जयपुर। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा उपराष्ट्रपति के राजस्थान दौरों को लेकर दिए बयान पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने बिना नाम लिए जवाब दिया है। बिहार में नालंदा विश्वविद्यालय में संबोधन के दौरान धनखड़ ने कहा राजनीतिक कारणों से संवैधानिक संस्थाओं के खिलाफ टिप्पणियां की जा रही हैं, वो गंभीर चिंता का विषय है। संवैधानिक संस्थाओं के विरुद्ध कोई भी टिप्पणी भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के खिलाफ है। राजनीतिक बढ़त हासिल करने के लिए संवैधानिक पदों पर बैठे व्यक्तियों को राजनीतिक चश्मे से नहीं देखना चाहिए।
संवैधानिक संस्थाएं कुछ राजनीतिक कारणों से आपत्तिजनक टिप्पणियों का सामना कर रही हैं। यह गंभीर चिंता का विषय है। संवैधानिक संस्थानों की गरिमा का सम्मान करना चाहिए। हालांकि, इस दौरान उन्होंने किसी पार्टी या नेता का नाम नहीं लिया। बता दें, सीएम गहलोत ने कहा था कि केंद्र का कोई भी नेता आए, दिक्कत नहीं हैं, लेकिन उन्हें उपराष्ट्रपति को बार-बार दौरों पर नहीं भेजना चाहिए।
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यह कोई राजनीतिक विषय नहीं: वी मुरलीधरन
कोटा में शुक्रवार को कें द्रीय संसदीय कार्यराज्यमंत्री वी. मुरलीधरन ने भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बयान पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि उपराष्ट्रपति राजस्थान के बेटे हैं। देश उनको बड़ा सम्मान देता है। ऐसे व्यक्ति राजस्थान में बार-बार आते हैं तो राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को उनका स्वागत करना चाहिए। मैं खुद केरल से हूं, मैं चाहूंगा कि उपराष्ट्रपति केरल में बार-बार आएं । यह कोई राजनीतिक विषय नहीं है। उपराष्ट्रपति और राष्ट्रपति का प्रवास होने से फायदा प्रदेश को होता है।
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वीजा लेकर आएं राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति या पीएम?
नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि मुख्यमंत्री क्या कोई वीजा सिस्टम लागू कर रहे हैं? जो राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री को आने के लिए सरकार से वीजा लेना पड़ेगा? किसान का बेटा उपराष्ट्रपति के पद पर जाता है तो राजस्थान का मान बढ़ता है, लेकिन मुख्यमंत्री को उनके आने पर ऐतराज है। उपराष्ट्रपति जिस कार्यक्रम में आए वो सामाजिक थे। जब आचार संहिता लग जाएगी तब भी राष्ट्रपति व उपराष्ट्रपति के दौरे हो सकते हैं। धनखड़ जब भी आए तो वह प्रदेश के विकास के लिए आए। इन सब से सीएम गहलोत को ऐतराज क्यों हैं।