एक जमाने में कांग्रेस पार्टी में युवा तुर्क के नाते लोकप्रिय खांटी नेता चन्द्रशेखर सीधे भारत के प्रधानमंत्री पद पर आसीन हुए। तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के शासनकाल में जब देश की अर्थव्यवस्था बुरी तरह लड़खड़ा चुकी थी तभी शासन की बागडोर संभालने वाले चन्द्रशेखर के समक्ष महज 40 करोड़ रुपए के कर्जे की खातिर देश का सोना गिरवी रखने की नौबत आ गई। और ऐसी मजबूरी झेलने वाले इस युवा तुर्क ने भरतपुर में आपातकाल के पश्चात वर्ष 1977 में हुए लोकसभा चुनाव में अपने राजनैतिक मित्र एवं खांटी समाजवादी नेता पंडित रामकिशन के पक्ष में वोट की अपील के साथ धन संग्रह के लिए झोली फैला दी। तब लगभग तीन हजार रुपए एकत्रित हुए। चुनाव प्रचार के लिए आए जॉर्ज फर्नान्डीस ने रेलवे मेन्स यूनियन के के सहयोग से पांच हजार की राशि उपलब्ध करवाई। इस चुनाव में जनसहयोग से लगभग 53 हजार रुपए जमा हुए तथा चुनाव खर्चा हुआ 51 हजार रुपए। शेष दो हजार गंज खेड़ली में कार्यकर्ताओं को सौंप दिए।
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आपातकाल के पश्चात हुए इस चुनाव में कांग्रेस के दिग्गज नेता राजबहादुर के सामने जनता पार्टी के पं. रामकिशन का मुकाबला था। चुनाव प्रचार के दौरान भरतपुर के संसदीय क्षेत्र में सम्मिलित अलवर जिले के कठूमर (गंज खेड़ली) विधानसभा क्षेत्र में पं. रामकिशन की गाड़ी खराब हो गई। तब कांग्रेस प्रत्याशी पक्ष की ओर से अपनी गाड़ी से पहुंचाने की पेशकश पर पंडित जी ने सहज भाव से कहा कि इससे अनावश्यक भ्रम होगा। कठूमर से एक मिस्त्री को भेजकर गाड़ी ठीक करवाई गई। तब के चुनावी प्रचार में प्रतिद्वंदी प्रत्याशी पक्ष से इस सदाशयता को पंडित जी आदर से याद करते हैं और वर्तमान चुनावी माहौल को देख चिंतित होते हैं। लोकसभा चुनाव लड़ने से पहले पं. रामविशन भरतपुर में 1974 में हुए उपचुनाव जीत चुके थे और आपातकाल में बंदी बनाये गए थे।
विधायक होने के साथ वह जिला प्रमुख भी थे। चुनाव जीतने पर वह सांसद विधायक और जिला प्रमुख की भूमिका में थे। जिला प्रमुख पद से त्यागपत्र देने के साथ विधायक का कार्यकाल भी खत्म हो चला था। चाहे विधानसभा हो या लोकसभा पं. रामकिशन सदन में तथ्यों एवं आंकड़ों सहित अपनी बात रखने में कुशल रहे। उनके कथन को सत्ता पक्ष भी शांति से सुनता था। वर्ष 1990 के विधानसभा चुनाव में पं. रामकिशन भरतपुर से प्रत्याशी थे। भरतपुर जिले का हिस्सा रहे धौलपुर से भाजपा के दिग्गज नेता पूर्व मुख्यमंत्री भैरों सिंह शेखावत ने भी नामांकन पत्र भरा था और बारां जिले के छबड़ा से नामजदगी पर्चा भरा गया जहां से 1977 में उपचुनाव लड़कर वह मुख्यमंत्री बने। इसलिए भी पूर्वी राजस्थान की दोनों सीटों पर सभी की नजरें थी।
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पंडित जी के समर्थन में उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह ने भी चुनावी सभा को संबोधित किया। यह एक संयोग था कि समाजवादी कार्यकर्ता मुलायम सिंह कभी आगरा में पं. राम किशन के भाषण सुनने आते थे और अब वह उनके पक्ष में चुनाव प्रचार के लिए आए थे। उन्होंने जनता से कहा कि राममनोहर लोहिया के साथी पं. रामकिशन जैसे नेता का विधानसभा पहुंचना जरूरी है। भरतपुर जिले की वैर तहसील के गांव ललिता मूडिया में 28 मार्च 1926 को जन्मे प. राम किशन दोनों घुटनों के आॅपरेशन के बावजूद जल आंदोलन में सक्रिय हैं।
गुलाब बत्रा, वरिष्ठ पत्रकार