Ganesh Chaturthi-2023 : जयपुर। प्रथम पूज्य भगवान गणपति का जन्मोत्सव इस वर्ष 19 सितंबर को देशभर में धूमधाम से मनाया जाएगा। सनातन धर्म में गणेश चतुर्थी का पर्व बहुत महत्वपूर्ण है। मान्यता है कि भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को दोपहर के समय भगवान गणेश का जन्म हुआ था। इस कारण इस शुभ दिन पर ही हर साल गणेश चतुर्थी यानि गणेशोत्सव का पर्व मनाया जाता है। लेकिन, इस बार सालों बाद महा-गणेश चतुर्थी पड़ी है। यानी जैसा संयोग गणेशजी के जन्म के समय बना था, वैसा ही संयोग इस बार मंगलवार को बन रहा है। इतना ही इस साल गणेश चतुर्थी पर करीब 300 साल बाद कई अद्भुत संयोग बन रहे है। जिससे कई राशियों वाले लोगों पर गणेशजी की खूब कृपा बरसेगी।
गणेश चतुर्थी का पर्व इस साल मंगलवार को मनाया जाएगा और इस दिन वैसे ही दुर्लभ संयोग बन रहे हैं, जो गणेश जन्म के समय थे। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार गणेशजी का जन्म भादौ की चतुर्थी को दोपहर में स्वाति नक्षत्र और अभिजीत मुहूर्त में हुआ था। इन्हीं तिथि, वार और नक्षत्र के संयोग में मध्याह्न यानी दोपहर में जब सूर्य ठीक सिर के ऊपर होता है, तब देवी पार्वती ने गणपति की मूर्ति बनाई और उसमें शिवजी ने प्राण डाले थे। इस बार गणेश स्थापना पर मंगलवार का संयोग बन रहा है।
ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक इस साल गणेश चतुर्थी पर ब्रह्म योग और शुक्ल योग जैसे शुभ योग बन रहे हैं। गणेश चतुर्थी पर ऐसा अद्भुत संयोग करीब 300 साल बाद आया है। ऐसे में मेष, मिथुन और मकर राशि वालों के लिए ये दिन काफी अच्छा रहने वाला है। यानी उनकी जिंदगी में कई अच्छे बदलाव देखने को मिलेंगे।
इन राशियों पर बरसेगी गणेशजी की कृपा
मेष राशि वाले लोगों का जीवन खुशियों से भर जाएगा। शुभ समाचार के साथ ही व्यापार में वृद्धि होगी और अटके हुए काम पूरे होंगे। मिथुन राशि वालों की शादीशुदा जिंदगी में अपार खुशियां और धन बरसेगा। नौकरी और कारोबार में खूब तरक्की होगी। वहीं, मकर राशि वालों के लिए भी गणेश चतुर्थी के दिन बहुत शुभ रहने वाला है। इन लोगों का व्यापार में खूब फलेगा-फूलेआ और मान-सम्मान व प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी।
9 दिन तक चलता है गणेश जन्मोत्सव का पर्व
बता दें कि गणेश चतुर्थी हिंदुओं का एक प्रमुख पर्व है। यह पर्व वैसे तो देशभर में मनाया जाता है, लेकिन महाराष्ट्र और कर्नाटका में गणेश चतुर्थी पर धूमधाम रहती है। इस दिन गणेशजी का जन्म हुआ था, इस कारण उनकी विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। गणेशजी को लंबोदर के नाम से भी जाना जाता है । कई जगहों पर भगवान गणेश की बड़ी प्रतिमा स्थापित की जाती है और 9 दिन तक पूजन किया जाता है। 9 दिन बाद गणेश प्रतिमा का विसर्जन किया जाता है। किसी तालाब, महासागर इत्यादि जल में विसर्जित किया जाता है।