Rajasthan Assembly Election 2023 : राजस्थान में विधानसभा की 200 सीटों के लिए 23 नवंबर को मतदान होगा और नतीजें 3 दिसंबर को आएंगे। भाजपा ने मंडावा विधानसभा सीट से इस बार मौजूदा सांसद नरेंद्र कुमार को मैदान में उतारा है। वहीं, कांग्रेस मौजूदा विधायक रीटा चौधरी पर दांव आजमा सकती है। लेकिन, क्या आपको बता कि इस चुनावी इतिहास भी बेहद दिलचस्प रहा है।
मंडावा विधानसभा सीट को कांग्रेस का गढ़ माना जाता है। यहां से कांग्रेस ने 9 बार जीत हासिल की। वहीं, बीजेपी यहां पर सिर्फ एक बार ही खाता खोल सकी है। ऐसे में बीजेपी के लिए मंडावा सीट काफी अहम है। शायद यही वजह है कि बीजेपी ने सांसद को विधानसभा सीट पर उम्मीदवार बनाया है।
साल 2018 में पहली बार खुला था बीजेपी की जीत का खाता
सांसद नरेंद्र कुमार 5वीं बार मंडावा से विधासनभा का चुनाव लड़ेंगे। तीन बार वे निर्दलीय चुनाव लड़ चुके हैं। जिसमें से एक बार जीते, एक बार बीजेपी के टिकट पर विधानसभा का चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। साल 2018 के चुनाव में नरेंद्र कुमार को 80599 मत मिले थे और रीटा चौधरी 78,523 मत मिले थे।
नरेंद्र की जीत के साथ ही मांडव के चुनावी इतिहास में पहली बार बीजेपी का खाता खुला था। लेकिन, बीजेपी ने नरेंद्र कुमार को साल 2019 में सांसद का टिकट दे दिया और वो चुनाव जीतकर सांसद बन गए। ऐसे में उप चुनाव में कांग्रेस की रीटा चौधरी बीजेपी की सुशीला सीगड़ा को हराकर विधायक बन गई।
इस सीट पर चौधरी परिवार का वर्चस्व
मंडावा विधानसभा सीट पर चौधरी परिवार का वर्चस्व रहा है। रामनारायण चौधरी मांडव के कद्दावर नेताओं में शुमार रहे हैं। इस सीट से 6 बार कांग्रेस के रामनारायण चौधरी विधायक चुने गए। साल 1967 में रामनारायण चौधरी पहली बार विधायक बने और 1977 तक उन्होंने जीत की हैट्रिक लगा दी।
इसके बाद साल 1993 से 2003 के बीच रामनारायण चौधरी ने फिर जीत की हैट्रिक लगाई। साल 2008 में उनकी बेटी रीटा चौधरी विधायक चुनी गई। लेकिन, रीटा चौधरी को 2013 और 2018 में हार का सामना करना पड़ा। हालांकि, 2019 के उप चुनाव में रीटा चौधरी कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीतकर दूसरी बार विधायक बनी।
इस क्षेत्र में जाट समुदाय का दबदबा, ये रहेगा चुनावी मुद्दा
मंडावा विधानसभा क्षेत्र में कुल वोर्टस की संख्या 244526 है। जिनमें से 127107 पुरुष और 117419 महिलाएं है। इस सीट जाट समुदाय का दबदबा है। यहां जाटों की संख्या करीब 70 हजार के आसपास है। वहीं, मुस्लिम समुदाय के लोग भी करीब 60 है। इसके अलावा एससी और कुमावत समाज के वोटर्स की संख्या काफी है।
इस बार चुनाव में पेयजल सहित फिल्म सिटी का मुद्दा अहम रह सकता है। क्योंकि आमिर खान की पीके और सलमान खान की बजरंगी भाईजान जैसी फिल्मों की शूटिंग के बाद से यहां लगातार फिल्म सिटी बनाने की मांग उठती रही है।
मंडावा का चुनावी इतिहास भी बेहद रोचक
मंडावा विस सीट से वर्तमान में कांग्रेस की रीटा चौधरी विधायक है। जो साल 2019 के उपचुनाव में भाजपा की सुशीला सिगरा को हराकर दूसरी बार विधायक बनी है। यहां पहली बार साल 1957 में कम्युनिस्ट पार्टी के लच्छू राम विधायक चुने गए गए थे। इसके बाद साल 1962 में स्वराज पार्टी के रघुवीर सिंह, 1967, 1972 और 1977 में कांग्रेस के रामनारायण चौधरी, 1980 में जनता पार्टी के लच्छू राम, 1985 कांग्रेस की सुधा देवी, 1990 में जनता दल के चंद्रभान, 1993, 1998 और 2003 में कांग्रेस के रामनारायण चौधरी विधायक रहे।
इसके बाद साल 2008 में कांग्रेस ने रामनारायण चौधरी की रीटा चौधरी को टिकट दिया। जो पहली बार विधायक मंडावा से विधायक चुनी गई। 2013 में निर्दलीय नरेंद्र कुमार और 2018 में बीजेपी के नरेंद्र कुमार विधायक बने थे।
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