Dinesh MN : जयपुर। देशभर में चर्चित राजस्थान कैडर के आईपीएस दिनेश एमएन का आज 52वां जन्मदिन है। इस मौके पर हम आपको बताने जा रहे है उनके जीवन से जुड़े कुछ अनजानी बातें, जिनके बारे में कम ही लोगों को पता है। दिनेश एमएन एक ऐसे अधिकारी है, जिनके नाम से आज भी बदमाश थर थर कांपते है। राजस्थान में दिनेश एमएन युवाओं के रोल मॉडल बन गए है और उनकी छवी सिंघम जैसी है। सोहराबुद्दीन एनकाउंटर मामले में सात साल जेल में रहने के बाद भी उनका काम करने का तरीका नहीं बदला। एसओजी में आईजी रहने के दौरान दिनेश एमएन की टीम ने गैंगस्टर आनन्दपाल सिंह का एनकाउंटर किया था।
दिनेश एमएन ने बड़े बिजनैसमेन को हनीट्रेप जैसे मामलों में फंसाने के खुलासे किए। एसीबी में रहने के दौरान जिला कलेक्टर और जिला एसपी सहित केंद्र सरकार के बड़े अधिकारियों को रिश्वत मामले में गिरफ्तार कर जेल भेजा। वर्तमान में वो अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक-अपराध (एडीजी क्राइम) के रूप में कार्यरत हैं। लेकिन, उनके काम करने का तरीका आज भी सबसे हटकर है। यही वजह है कि वो अक्सर चर्चा में बने रहते हैं।
कर्नाटक के रहने वाले हैं दिनेश एमएन
कर्नाटक के चिक्काबल्लापुर जिले में 6 सितंबर 1971 को जन्में आईपीएस दिनेश एमएन का पूरा नाम मुनागनहल्ली नारायणस्वामी दिनेश है। वो 1995 बैच के राजस्थान कैडर के भारतीय पुलिस सेवा अधिकारी हैं और अभी एडीजी पुलिस क्राइम ब्रांच राजस्थान जयपुर के पद पर कार्यरत है। एमएन करौली, सवाईमाधोपुर, झुंझुनूं, उदयपुर और अलवर के एसपी रह चुके हैं। उनके पिता बैंगलोर में एक तहसीलदार थे और उनकी मां गृहिणी थीं। दिनेश एमएन ने 1993 में बीडीटी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, दावानग्रे से इलेक्ट्रॉनिक्स और संचार शाखा में बीई की डिग्री पूरी की।
पहले ही अटेम्प्ट में यूपीएससी परीक्षा क्रैक
दिनेश एमएन पहले ही अटेम्प्ट में यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा क्रैक कर आईपीएस बने थे। आईपीएस दिनेश एमएन जब जिला एसपी रहे। तब खुद फिल्ड में उतर कर बदमाशों से मुकाबला करते थे। सवाई माधोपुर में जिला एसपी रहते दिनेश एमएन ने कुख्यात डकैत रामसिंह का एनकाउंटर किया था। उसके बाद बदमाश उनके नाम से थर थर कांपते थे।
सात साल जेल में काटे
उदयपुर एसपी रहते हुए आईपीएस दिनेश एमएन ने गुजरात पुलिस के साथ मिलकर हिट्रीशीटर सोहराबुद्दीन शेख का एनकाउंटर किया था। इसी कारण सोहराबुद्दीन – तुलसीराम प्रजापति मुठभेड़ मामले में उन्होंने सात साल जेल में काटे। मई 2014 में वो जेल से रिहा हुए थे। जेल में रहने के दौरान वो अपराधियों के बीच रहे और काफी कुछ सीखने का मौका मिला।
जेल से बाहर आते ही अपराधियों के लिए बन गए काल
2014 में रिहाई के बाद जेल से बाहर आते ही वे कई बड़े-बड़े अपराधियों के लिए काल बन गए। दिनेश एनएन ने आईजी के रूप में एसीबी राजस्थान का नेतृत्व करते हुए खनन विभाग में बड़े भ्रष्टाचार रैकेट का खुलासा किया। जिसके कारण 1983 बैच के आईएएस अधिकारी अशोक सिंघवी की गिरफ्तारी हुई, जो खान सचिव के रूप में कार्यरत थे। आईजी एसओजी राजस्थान के रूप में उनकी देखरेख में 5 लाख के इनामी खूंखार गैंगस्टर आनंद पाल सिंह को जून 2017 में एसओजी और पुलिस टीमों के साथ मुठभेड़ में मार गिराया था और उसके गिरोह को निष्क्रिय कर दिया था। दौसा जिले के तत्कालीन एसपी आईपीएस मनीष अग्रवाल भी रिश्वत प्रकरण में दिनेश के हत्थे चढ़ गए थे।
पिछले 5 महीने में अपराधों में आई कमी
आईपीएस दिनेश एमएन ने 15 फरवरी 2023 को एडीजी क्राइम का पदभार ग्रहण किया। इसके बाद दिनेश एमएन के निर्देश पर सभी जिलों में बदमाशों की गिरफ्तारी का अभियान शुरू किया गया, जो अभी तक चल रहा है। पिछले साढ़े पांच महीने में राजस्थान पुलिस ने 30 हजार से ज्यादा बदमाशों को गिरफ्तार किया। इस अभियान का ही असर है कि फरवरी से अगस्त तक लगतार आपराधिक मामलों में कमी आ रही है। हालात ऐसे बने हुए हैं कि जमानत पर बाहर आने वाले बदमाश भी उनके नाम का खौफ खाते है।
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