नई दिल्ली। इजराइल और फिलिस्तीन के बीच एक बार फिर जंग छिड़ गई है। हमास द्वारा जल, थल और नभ से किए गए हमले में इजरायल के 700 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं 2 हजार से ज्यादा लोग घायल बताए जा रहे हैं। यूं तो इजरायल को हमेशा अपनी खुफिया एजेंसियों, घरेलू इकाई शिन बेट (Shin Bet) और विशेष रूप से अपनी जासूसी एजेंसी मोसाद पर गर्व रहा है, लेकिन, जिस तरह से हमास ने आतंकी हमला किया। इजरायल को इसकी भनक तक नहीं लगने दी। हमास ने इजरायल पर किए इस हमले के लिए कई महीनों तक तैयारी की। इसके बाद हमास द्वारा आकाश, जमीन और जल से किए हमले में किलेबंदी वाली सीमा की सुरक्षा धराशायी कर दी है।
बताया जा रहा है कि पिछले 50 सालों के दौरान यह इजरायल पर किया गया सबसे भीषण हमला है। हमले के बाद से सवाल यह उठ रहे हैं कि कैसे आयरन डोम और मोसाद जैसी खुफिया एजेंसी वाले देश को इस आतंकी हमले की भनक तक नहीं लगी। तमाम वैश्विक सुरक्षा विशेषज्ञ इसे खुफिया एजेंसियों की विफलता करार दे रहे हैं।
इजरायल का एयर डिफेंस सिस्टम यानी आयरन डोम को सबसे ताकतवर माना जाता है। इजरायल के पास ऐसी तकनीक जो हवा में आते दुश्मन के रॉकेट्स और मिसाइल को आसमान में ही उड़ा देता है, लेकिन जब हमास ने एक के बाद एक लगातार 20 मिनट में 5 हजार रॉकेट दागे, तो इजरायल का यह सिस्टम पूरी तरह उन्हें रोक नहीं पाया। कुछ रॉकेट्स इजरायल में गिरे। 700 से ज्यादा लोग मारे गए।
इजरायल के पास आयरन डोम में एक तरह का मिसाइल सिस्टम है। जिसमें जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइलें होती हैं। जैसे ही दुश्मन की मिसाइल, रॉकेट्स, ड्रोन दिखता है, ये तुरंत फायर हो जाता है। पूरे इजरायल में यह सिस्टम लगाया गया है। इसकी रेंज 70 किलोमीटर है। इसके बावजूद हमास के रॉकेट्स और आत्मघाती ड्रोन्स ने इजरायल में तबाही मचाई।
कम दूरी वाले रॉकेट्स…
इजरायल के पास 15 किमी रेंज वाले 1000 सेल्फ प्रोपेल्ड रॉकेट सिस्टम है।
वहीं 20 किमी रेंज वाले 2500 स्मगलिंग करके मंगाए रॉकेट है।
इसके अलावा 20 किमी रेंज वाले 200 खुद से बनाए ग्रैड रॉकेट्स, इतने ही स्मगलिंग करके भी मंगाए हैं।
मध्यम दूरी वाले रॉकेट्स…
45 किमी रेंज वाले सेल्फ प्रोपेल्ड 200 आधुनिक ग्रैड रॉकेट्स, इसी रेंज के 1000 स्मगलिंग करके मंगाए यही रॉकेट्स।
80 किमी रेंज वाले 400 खुद से बनाए रॉकेट्स। इनके कई प्रकार हैं। जिनकी मारक क्षमताएं भी अलग-अलग हैं।
लंबी दूरी वाले रॉकेटस…
इजरायल के पास 100 से 200 किमी के दर्जनों लॉन्ग रेंज रॉकेट्स है।
हमास के रॉकेट से पूरे इजरायल को खतरा…
हमास के पास जिस तरह के रॉकेट्स हैं, उनसे पूरे इजरायल को खतरा है। जैसे- आर-160 रॉकेट्स की रेंज 160 किलोमीटर है। ये पूरे देश में कहीं भी हमला कर सकते हैं। इसके अलावा एम-75 जैसे 75 किलोमीटर रेंज वाले रॉकेट्स भी हमास के पास हैं, जो 60 किलोग्राम हथियार ले जा सकते हैं। इसके अलावा 45 किलोग्राम हथियार ले जाने वाले 48 किलोमीटर की रेंज वाले ग्रैड रॉकेट्स भी हैं। सबसे कम दूरी के लिए यानी 17.7 किलोमीटर के लिए क्यूएएसएसएएम रॉकेट्स हैं। ये अपने साथ 9 किलो हथियार ले जा सकते हैं।
हमास के पास जीपीएस गाइडेड ड्रोन्स और मिसाइल…
इजरायल को मात देने के लिए हमास अब लगातार अपने हथियार बना रहा है। हमास के पास पास जीपीएस गाइडेड ड्रोन्स और मिसाइलें हैं और अब वह रिसर्च में ताबड़तोड़ पैसा खर्च रहा है। हमास रोबोटिक गाड़ियां बना रहा है। साइबर युद्ध करता है। मानवरहित पनडुब्बियां बना रहा है। समुद्र में तटों के किनारे हमास की नौसेना ने सुरंगें बना रखी हैं। जिनका इस्तेमाल छिपने और हथियारों को अंदर लाने और बाहर ले जाने के लिए होता है।
हमास इन ड्रोन्स को खिलौनो के साथ मंगवाता है, ताकि किसी को शक नहीं हो। इसके जरिए वह पहले रेकी करता है। इसके बाद वह हमला करता है। इन्हें ड्रोन्स की मदद से अपने नौसैनिक कमांडों के कपड़े और हथियार भिजवाता है। हमास के पास 40 टन से ज्यादा अमोनियम क्लोराइड का भंडार है, जो विस्फोटक बनाने में इस्तेमाल होता है।
रॉकेट से बेहतर पड़ता है ड्रोन, ग्लाइडर…
रॉकेट से ज्यादा बेहतर ड्रोन्स और ग्लाइडर पड़ते हैं। क्योंकि इन्हें आयरन डोम पकड़ नहीं पाता। अगर इनकी ऊंचाई कम है तो ड्रोन्स या ग्लाइडर के जरिए ज्यादा सटीक हमला किया जा सकता है। इस बार हमास ने यही तरीका अपनाया। पहले रॉकेट दागे…फिर मोटर ग्लाइडर के जरिए आतंकियों को शहरों में उतारा। इसके बाद ड्रोन्स और जमीनी सेना द्वारा घुसपैठ की गई। ताकि ज्यादा से ज्यादा नुकसान पहुंचाया जा सके।