Rajasthan : राजस्थानी भाषा को संवैधानिक दायरे में लाने की लंबी समय से चली आ रही मांग को लेकर शुक्रवार को लोकसभा के मानसून सत्र में राजसमंद सांसद दीयाकुमारी ने राजस्थानी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में स्थान दिलाने के लिए संविधान संशोधन विधेयक 2022 प्रस्तुत किया। राजस्थान से भाषा को मान्यता देने के लिए विधानसभा से सर्वसम्मति से प्रस्ताव भी केंद्र को पहले भेजा गया है।
प्राइवेट बिल पेश करते हुए सांसद दीया ने गिनाए कारण और उद्देश्य
सदन में प्राइवेट बिल पेश करते हुए सांसद दीयाकुमारी ( Diya Kumari ) ने कहा कि भाषा किसी क्षेत्र के इतिहास संस्कृति जनता शासन प्रणाली पारिस्थितिकी राजनीति आदि की सूचक है। राजस्थानी पश्चिमी इंडो-आर्यन मूल की एक भाषा है, जो पूरे राजस्थान के साथ ही हरियाणा( Haryana ) गुजरात तथा मध्य प्रदेश के कुछ भागों में व्यापक रूप से बोली जाती है। राजस्थानी भाषा ( Rajasthani Language ) देवनागरी लिपि में लिखी जाती है। यह 1500 से भी अधिक वर्षों की समृद्ध विरासत है। राजस्थानी भाषा में 7वीं शताब्दी ईस्वी पूर्व के प्रसिद्ध प्राचीन दार्शनिकों, खगोलविदों, गणितज्ञों, कवियों और लेखकों के कार्यों की भी पहचान की गई है।
राज्य विधानसभा से भी केंद्र को पहले भेजा जा चुका है प्रस्ताव
सांसद ने कहा कि संविधान की आठवीं अनुसूची में राजस्थानी भाषा ( Rajasthani Language ) को शामिल करने की मांग आमजन द्वारा लगातार की जाती रही है। साहित्य अकादमी और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग राजस्थानी भाषा को एक अलग भाषा के रूप में मान्यता देते हैं। राजस्थानी भाषा राजस्थान राज्य माध्यमिक शिक्षा बोर्ड में भी पढ़ाई जाती है। फिर भी, राजस्थानी भाषा को राष्ट्रीय मान्यता नहीं दी गई है।
संविधान की सूची में स्थान देने की मांग रखते हुए सांसद ने कहा कि राजस्थानी भाषा की पवित्रता की रक्षा संवर्धन एवं परिरक्षण तथा इस भाषा के बोलने वालों की संस्कृति एवं परंपराओं की रक्षा एवं इस भाषा के महत्व को भी ध्यान में रखते हुए यह आवश्यक है कि राजस्थानी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करके उसे उचित मान्यता दी जाए।