बीकानेर, श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, अनूपगढ़, चूरू, झुंझुनू, नीमकाथाना, सीकर को मिलाकर नया प्रदेश बनाया जाए।
अभी ये विसंगतियां
नए प्रदेश के लिए यात्रा के संयोजक मनिदं रसिंह मान के अनुसार मरु प्रदेश के 20 जिलों में देश का 27 प्रतिशत तेल, सबसे महंगी गैस, खनिज पदार्थ, कोयला, यूरेनियम, सिलिका का एकाधिकार है। एशिया का सबसे बड़ा सोलर पॉवर प्लांट और पवन चक्कियों से बिजली प्रोडक्शन किया जा रहा है। इन जिलों से अरबों रुपए की रॉयल्टी सरकार कमा रही है। लेकिन इन जिलों में पीने का पानी, रोजगार, बेहतर स्वास्थ्य, सुरक्षा, शिक्षा, सैनिक स्कूल हॉट स्पॉट, खेतों को नहरों का पानी जैसी समस्याओं से आम जनता परेशान है।
पश्चिमी राजस्थान के जिलों में रहने वालों की औसत आय राज्य के अन्य जिलों से कम है। मरु प्रदेश की मांग को आगे बढ़ा रहे भाजपा नेताओं को जी20 के बाद बुलाए गए संसद के विशेष सत्र से उम्मीद जगी थी। सत्र से पहले दिल्ली के उच्च अधिकारियों ने मरु प्रदेश से संबंधित फाइलें मंगवाई थी। तब लगा था कि पीएम नरेंद्र मोदी नए प्रदेश की घोषणा कर सबको चौंका सकते हैं।
यमुना शंकर सोनी