Rajasthan Assembly Election 2023 : जयपुर। राजस्थान की सभी 200 विधानसभा सीटों पर इसी साल 23 नवबंर को चुनाव होने वाले है और नतीजे 3 दिसंबर को आएंगे। लेकिन, चुनाव घोषणा के साथ ही प्रदेश में आदर्श आचार संहिता तत्काल प्रभाव से लागू हो गई है। ऐसे में कई जन कल्याणकारी योजनाओं के साथ ही गहलोत सरकार की कई घोषणाएं भी अटक गई है। हालांकि, अंतिम निर्णय तो चुनाव आयोग ही करेगा, क्योंकि आचार संहिता लगने के बाद सरकार का पूरा नियंत्रण सीधे चुनाव आयोग के हाथों में चला गया है।
ऐसे में आचार संहिता लगने के बाद प्रदेशवासियों के मन में कई सवाल उठ रहे है। लोगों के मन में सवाल है कि 1 लाख नई भर्तियों का क्या होगा? शिक्षकों के तबादलों का क्या होगा? इसके अलावा हाल ही में गहलोत सरकार ने 3 नए जिले बनाने, जातिगत सर्वे कराने और 23 नए बोर्ड बनाने की घोषणा की थी। इन घोषणाओं का क्या होगा? वहीं, गहलोत सरकार की कई जन कल्याणकारी योजनाएं संचालित है, क्या वे योजनाएं चालू रहेंगी या फिर अटक जाएगी? कुछ ऐसे ही सवालों का जवाब हम आपको बता रहे है।
एक लाख नई भर्तियों का क्या?
सीएम गहलोत ने इसी साल फरवरी में 1 लाख नई सरकारी भर्तियों का ऐलान किया था। जिनमें से चिकित्सा विभाग के 21 हजार और सफाई कर्मियों के 13 हजार पदों पर भर्ती प्रक्रिया चालू हो गई थी। लेकिन, शेष 66 हजार पदों के बारे में यही पता नहीं चला पाया कि कौनसे विभाग में ये भर्तियां होनी थी।
ऐसे में यह तो साफ है कि बेरोजगारों का नौकरी का सपना पूरा नहीं हो पाएगा। इसके अलावा करीब साढ़े चार साल से तबादलों का इंतजार कर रहे ढाई लाख शिक्षकों को भी अब नई सरकार आने का इंतजार करना पड़ेगा। आचार संहिता लगते ही न तो कर्मचारियों का तबादला होगा ना ही जॉइनिंग। साथ ही, लंबे अवकाश के लिए निर्वाचन विभाग से अनुमति लेनी जरूरी होगी।
इन घोषणाओं का क्या?
सीएम गहलोत ने हाल ही में सुजानगढ़, मालपुरा और कुचामन को नया जिला बनाने की घोषणा की थी। लेकिन, नोटिफिकेशन जारी नहीं हो पाया था। ऐसे में ऐसी घोषणा का कोई मतलब नहीं है, क्योंकि ऐसे मामलों में चुनाव आयोग परमिशन नहीं देता है। गहलोत ने आचार संहिता से पहले राजस्थान में बिहार की तर्ज पर जातिगत सर्वे कराने का ऐलान करते हुए आदेश जारी किए थे।
इतना ही नहीं, प्रदेश के सभी जिला कलेक्टरों को सर्वे के आदेश जारी कर दिए थे। लेकिन, ऐसे निर्णय पर अब अंतिम फैसला चुनाव आयोग ही करेगा। 23 नए बोर्ड के ऐलान पर भी ठंडे बस्ते में जा सकता है। चुनावी साल में बोर्डों का गठन तो किया जा चुका है, लेकिन अभी तक ये बोर्ड अस्तित्व में नहीं आ पाए है।
कर्मचारियों को दीपावली बोनस मिलेगा या नहीं?
इस बार दीपावली 12 नवबंर को है। प्रदेश सरकार को कर्मचारियों के लिए हर बार दीपावली बोनस की घोषणा करनी पड़ती है। लेकिन, बोनस के ऐलान से पहले ही राजस्थान में आचार संहिता लग चुकी है। ऐसे में अब सरकार को चुनाव आयोग से परमिशन लेगी होगी। इसके बाद कर्मचारियों के लिए दीपावली बोनस की घोषणा की जा सकती है।
गहलोत सरकार की जनकल्याणी योजना का क्या होगा?
गहलोत सरकार ने 15 अगस्त को अन्नपूर्णा फूड पैकेट योजना शुरू की थी। इस योजना के तहत में गेहूं के साथ-साथ दाल, चीनी, नमक, सोयाबीन रिफाइंड तेल, मिर्च, हल्दी और धनिया पाउडर के पैकेट दिए जा रहे हैं। प्रदेश के 1.06 करोड़ परिवारों को 15 अक्टूबर से 15 नवंबर के बीच फूड किट मिलने वाली थी। लेकिन, अब इस चुनाव आयोग ही फैसला करेगा। लेकिन, यह तो साफ है कि अगर ये योजना आगे भी चालू रहती है तो किट से सीएम गहलोत की तस्वीर हटवा दी जाएगी।
महिलाओं को मुफ्त मोबाइल मिलेंगे या नहीं?
फ्री स्मार्टफोन योजना : गहलोत सरकार ने इंदिरा गांधी स्मार्टफोन योजना की शुरूआत की थी। इसके तहत प्रदेशभर में 1.35 करोड़ चिरंजीवी परिवार की महिला मुखिया और जनाधार कार्ड धारक महिलाओं को फ्री स्मार्टफोन दिए जा रहे हैं। पहले चरण में 40 लाख महिलाओं को निशुल्क मोबाइल बांटने की घोषणा थी। लेकिन, अब ये योजना पर भी संकट मंडरा गया है। हालांकि, यह तो साफ है कि फ्री मोबाइल वाली योजना पर चुनाव आयोग ही निर्णय लेगा। लेकिन, चुनावी दौर में ऐसी योजना को मंजूरी मिल पाना मुश्किल है।
आचार संहिता के कारण ये काम भी अटके
प्रदेशभर में एक हजार से ज्यादा सरकारी भवनों का शिलान्यास और उद्घाटन आचार संहिता के कारण अटक गया है। मुख्यमंत्री सहित कोई भी मंत्री-विधायक किसी भी विकास कार्य का उद्घाटन, शिलान्यास व लोकार्पण नहीं कर सकते है। आचार संहिता लगते ही न तो कर्मचारियों का तबादला होगा ना ही जॉइनिंग। साथ ही, लंबे अवकाश के लिए निर्वाचन विभाग से अनुमति लेनी जरूरी होगी।
इसके अलावा किसी भी राजनीतिक दल, प्रत्याशी, राजनेता या समर्थकों को रैली करने से पहले पुलिस से अनुमति लेनी होगी। प्रक्रियाधीन योजनाओं, भर्ती परिणाम जारी करने और नियुक्ति देने के लिए भी सरकार को चुनाव आयोग से परमिशन लेनी पड़ेगी। हालांकि, सरकार जनहित में जो भी जरूरी समझे, वो कर सकती है। जैसे आपदा, बाढ़ व भूकंप की स्थिति में। लेकिन, चुनाव आयोग की परमिशन जरूरी है। सरकारी गाड़ी, सरकारी विमान या सरकारी बंगले का इस्तेमाल चुनाव प्रचार के लिए नहीं किया जाएगा।
ये खबर भी पढ़ें:-IAS होते हुए राजस्थान का मुख्यमंत्री बनने वाले नेता की कहानी, जानिए कौन थे वेंकटाचारी