Rajasthan Assembly Election 2023 : राजस्थान में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले सीकर जिले में स्थित ‘सांगलिया धूणी’ धाम राजनीति का प्रमुख केंद्र बना हुआ है। उपराष्ट्रपति, केंद्रीय मंत्री और मुख्यमंत्री से लेकर अन्य नेताओं के दौरों के कारण संतों के चमत्कारों की ये जगह इन दिनों चर्चा में है। ऐसे में यह तो साफ है कि शेखावाटी फतह के लिए बीजेपी और कांग्रेस की सांगलिया धूणी पर नजर है। बीजेपी तो पीठाधीश्वर ओमदास महाराज को चुनाव लड़ने का ऑफर दे चुकी है। लेकिन, अभी तक महाराज की ओर से इस पर कोई निर्णय नहीं लिया गया है।
दरअसल, सांगलिया धूणी की देशभर में अलग ही पहचान है। यहां आते ही भक्तों को सुकून मिलता है और एक अलग ही अनुभूति होती है। यहां पिछले दिनों खिंवादास महाराज की 22वीं पुण्यतिथि पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान राजनेताओं का जमावड़ा लगा रहा। केंद्रीय जल संसाधन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी और विपक्ष के नेता राजेंद्र राठौड़ सहित कई बीजेपी नेताओं ने सांगलिया धूणी पहुंचकर शीश नवाया।
बीजेपी ने दिया महाराज को दिया चुनाव लड़ने का न्यौता
केंद्रीय मंत्री शेखावत ने तो पीठाधीश्वर ओमदास महाराज से अगल कमरे में गुप्त मंत्रणा की। खास बात ये रही कि बीजेपी ने ओमदास महाराज को झुंझुनूं जिले के नवलगढ़ विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने का न्यौता दे दिया। लेकिन, जब कांग्रेस के विधायक राजकुमार शर्मा को ये पता चला कि महाराज यहां से चुनाव लड़ सकते हैं तो वे चिंतित हो गए। लेकिन, शर्मा के बाबा को कुछ हद तक चुनाव नहीं लड़ने के लिए मना लिया। हालांकि, इस कोशिश में कांग्रेस का गणित गड़बड़ा गया।
बीजेपी के दांव से कांग्रेस में मची खलबली
कांग्रेस के दिग्गज विधायक परसराम मोरदिया की दखलअंदाजी के बाद कांग्रेस भी एक्टिव हो गई। जिस पर विधायक शर्मा ने सीएम गहलोत को सांगलिया धाम आने के लिए मना लिया। लेकिन, यह बीजेपी को नागवार गुजरा और ऐन वक्त पर सीएम गहलोत का दौरा रद्द हो गया। जब कांग्रेस को यह भनक लगी कि बीजेपी शेखावाटी क्षेत्र में बड़ा दांव खेल रही है और महाराज को मैदान में उतारने को प्लान बना रही है तो कांग्रेस में खलबली मच और फिर से मुख्यमंत्री गहलोत का दौरा तय हुआ।
गहलोत पहुंचे तो उपराष्ट्रपति भी आएं
सीएम गहलोत जयपुर से हेलीकॉप्टर में रवाना होकर सांगलिया धूणी पहुंचे। खास बात ये रही कि सीएम गहलोत राजस्थान में पिछड़ी जाति के सबसे प्रभावशाली नेता और कांग्रेस के दिग्गज विधायक परसराम मोरदिया को भी अपने साथ लेकर गए। इस दौरान गहलोत और मोरदिया ने पीठाधीश्वर ओमदास ने बंद कमरे में करीब आधे घंटे तक मंत्रणा की। लेकिन, इसका पता चलते ही उपराष्ट्रपति जगदीप धनकड़ अपनी पत्नी संग सांगलिया धाम पहुंच गए। ऐसे में यह तो साफ है कि दोनों ही पार्टियां सांगलिया धाम का आशीर्वाद चाहती है। यही वजह है कि दोनों ही पार्टियों के दिग्गज नेता सांगलिया धाम में शीश झुकाने में लगी हुई है। लेकिन, यह तो चुनाव के वक्त ही पता चल पाएगा कि सांगलिया धाम का आशीर्वाद किसे मिलेगा और कितना?
सांगलिया धूणी का चुनाव में क्या असर?
सांगलिया धूणी की गद्दी पर अभी ओमदास महाराज विराजमान है और यहां पर हमेशा से ही यही सिलसिला चलता आ रहा है कि चुनाव के समय अनुसूचित जाति के लोग इसी गद्दी की ओर देखते हैं। सांगलिया धूणी की गद्दी के अनुसार ही लोग वोट डालते है। जिसके कारण कई विधानसभा सीटों को चुनावी गणित बिगड़ जाता है। यही वजह है कि जब भी चुनाव के दिन नजदीक आते है तो राजनीतिक दलों के नेताओं का जमावड़ा लगना शुरू हो जाता है। लेकिन, इस बार तो दोनों ही पार्टी चाहती है कि खुद ओमदास महाराज इस बार चुनावी रण में उतरे। अब देखना ये है कि क्या वो चुनाव लड़ते है या नहीं?